छिन्दवाड़ा। हरी और ताजी सब्जियों को हम स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद समझकर बड़े चाव से खाते हैं, क्या आप जानते हैं उन्हीं में हमें धीरे-धीरे जहर परोसा जा रहा है. छिंदवाड़ा के कृषि विभाग का कहना है कि 90 फ़ीसदी किसान सब्जी और अनाज पैदा करने के लिए खतरनाक रासायनिक खाद और कीटनाशक उपयोग करते हैं.
करीब 200 करोड़ रुपए का हर साल बिकता है जहर
छिंदवाड़ा जिला पहले सोयाबीन फिर मक्का के रिकॉर्ड उपज और अब सब्जी भाजी के बढ़ते रकबे की पहचान है. इसी जिले के किसान कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए महज खरीफ सीजन में लगभग 160 करोड़ रुपए के रासायनिक उर्वरक और लगभग 50 करोड़ के कीटनाशक नींदा नाशक का उपयोग करते हैं. रबी सीजन में हालांकि ये मात्रा लगभग आधी हो जाती है.
जिले में 530 से ज्यादा दुकानों से बिकता है रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक
छिंदवाड़ा जिले में खाद बीज और कीटनाशक की खपत के चलते गांव-गांव में दुकानें खुल गई है. शासकीय रिकॉर्ड के मुताबिक जिले में उर्वरक के 530 लाइसेंस है, इनमें से 152 सहकारी समिति शामिल है. इसके अलावा लगभग 450 दुकानदारों ने बीज कीटनाशक लाइसेंस लिए हैं. जिसके चलते खरीफ सीजन में 1.38 लाख टन रासायनिक खाद और लगभग 1 लाख लीटर कीटनाशक व नींदानाशक की खपत होती.
90 फीसदी किसान रासायनिक खाद और कीटनाशक का करते हैं उपयोग
व्यवसायीकरण के दौर में हर कोई ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है, इसलिए किसान भी अच्छी उपज के लिए अब 90 फीसदी रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग करता है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 90 फीसद किसान कीटनाशक के रूप में जहर उपयोग कर रहे हैं.
उर्वरक खपत(टन) कीमत(करोड़)
- यूरिया - 68608, 40.11
- सुपर फास्फेट -13929, 9.61
- डीएपी - 31156, 77.96
- एनपीके - 2486, 5.96
- एमओपी -11734, 20.53
- अन्य 70
- कुल- 128013, 154.17