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हरियाली तीज पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, झूले पर विराजे बांके बिहारी

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Published : Aug 4, 2019, 10:39 AM IST

हरियाली तीज हिन्दू संस्कृति में राधा-कृष्ण के मेल का त्योहार माना जाता है, जिसे लोग बड़े ही उल्लास के साथ मनाते है. श्रावण मास का यह त्योहार हरियाली का प्रतीक माना जाता है, जिसे आज भी बिहारी जू के मंदिर में उत्साह के साथ मनाया जाता है.

भक्तों ने मनाया हरियाली का त्योहार

छतरपुर। हिन्दू संस्कृति में सभी त्योहारों को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. सभी त्योहारों का अपना एक अगल उत्साह होता है. ऐसे ही ग्राम कर्री में लगभग दो सौ साल पुराने बिहारी जू के मंदिर में श्रावण मास का अनोखा महत्व है, यहां श्रावण मास का हर दिन उत्सव से कम नहीं होता और हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है.

200 साल पुराने मंदिर में ऐसे मनाते है हरियाली तीज

हरियाली तीज पर बांके बिहारी का किया गया मनमोहक श्रृंगार
हरियाली तीज पर भगवान श्री बांके बिहारी महराज को झूला झूलाते हुए भक्तजनों को आनंद की प्राप्ति होती है. श्रावण का महिना हरियाली से परिपूर्ण होने से इस महिने में प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है. श्री बांके बिहारी महाराज के मंदिर में यह उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है. हरियाली तीज की संध्या बांके बिहारी जी को मेंहदी लगाई जाती है साथ ही हरी पोशाक पहनाकर मनमोहक श्रृंगार किया जाता है, जो अपनी ओर आकर्षित करता है.

श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है श्रावण मास
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है जिसमें वे सखी सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं, आज भी यह परंपरा बिहारी जू के मंदिर में चली आ रही है. जैसे ही बांके बिहारी जी झूले में विराजमान होते है वैसे ही भक्तों में आराध्य को भक्ति से झूलाने की होड़ लग जाती है और मंदिर के प्रांगण में आस्था की भीड़ उमड़ पड़ती है. दर्शन का यह सिलसिला मध्यरात्रि तक चलता रहता है.

छतरपुर। हिन्दू संस्कृति में सभी त्योहारों को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. सभी त्योहारों का अपना एक अगल उत्साह होता है. ऐसे ही ग्राम कर्री में लगभग दो सौ साल पुराने बिहारी जू के मंदिर में श्रावण मास का अनोखा महत्व है, यहां श्रावण मास का हर दिन उत्सव से कम नहीं होता और हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है.

200 साल पुराने मंदिर में ऐसे मनाते है हरियाली तीज

हरियाली तीज पर बांके बिहारी का किया गया मनमोहक श्रृंगार
हरियाली तीज पर भगवान श्री बांके बिहारी महराज को झूला झूलाते हुए भक्तजनों को आनंद की प्राप्ति होती है. श्रावण का महिना हरियाली से परिपूर्ण होने से इस महिने में प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है. श्री बांके बिहारी महाराज के मंदिर में यह उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है. हरियाली तीज की संध्या बांके बिहारी जी को मेंहदी लगाई जाती है साथ ही हरी पोशाक पहनाकर मनमोहक श्रृंगार किया जाता है, जो अपनी ओर आकर्षित करता है.

श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है श्रावण मास
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है जिसमें वे सखी सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं, आज भी यह परंपरा बिहारी जू के मंदिर में चली आ रही है. जैसे ही बांके बिहारी जी झूले में विराजमान होते है वैसे ही भक्तों में आराध्य को भक्ति से झूलाने की होड़ लग जाती है और मंदिर के प्रांगण में आस्था की भीड़ उमड़ पड़ती है. दर्शन का यह सिलसिला मध्यरात्रि तक चलता रहता है.

Intro:हिंदू संस्कृति में नित्य प्रति त्योहार मनाए जाते हैं समय-समय पर मनाए जाने वाले हर त्योहार का अपना एक अलग उल्लास व उत्साह होता है ग्राम कर्री में लगभग दो सौ साल पुराने बिहारी जू के मंदिर में श्रवण मास का अनोखा महत्त्व है श्रवण मास का प्रत्येक दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता किंतु हरियाली तीज का विशेष महत्व हैंBody:*हरियाली तीज पर भगवान को लगाई गई मेहंदी*
हिंदू संस्कृति में नित्य प्रति त्योहार मनाए जाते हैं समय-समय पर मनाए जाने वाले हर त्योहार का अपना एक अलग उल्लास व उत्साह होता है ग्राम कर्री में लगभग दो सौ साल पुराने बिहारी जू के मंदिर में श्रवण मास का अनोखा महत्त्व है श्रवण मास का प्रत्येक दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता किंतु हरियाली तीज का विशेष महत्व है हरियाली तीज पर जगताधीपति श्री बांके बिहारी जी महाराज झूले में झूलते हुए भक्तजनों को अद्भुत आनंद की प्राप्ति कराते हैं श्रावण का महीना हरियाली से परिपूर्ण होता है इस महीने में प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है एक और यह उत्सव आम जनमानस का बिहार तत्व से ओत प्रोत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व है श्री बांके बिहारी जी महाराज के मंदिर में यह उत्सव वर्ष में केवल एक बार मनाया जाता है हरियाली तीज की संध्या को बिहारी जी झूले में विराजमान होते हैं इस दिन बांके बिहारी जी को हरी पोशाक व मनमोहक श्रृंगार धारण कराया जाता है जिसमें बिहारी जी का सुंदर मन को मोहने लगता है और अपनी और आकर्षित करता है
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय मास है जिसमें वे सखी सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं आज भी यह परंपरा बिहारी जू के मंदिर में चली आ रही है ठाकुर जी के श्री विग्रह को झूला झुलाया जाता है
जैसे ही लाडले ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज झूले में विराजते हैं वैसे ही भक्तों में अपने आराध्य को भक्ति की डोर से झुलाने की होड़ लग जाती हैं श्रद्धालुओं के प्रेम का कोई ठिकाना नही रहता हर कोई आराध्य को देख लेने की आशा लिए मंदिर पहुंचता भीड़ देख ऐसे लगने लगता है जैसे मंदिर प्रांगण में आस्था का समुद्र उमड़ पड़ा हो
दर्शन का यह सिलसिला मध्यरात्रि तक चलता रहता है
बाइट-पुजारी बब्लू चौवे
बाइट- ग्रामीण शंभू दयाल अवस्थीConclusion:जैसे ही लाडले ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज झूले में विराजते हैं वैसे ही भक्तों में अपने आराध्य को भक्ति की डोर से झुलाने की होड़ लग जाती हैं श्रद्धालुओं के प्रेम का कोई ठिकाना नही रहता हर कोई आराध्य को देख लेने की आशा लिए मंदिर पहुंचता भीड़ देख ऐसे लगने लगता है जैसे मंदिर प्रांगण में आस्था का समुद्र उमड़ पड़ा हो
दर्शन का यह सिलसिला मध्यरात्रि तक चलता रहता है
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