छतरपुर। हिन्दू संस्कृति में सभी त्योहारों को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. सभी त्योहारों का अपना एक अगल उत्साह होता है. ऐसे ही ग्राम कर्री में लगभग दो सौ साल पुराने बिहारी जू के मंदिर में श्रावण मास का अनोखा महत्व है, यहां श्रावण मास का हर दिन उत्सव से कम नहीं होता और हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है.
हरियाली तीज पर बांके बिहारी का किया गया मनमोहक श्रृंगार
हरियाली तीज पर भगवान श्री बांके बिहारी महराज को झूला झूलाते हुए भक्तजनों को आनंद की प्राप्ति होती है. श्रावण का महिना हरियाली से परिपूर्ण होने से इस महिने में प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है. श्री बांके बिहारी महाराज के मंदिर में यह उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है. हरियाली तीज की संध्या बांके बिहारी जी को मेंहदी लगाई जाती है साथ ही हरी पोशाक पहनाकर मनमोहक श्रृंगार किया जाता है, जो अपनी ओर आकर्षित करता है.
श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है श्रावण मास
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है जिसमें वे सखी सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं, आज भी यह परंपरा बिहारी जू के मंदिर में चली आ रही है. जैसे ही बांके बिहारी जी झूले में विराजमान होते है वैसे ही भक्तों में आराध्य को भक्ति से झूलाने की होड़ लग जाती है और मंदिर के प्रांगण में आस्था की भीड़ उमड़ पड़ती है. दर्शन का यह सिलसिला मध्यरात्रि तक चलता रहता है.