छिंदवाड़ा। दीपावली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद नरक चौदस मनाई जाती है. इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं. आखिर क्यों मनाते हैं नरक चौदस और क्या है इसका महत्व, हम आपको बताते हैं.
पुराणों में कहा गया है कि दिवाली के 1 दिन पहले नरक चौदस मनाई जाती है. इस दिन यमराज की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति सूर्योदय से पहले तिल का तेल लगाकर अपामार्ग (पौधा) यानि कि चिचिंटा या लट जीरा की पत्तियां पानी में डालकर स्नान करता है, उसे यमराज की विशेष कृपा मिलती है. ऐसे व्यक्ति को नरक जाने से मुक्ति मिलती है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.
पंडित अरुण कुमार मिश्रा बताते हैं कि नरक चौदस यानि छोटी दिवाली के दिन लोग घरों में रखी पुरानी लक्ष्मी जी की मूर्ति को विसर्जित करते हैं और इसी दिन नई मिट्टी की मूर्ति लाने का रिवाज है, जिसका पूजन दिवाली के दिन किया जाता है.
इस बार नरक चतुर्दशी 26 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और 27 अक्टूबर को दिवाली के दिन दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी.