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खजुराहो के इस मंदिर में है अनोखी प्रतिमा, मूर्ति के पैर भगवान कृष्ण, धड़ विष्णु और सिर भगवान शिव का - Madhya Pradesh News

खजुराहो के चतुर्भुज मंदिर में एक प्रतिमा है, जिसमें मूर्ति के पैर भगवान कृष्ण, धड़ भगवान विष्णु और सिर भगवान शिव का है.

चतुर्भुज मंदिर में विराजमान है अनोखी प्रतिमा
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Published : Jun 24, 2019, 9:48 AM IST

Updated : Jun 24, 2019, 9:58 AM IST

छतरपुर। वैसे तो पूरी दुनिया में भगवान शिव और विष्णु भगवान की अलग-अलग तरह की हजारों प्रतिमाएं हैं, लेकिन आज हम आपको खजुराहो के चतुर्भुज मंदिर में मौजूद एक विशेष प्रतिमा के बारे बताएंगे, जो न केवल अनोखी है, बल्कि पूरे विश्व में ऐसी प्रतिमा आपको देखने को नहीं मिलेगी. इस प्रतिमा की खासियत ये है कि यहां एक ही प्रतिमा में भगवान कृष्ण, शिव और विष्णु हैं.

चतुर्भुज मंदिर में ये अनोखी प्रतिमा
⦁ ये मंदिर खजुराहो से थोड़ा दूर जटकरा गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है.
⦁ यह मंदिर बलुआ पत्थर का बना हुआ है.
⦁ इस मंदिर के गर्भ गृह में जो प्रतिमा है, यह खजुराहो की सबसे बड़ी प्रतिमाओं में से एक है.
⦁ यह प्रतिमा 3 देवताओं के स्वरूप को मिलाकर बनाई गई है.
⦁ मूर्ति के पैर भगवान कृष्ण के हैं, धड़ भगवान विष्णु का है और सिर भगवान शिव का है.

चतुर्भुज मंदिर में एक अनोखी प्रतिमा है विराजमान

ये है प्रतिमा की खासियत
इस मंदिर की खासियत यह है कि जब सूर्यास्त होता है, तो डूबता हुआ सूरज इस प्रतिमा को नमन करते हुए अस्त होता है. यह खजुराहो का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां डूबते हुए सूरज की किरणें इस प्रतिमा के चरणों को छूते हुए जाती है और उसके बाद सूर्य अस्त हो जाता है.

चतुर्भुज मंदिर में एक अनोखी प्रतिमा है विराजमान

एकमात्र सबसे बड़ी प्रतिमा
वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो ये खजुराहो की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जो सबसे लंबी है. यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां कृष्ण, विष्णु और शिव के तीनों रूपों को एक साथ मिलाकर प्रतिमा बनाई गई है.

छतरपुर। वैसे तो पूरी दुनिया में भगवान शिव और विष्णु भगवान की अलग-अलग तरह की हजारों प्रतिमाएं हैं, लेकिन आज हम आपको खजुराहो के चतुर्भुज मंदिर में मौजूद एक विशेष प्रतिमा के बारे बताएंगे, जो न केवल अनोखी है, बल्कि पूरे विश्व में ऐसी प्रतिमा आपको देखने को नहीं मिलेगी. इस प्रतिमा की खासियत ये है कि यहां एक ही प्रतिमा में भगवान कृष्ण, शिव और विष्णु हैं.

चतुर्भुज मंदिर में ये अनोखी प्रतिमा
⦁ ये मंदिर खजुराहो से थोड़ा दूर जटकरा गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है.
⦁ यह मंदिर बलुआ पत्थर का बना हुआ है.
⦁ इस मंदिर के गर्भ गृह में जो प्रतिमा है, यह खजुराहो की सबसे बड़ी प्रतिमाओं में से एक है.
⦁ यह प्रतिमा 3 देवताओं के स्वरूप को मिलाकर बनाई गई है.
⦁ मूर्ति के पैर भगवान कृष्ण के हैं, धड़ भगवान विष्णु का है और सिर भगवान शिव का है.

चतुर्भुज मंदिर में एक अनोखी प्रतिमा है विराजमान

ये है प्रतिमा की खासियत
इस मंदिर की खासियत यह है कि जब सूर्यास्त होता है, तो डूबता हुआ सूरज इस प्रतिमा को नमन करते हुए अस्त होता है. यह खजुराहो का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां डूबते हुए सूरज की किरणें इस प्रतिमा के चरणों को छूते हुए जाती है और उसके बाद सूर्य अस्त हो जाता है.

