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अडानी ग्रुप की जमीन पर किसानों ने लगाई फसल, प्रशासन ने चलाया बुलडोजर, 33 साल में न प्लांट बना, न नौकरी मिली

छिंदवाड़ा के चौरई के 4 गांवों की 750 हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसल पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. किसानों ने अधिग्रहित की गई जमीन पर निर्माण कार्य नहीं होने के चलते फसलें लगा दी थी.

अडानी ग्रुप की जमीन पर किसानों ने लगाई फसल
अडानी ग्रुप की जमीन पर किसानों ने लगाई फसल
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Published : Jul 23, 2021, 4:41 PM IST

छिंदवाड़ा। करीब 33 साल पहले छिंदवाड़ा के 4 गांव की करीब 750 हेक्टेयर जमीन सरकार ने पेंच थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अधिग्रहण की थी. बाद में उस जमीन को प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप के हवाले कर दिया गया. कंपनी ने उस समय वादा किया था कि जिस-जिस की जमीन अधिग्रहित की गई है. उस परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी. 10 साल बाद भी जब मौके पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो नौकरी की आस लगाए बैठे परिवारों ने जमीन वापस करने की मांग करते हुए जमीन पर खेती शुरू कर दी. प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए किसानों की फसलों पर बुलडोजर चला दिया है.

33 साल पहले सरकार ने किया था अधिग्रहण

चौरई के 4 गांव की करीब 750 हेक्टेयर जमीन को 1988 में अधिग्रहण किया गया था. सरकार ने इस जमीन को पेंच नदी पर थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करने के लिए अधिग्रहित किया था. 2011 में इस जमीन को थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप को दे दिया गया. उस समय इस जमीन को अडानी ग्रुप को देने का विरोध हुआ था. विरोध शांत करने के लिए अडानी ग्रुप ने वादा किया था कि जिस-जिस परिवार की जमीन अधिग्रहित की गई है, उस परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी.

अडानी ग्रुप की जमीन पर किसानों ने लगाई फसल, प्रशासन ने चलाया बुलडोजर

नौकरी मिली नहीं, जमीन भी हाथ से गई

10 साल से चार गांवों के लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि इस जमीन पर अडानी ग्रुप थर्मल पावर प्लांट का निर्माण शुरू करेगा और उनके बच्चे को गांव में ही नौकरी मिलेगी. 10 सालों में मौके पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से परेशान ग्रामीणों ने खाली जमीन पर खेती करने की कोशिश की. पहले भी प्रशासन की टीम ग्रामीणों को समझाइस दे चुकी थी. लेकिन फिर भी कई ग्रामीणों ने खाली पड़ी जमीनों पर फसल लगा दी. फसल बड़ी हुई तो प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर फसलों पर बुलडोजर चलवा दिया.

10 साल पहले अधिग्रहित जमीन पर नहीं बना पावर प्लांट, किसानों ने की जमीन वापसी की मांग

काम शुरू होने तक मिले खेती की अनुमति

किसानों का आरोप है कि 32 साल पहले उनसे यह जमीन सस्ते दामों में खरीदी गई. नौकरी के लालच में किसानों ने अपनी जमीन सरकार को बेच दी. किसानों का आरोप है कि उनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब न तो उनके पास पैसा है, और न परिवार के सदस्य को नौकरी मिली. ऐसे में किसान चाहते हैं कि जब तक मौके पर काम शुरू नहीं होता, उन्हें खेती करने की अनुमति दी जाए़, ताकि उनके परिवारों का गुजर-बसर कर सके.

छिंदवाड़ा। करीब 33 साल पहले छिंदवाड़ा के 4 गांव की करीब 750 हेक्टेयर जमीन सरकार ने पेंच थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अधिग्रहण की थी. बाद में उस जमीन को प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप के हवाले कर दिया गया. कंपनी ने उस समय वादा किया था कि जिस-जिस की जमीन अधिग्रहित की गई है. उस परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी. 10 साल बाद भी जब मौके पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो नौकरी की आस लगाए बैठे परिवारों ने जमीन वापस करने की मांग करते हुए जमीन पर खेती शुरू कर दी. प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए किसानों की फसलों पर बुलडोजर चला दिया है.

33 साल पहले सरकार ने किया था अधिग्रहण

चौरई के 4 गांव की करीब 750 हेक्टेयर जमीन को 1988 में अधिग्रहण किया गया था. सरकार ने इस जमीन को पेंच नदी पर थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करने के लिए अधिग्रहित किया था. 2011 में इस जमीन को थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए अडानी ग्रुप को दे दिया गया. उस समय इस जमीन को अडानी ग्रुप को देने का विरोध हुआ था. विरोध शांत करने के लिए अडानी ग्रुप ने वादा किया था कि जिस-जिस परिवार की जमीन अधिग्रहित की गई है, उस परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी.

अडानी ग्रुप की जमीन पर किसानों ने लगाई फसल, प्रशासन ने चलाया बुलडोजर

नौकरी मिली नहीं, जमीन भी हाथ से गई

10 साल से चार गांवों के लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि इस जमीन पर अडानी ग्रुप थर्मल पावर प्लांट का निर्माण शुरू करेगा और उनके बच्चे को गांव में ही नौकरी मिलेगी. 10 सालों में मौके पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से परेशान ग्रामीणों ने खाली जमीन पर खेती करने की कोशिश की. पहले भी प्रशासन की टीम ग्रामीणों को समझाइस दे चुकी थी. लेकिन फिर भी कई ग्रामीणों ने खाली पड़ी जमीनों पर फसल लगा दी. फसल बड़ी हुई तो प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर फसलों पर बुलडोजर चलवा दिया.

10 साल पहले अधिग्रहित जमीन पर नहीं बना पावर प्लांट, किसानों ने की जमीन वापसी की मांग

काम शुरू होने तक मिले खेती की अनुमति

किसानों का आरोप है कि 32 साल पहले उनसे यह जमीन सस्ते दामों में खरीदी गई. नौकरी के लालच में किसानों ने अपनी जमीन सरकार को बेच दी. किसानों का आरोप है कि उनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब न तो उनके पास पैसा है, और न परिवार के सदस्य को नौकरी मिली. ऐसे में किसान चाहते हैं कि जब तक मौके पर काम शुरू नहीं होता, उन्हें खेती करने की अनुमति दी जाए़, ताकि उनके परिवारों का गुजर-बसर कर सके.

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