छिंदवाड़ा। जिले के इंजीनियरिंग कॉलेज से एक मामला सामने आया है. जहां तामिया की आदिवासी छात्राएं अपने भविष्य बनाने को लेकर एडमिशन की चाह में कॉलेज पहुंची थी. इस दौरान छात्राओं से टीसी और मार्कशीट प्रबंधन ने रख ली. जब छात्राओं ने कहा कि, उसे एडमिशन नहीं लेना है. इस पर पीड़ित छात्राओं को प्रबंधन ने कहा, "दाखिला तो कर दिया गया है. जब आप पैसे दोगे तभी आप की टीसी और मार्कशीट वापस की जाएगी." तब से छात्राएं कई महीने से परेशान हो रही है और दरबदर भटक रही है.
छात्राओं के मार्कशीट नहीं लौटा रहा कॉलेज प्रबंधक: जहां एक ओर मध्यप्रदेश में लगातार आदिवासियों के उत्थान को लेकर कई योजनाएं लाई जा रही है. उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं इस प्रकार के मामले आदिवासी छात्राओं का मनोबल तोड़ते नजर आ रहे हैं. छात्राओं ने छिंदवाड़ा कलेक्टर शीतला पटले से मामले की शिकायत की है. इसपर कलेक्टर ने तुरंत एक्शन लेते हुए, अधिकारियों को आदेशित किया कि इस मामले का जल्द निराकरण कराया जाए और इन्हें मार्कशीट और टीसी वापस दिलाई जाए.
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कलेक्टर ने निर्देश पर कार्रवाई शुरू: आदिवासी छात्राओं ने बताया कि, जब वह एडमिशन के लिए कॉलेज गई थीं तो वहां मौजूद सारे छात्राओं से मार्कशीट और टीसी जमा करा ली गई थी. पीड़ित छात्राओं ने जब अपने कोर्स की फीस के बारे में पता किया तो 45 हजार उन्हें बताया गया. छात्राओं के पास इतने पैसे नहीं थे, जिसपर वो प्रबंधन के पास अपनी मार्कशीट और टीसी मांगने गए. इसपर कॉलेज द्वारा कहा गया कि, उनका एडमिशन हो गया है. जब छात्राएं 45 हजार रुपए देंगी तभी उनकी मार्कशीट और टीसी वापस होगी. इसके बाद से छात्राएं लगातार कॉलेज के कई चक्कर काट चुकी है, लेकिन अब तक उनको टीसी और मार्कशीट वापस नहीं मिला है. एनी कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि, "हमारे सत्र की सीट जा चुकी है. मैं पूरा मैनेजमेंट देखूंगा उसके बाद मार्कशीट वापस की जाएगी. कोई कार के पास खड़ा होकर मार्कशीट मांगेगा तो मैं नहीं दूंगा."