चतुर्भुज मंदिर में एक अनोखी प्रतिमा है विराजमान

एकमात्र सबसे बड़ी प्रतिमा
वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो ये खजुराहो की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जो सबसे लंबी है. यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां कृष्ण, विष्णु और शिव के तीनों रूपों को एक साथ मिलाकर प्रतिमा बनाई गई है.

Intro: वैसे तो पूरी दुनिया में भगवान शिव एवं विष्णु भगवान की अलग-अलग प्रकार की हजारों प्रतिमाएं हैं लेकिन आज हम आपको जिस प्रतिमा के बारे में बताने जा रहे हैं वह अपने आप में न सिर्फ अनोखी है बल्कि पूरे विश्व में इसके जैसी कोई दूसरी प्रतिमा आपको देखने को नहीं मिलेगी इस प्रतिमा में भगवान कृष्ण भगवान विष्णु एवं भगवान शिव एक साथ मौजूद है यह प्रतिमा संदेश देती है कि भले ही भगवान के रूप विभिन्न विभिन्न हो सकते हैं लेकिन परमात्मा केवल एक है|


Body:खजुराहो के चतुर्भुज मंदिर में मौजूद एक प्रतिमा अपने आप में न सिर्फ अजूबा है बल्कि जिस मंदिर में प्रतिमा को रखा गया है वह मंदिर भी अपने आप में खजुराहो के तमाम मंदिरों से अलग है|

यह मंदिर खजुराहो से थोड़ा दूर जटकरा गांव से लगभग आधा किलोमीटर दक्षिण में स्थित है यह मंदिर बलुआ पत्थर का बना हुआ है| इस मंदिर के गर्भ गृह में जो प्रतिमा है यह खजुराहो की सबसे बड़ी प्रतिमाओं में से एक है यह प्रतिमा 3 देवताओं के स्वरूप को मिलाकर बनाई गई है मूर्ति के पैर भगवान कृष्ण के हैं धड़ भगवान विष्णु का है एवं सिर भगवान शिव का है यह एकमात्र ऐसी मूर्ति है जिसे 3 देवताओं के स्वरूपों को मिलाकर बनाया गया है इस मंदिर की खासियत यह है कि जब सूर्यास्त होता है तो डूबता हुआ सूरज इस प्रतिमा को नमन करते हुए अस्त होता है कहने का तात्पर्य है की यह खजुराहो का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां डूबते हुए सूरज की किरणें इस प्रतिमा के चरणों को छूते हुए जाती हैं और उसके बाद सूर्य अस्त हो जाता है|!

इस मंदिर की एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि मंदिर की दीवारों पर एक भी कामुक कलाकृतियां आपको नहीं दिखाई देगी जबकि खजुराहो के अन्य सभी मंदिरों की दीवारों पर कामुक कलाकृतियां उकेरी गई है|

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खजुराहो की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जो सबसे बड़ी एवं लंबी है पहले लोग इसे भगवान विष्णु का मंदिर समझते थे लेकिन बाद में लोगों को यह ज्ञात हुआ कि यह भगवान शिव का मंदिर है यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां तीनों रूपों को एक साथ मिलाकर बनाया गया है|

इस मंदिर के बनाने के पीछे स्थानीय लोगों का मत है कि पहले खजुराहो में शिव एवं वैष्णव पंथ के लोग रहा करते थे काफी समय पहले इन दोनों के बीच टकराव हुआ जिसके वजह से राजा भ्रमण ने इस बाम मुखी मंदिर का निर्माण कराया था इस प्रतिमा के जरिए यह संदेश भी दिया गया कि भले ही भगवान के स्वरूप अलग अलग हो लेकिन परमात्मा एक ही है|






Conclusion: चतुर्भुज मंदिर खजुराहो के तमाम मंदिरों से एकदम अलग एवं अनूठा मंदिर है सूर्यास्त के समय इसकी सुंदरता देखते ही बनती है जैसे ही सूर्यास्त होता है सूर्य की किरणें इस मंदिर के अंदर रखी हुई प्रतिमा के पैरों को छूती हुई दिखाई देती है जो अपने आप में एक अनोखा नजारा होता है|
Last Updated : Jun 24, 2019, 9:58 AM IST
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