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मानवता शर्मसार: प्रसूता को अस्पताल से निकाला बाहर, ETV भारत की मदद से किया भर्ती - etv bahrat mp news

छतरपुर में शासकीय अस्पताल में एक गर्भवति महिला को दर्द से कराहते हुए अस्पताल के बाहर निकाल दिया. दो घंटे तक महिला बाहर तड़पती रही, लेकिन डॉक्टरों ने इस कोई सुध नहीं ली, लेकिन जब ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने अस्पताल प्रबंधन से बात की उसके तुरंत बाद महिला को मेटरनिटी वार्ड में भर्ती किया गया.

महिला को मिला इलाज
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Published : Oct 8, 2019, 11:09 AM IST

छतरपुर। जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल से एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां पति के साथ आई प्रसूता को डॉक्टरों ने बाहर निकाल दिया. दो घंटे तक प्रसूता दर्द से अस्पताल के बाहर कराहती रही. इस बीच गर्भवती महिला का पति और उसके परिजन लगातार डॉक्टरों के हाथ पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की.

महिला को मिला इलाज

पीड़ित महिला के पति जागेश्वर ने बताया कि डॉक्टर का कहना है कि, उसकी पत्नी के शरीर में ब्लड की कमी है और जल्दी ही खून का इंतजाम करने को कहा. पीड़ित ने बताया कि उसके माता- पति ब्लड बैंक के लगातार चक्कर लगाते रहे, लेकिन ब्लड बैंक अधिकारियों ने उनका खून लेने से मना कर दिया. अधिकारियों का कहना था कि उसकी मां पिता और खुद जागेश्वर अपना खून देने के लायक नहीं है. जब गर्भवती महिला से बात की तो पता चला कि महिला दिव्यांग है और उसे कम सुनाई देता है.

जिस वक्त जागेश्वर एवं उसकी पत्नी राजकुमारी वार्ड के बाहर बैठी थी और दर्द से तड़प रही थी, तभी ईटीवी भारत की टीम ने जब सिविल सर्जन एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उन्होंने तुरंत सहयोग करने की बात कहते हुए जल्द से जल्द पीड़ित गर्भवती को रक्त मुहैया कराने की बात कही. जिसके बाद तुरंत मेटरनिटी वार्ड में गर्भवती महिला को भर्ती किया गया.

चौंकाने वाली बात यह रही कि, जिस गर्भवती महिला को डॉक्टर एवं नर्सों ने खून की कमी बताकर बाहर निकाल दिया था बाद में उस महिला को ना तो खून की कमी निकली और ना ही उसका कोई ऑपरेशन हुआ.
मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि हो सकता है जिस वक्त डॉक्टरों ने उस गर्भवती महिला को देखा हो उस वक्त से रक्त की कमी हो इसलिए एहतियात के तौर पर खून की व्यवस्था करने के लिए उसके पति को कह दिया गया हो, लेकिन जब बाद में उसे जरूरत नहीं लगी तो रक्त नहीं मंगाया गया होगा.

छतरपुर। जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल से एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां पति के साथ आई प्रसूता को डॉक्टरों ने बाहर निकाल दिया. दो घंटे तक प्रसूता दर्द से अस्पताल के बाहर कराहती रही. इस बीच गर्भवती महिला का पति और उसके परिजन लगातार डॉक्टरों के हाथ पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की.

महिला को मिला इलाज

पीड़ित महिला के पति जागेश्वर ने बताया कि डॉक्टर का कहना है कि, उसकी पत्नी के शरीर में ब्लड की कमी है और जल्दी ही खून का इंतजाम करने को कहा. पीड़ित ने बताया कि उसके माता- पति ब्लड बैंक के लगातार चक्कर लगाते रहे, लेकिन ब्लड बैंक अधिकारियों ने उनका खून लेने से मना कर दिया. अधिकारियों का कहना था कि उसकी मां पिता और खुद जागेश्वर अपना खून देने के लायक नहीं है. जब गर्भवती महिला से बात की तो पता चला कि महिला दिव्यांग है और उसे कम सुनाई देता है.

जिस वक्त जागेश्वर एवं उसकी पत्नी राजकुमारी वार्ड के बाहर बैठी थी और दर्द से तड़प रही थी, तभी ईटीवी भारत की टीम ने जब सिविल सर्जन एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उन्होंने तुरंत सहयोग करने की बात कहते हुए जल्द से जल्द पीड़ित गर्भवती को रक्त मुहैया कराने की बात कही. जिसके बाद तुरंत मेटरनिटी वार्ड में गर्भवती महिला को भर्ती किया गया.

