छतरपुर। गौरिहार क्षेत्र के परसनियां गांव का निवासी दिव्यांग युवक अंशुल गौड़ लगातार अनुकंपा नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग सहित जिले के आला अधिकारियों के चक्कर काट रहा है. लेकिन तकनीकी कमियों को गिनाकर उसे वर्ष 2016 से अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पा रही है. इस समस्या को लेकर इक बार फिर अंशुल कलेक्टर कार्यालय में गुहार लगाने पहुंचा. इस बार उसकी पत्नी ने अंशुल को गोद में उठाकर कार्यालय पहुंची थी. लेकिन फिर भी अधिकारियों ने सिर्फ आश्वासन दिया.
- क्या है मामला
ग्राम परसनियां निवासी अंशुल गौड़ मां गौरिहार विकासखण्ड के शासकीय हाईस्कूल कितपुरा में अध्यापक के तौर पर पदस्थ थीं. वर्ष 2015 में आग में जल जाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी. वर्ष 2016 में अंशुल ने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण कर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, लेकिन उसे आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई. प्रावधान के मुताबिक विभाग के प्रचलित भर्ती नियमों में शैक्षणिक योग्यता रखने वाले अध्यापक संवर्ग और नियमित शासकीय शिक्षक संवर्गीय दिवंगत कर्मचारियों को प्रयोगशाला शिक्षक के रिक्त पदों पर अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है. लेकिन फिर भी अंशुल को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पा रही है. इस संबंध में अंशुल पिछले 6 महीने से परेशान है. वह दो बार कलेक्टर और एसडीएम के अलावा जिला शिक्षा अधिकारी से भी अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की मांग कर चुका है.
- तकनीकी समस्या के कारण नहीं मिली नियुक्ति
जिला शिक्षा अधिकारी संतोष शर्मा ने विगत दिनों कलेक्टर की जनसुनवाई में अंशुल की शिकायत की जांच कराई थी. इस जांच में पता लगा कि अनुकंपा नियुक्ति संबंधी प्रावधानों में आश्रितों को पात्रता न होने या उम्र कम होने की दशा में दो विकल्प दिए जाते हैं. या तो वे 7 वर्षों के ग्रेस पीरियड में अपनी पात्रता और उम्र को पूरा कर लें अथवा विभाग से एकमुश्त रकम लेकर सहमति पत्र दे दें. अंशुल के प्रकरण में उन्होंने 5 साल पहले ही एकमुश्त एक लाख रुपए की राशि प्राप्त कर ली थी. अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का रास्ता तभी बंद हो गया था. फिलहाल इस संबंध में न तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और न ही कलेक्टर कार्यालय अनुकंपा नियुक्ति दे सकता है.