छिंदवाड़ा। जिले में प्राकृतिक आपदा के कहर के कारण किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं और जिन किसानों की फसल अभी भी खेतों में खड़ी हैं उन्हें लेकर किसान काफी चिंतित हैं. वहीं कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह दे रहे हैं कि जिनकी फसलें पक चुकी हैं वो फसलों को काटकर उनका भंडारण कर लें.
छिंदवाड़ा में बारिश और ओले से गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं चौरई तहसील क्षेत्र में कई जगह ओलावृष्टि भी जमकर हुई है. जिसके कारण किसानों के गेहूं की फसल खराब होने का अंदेशा और बढ़ गया है.
मौसम विभाग के अनुसार तेज बारिश की संभावना 17 से 18 मार्च को फिर मौसम में परिवर्तन आ सकता है. जिसे लेकर फसलों के नुकसान से बचाव के कृषि वैज्ञानिक ने सुझाव देते हुए कहा है कि किसान अपनी फसलों की पहले से ही कटाई कर लें. कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को सलाह दी है कि उनकी जो फसलें पक चुकी हैं वहां उन फसलों की कटाई कर उन्हें सुरक्षित रख लें, जिससे उनकी फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके.
वैज्ञानिक के मुताबिक, गेहूं की फसल इस समय खेतों में खड़ी है और वहां खेतों में बड़े-बड़े पेड़ हैं. अधिकांश फसलें उन छायादार वृक्षों के नीचे रहने के कारण उन्हें रोशनी नहीं मिल पाती है. जिसकी वजह से वो थोड़े कमजोर हो जाते हैं. गेहूं पर कीटनाशकों का छिड़काव और उनके बीच की दूरियों का खास ध्यान रखें.
अधिक कीटनाशक से उर्वरक क्षमता पर पड़ता है असर
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि किसान फसलों पर अधिक कीटनाशक का छिड़काव करते हैं. जो फसलों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं. उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल को 20 सेंटीमीटर के अंतराल में लगाना चाहिए और बीच में पांच-पांच सेंटीमीटर का अंतर होना चाहिए, जिससे उनकी उर्वरक क्षमता बराबर बनी रह सके.