चौंकाने वाली बात यह रही कि, जिस गर्भवती महिला को डॉक्टर एवं नर्सों ने खून की कमी बताकर बाहर निकाल दिया था बाद में उस महिला को ना तो खून की कमी निकली और ना ही उसका कोई ऑपरेशन हुआ.
मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि हो सकता है जिस वक्त डॉक्टरों ने उस गर्भवती महिला को देखा हो उस वक्त से रक्त की कमी हो इसलिए एहतियात के तौर पर खून की व्यवस्था करने के लिए उसके पति को कह दिया गया हो, लेकिन जब बाद में उसे जरूरत नहीं लगी तो रक्त नहीं मंगाया गया होगा.

Intro:छतरपुर जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल से एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है जहां अपने पति के साथ डिलीवरी कराने आई एक महिला को डॉक्टरों ने बाहर निकाल दिया 2 घंटे तक प्रसूता दर्द से बाहर कराहती रही इस बीच गर्भवती महिला का पति एवं उसके परिजन लगातार डॉक्टरों के हाथ पैर जोड़ते रहे लेकिन किसी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की!


Body: गढ़ीमलहरा के पास के 1 गांव से अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए लेकर आये जागेश्वर को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ा जब मेटरनिटी वार्ड की डॉक्टर एवं नर्सों ने उसकी पत्नी को वार्ड के बाहर निकाल दिया!

लगभग 2 घंटे तक जागेश्वर एवं उसकी पत्नी वार्ड के बाहर बैठी रही इस बीच उसकी पत्नी प्रसव पीड़ा से लगातार कराह रही थी लेकिन किसी ने भी उसकी मदत नही की!

जागेश्वर से जब उसकी पत्नी को वार्ड से बाहर निकालने की वजह पूछी तो उसने बताया कि डॉक्टर का कहना है कि उसकी पत्नी के शरीर में ब्लड की कमी है और जल्द से जल्द का बंदोबस्त करो जागेश्वर का कहना है कि वह उसकी मां एवं उसके पिता ब्लड बैंक में लगातार चक्कर लगाते रहे लेकिन ब्लड बैंक के अधिकारियों ने उनका खून लेने से मना कर दिया अधिकारियों का कहना था कि उसकी मां पिता एवं खुद जागेश्वर अपना खून देने के लायक नहीं है!

बाइट_जागेश्वर पीड़िता का पति

हमने गर्भवती महिला से बात करने की कोशिश की पता चला महिला दिव्यांग है और उसे कम सुनाई देता है यही वजह रही कि राजकुमारी ठीक से अपनी पीड़ा को नहीं बता पाई!

बाइट_राजकुमारी
बाइट_सरोज पीड़िता की सास


●ईटीवी भारत की मदत से सुरु हो सका इलाज●

जिस वक्त जागेश्वर एवं उसकी पत्नी राजकुमारी वार्ड के बाहर बैठी थी और दर्द से तड़प रही थी तभी ईटीवी भारत की टीम ने न सिर्फ उसकी मदत की बल्कि मुफ्त रक्त की व्यबस्था भी कराई!

मामले में जब हमने सिविल सर्जन एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उन्होंने तुरंत सहयोग करने की बात कहते हुए संबंधित अधिकारियों से ना सिर्फ पाद की बल्कि जल्द से जल्द पीड़ित गर्भवती को रक्त मुहैया कराने की बात कही लगभग 1 घंटे तक हमने जागेश्वर एवं उसकी पत्नी के लिए जिला अस्पताल के अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों के साथ भागदौड़ की तब जाकर एक बार फिर मेटरनिटी वार्ड में गर्भवती महिला को भर्ती करा इलाज शुरू किया गया!

चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस गर्भवती महिला को डॉक्टर एवं नर्सों ने खून की कमी बताकर बाहर निकाल दिया था बाद में उस महिला को ना तो खून की कमी निकली और ना ही उसका कोई ऑपरेशन हुआ!!

मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि हो सकता है जिस वक्त डॉक्टरों ने उस गर्भवती महिला को देखा हो उस वक्त से रक्त की कमी हो इसलिए एहतियात के तौर पर खून की व्यवस्था करने के लिए उसके पति को कह दिया गया हो लेकिन जब बाद में उसे जरूरत नहीं लगी तो रक्त नहीं मंगाया गया होगा!

बाइट_सिविल सर्जन एच एस त्रिपाठी










Conclusion:मामले में भले ही सिविल सर्जन अस्पताल प्रबंधन एवं डॉक्टरों का बचाव कर रहे हो लेकिन हकीकत यह है कि मेटरनिटी वार्ड से रजनी को नसीर बाहर निकाल दिया गया था बल्कि उसे जिला अस्पताल से बाहर जाने के लिए भी कह दिया गया था जैसे ही बात मिजा के संज्ञान में आई ना तो महिला को ब्लड की आवश्यकता हुई और बाद में उसका इलाज भी शुरू कर दिया गया!
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