छिंदवाड़ा। जिले में बीते दिनों प्रकृति का कहर अतिवृष्टि के रूप में अन्नदाताओं की फसलों पर टूटा है. छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस साल इस तमगे को बरकरार रखना मुश्किल साबित हो सकता है.
सबसे अधिक मक्के की फसल की पैदावार छिंदवाड़ा जिले में होती थी. इस साल जिले में 2 लाख 60 हजार हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई गई थी. लेकिन भारी बारिश और तूफान ने सब कुछ चौपट कर दिया है. जानकारी के मुताबिक जिले में करीब 70 से लेकर 100 फीसदी तक फसलों को नुकसान पहुंचा है. इस आपदा का सबसे ज्यादा प्रभाव चौरई तहसील में सबसे ज्यादा देखने को मिला है.
दूसरी फसलें भी तबाह
जिले में मक्के की फसल के साथ इस साल सोयाबीन और गन्ने की फसल भी लगाई गई थी. जो अतिवृष्टि के चलते काफी प्रभावित हुई हैं. चौरई क्षेत्र में मक्का और गन्ने की अच्छी पैदावार होती है, लेकिन भारी बारिश के चलते ये फसलें भी चौपट हो गईं हैं.
अन्नदाता की परेशानी को देखकर राजनीति भी गरमाई
जिले में अब राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं. इसी कड़ी में स्थानीय सांसद नकुलनाथ हेलीकॉप्टर से सर्वे करने पहुंचे थे. साथ ही किसानों से भी मुलाकात की थी. जिसको लेकर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा था कि सांसद सिर्फ हवा में ही उड़ते हैं, ऐसे में जमीनी हकीकत का कैसे पता चलेगा.
मुआवजे की मांग
किसान अब सरकार से उम्मीद लगाए हुए हैं कि जल्द से जल्द सर्वे हो और उन्हें उचित मुआवजा मिल जाए. जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण कर पाएं. प्राकृतिक आपदा के चलते लोगों के घर ढह गए हैं. पशु और मवेशियों की लाशें बिछी हुईं हैं. अनाज का नामोनिशान नहीं है. ऐसे में किसानों की आखिरी उम्मीद राज्य सरकार ही है.