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इस पहाड़ पर हर पत्थर के नीचे मिलते हैं बिच्छू, ग्रामीण मानते हैं चमत्कार

खजुराहो का नाम सुनते ही वहां की कलाकृतियों के दीदार की उत्सुकता मन में होना लाजिमी है, पर जिक्र जब बिच्छू की हो तो नाम सुनकर ही पसीने छूट जाते हैं, ऐसी ही एक पहाड़ी है, जिसे उसके आस पास के लोग बिच्छू वाली पहाड़ी के नाम से जानते हैं. जहां हर दूसरे पत्थर के नीचे बिच्छू मिल जाते हैं.

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Published : Jul 29, 2019, 7:38 PM IST

बिच्छू वाली पहाड़ी

छतरपुर। सांप-बिच्छू का नाम सुनते ही कितनों के हलक सूख जाते हैं, लेकिन वैश्विक पर्यटन नगरी खजुराहो से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसी पहाड़ी है, जिसे आसपास के लोग बिच्छू वाली पहाड़ी के नाम से जानते हैं क्योंकि इस पहाड़ी पर करीब हर पत्थर के नीचे आपको बेहद जहरीले बिच्छू मिल जायेंगे, जबकि पास की दूसरी पहाड़ियों पर बिच्छू का नामोनिशान तक नहीं है.

बिच्छू वाली पहाड़ी

इस पहाड़ी पर बिच्छू मिलने के किस्से तो दशकों से लोग सुनते आ रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर दूर-दराज के काफी लोगों ने भी तस्दीक की. जहां उन्हें भी ज्यादातर पत्थर के नीचे बिच्छू मिले. इस पहाड़ी पर बिच्छू पाये जाने की कोई ठोस वजह किसी के पास नहीं है, इसलिए ज्यादातर लोग इसे चमत्कार मानते हैं. प्रोफेसर पुष्पेंद्र खरे ने बताया कि ग्रामीण इसे चमत्कार ही मानते हैं क्योंकि इसमें कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है.

बिच्छू वाली पहाड़ी के बारे में जानने के बाद कुछ लोग वहां जाने से खुद को रोक नहीं पाते, लेकिन वहां पहुंचने के बाद भी खौफजदा रहते हैं, इसलिए हर कदम फूंक फूंक कर रखते हैं, जबकि ज्यादातर लोग तो बिच्छू होने की बात सुनकर ही वहां जाने से तौबा कर लेते हैं.

छतरपुर। सांप-बिच्छू का नाम सुनते ही कितनों के हलक सूख जाते हैं, लेकिन वैश्विक पर्यटन नगरी खजुराहो से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसी पहाड़ी है, जिसे आसपास के लोग बिच्छू वाली पहाड़ी के नाम से जानते हैं क्योंकि इस पहाड़ी पर करीब हर पत्थर के नीचे आपको बेहद जहरीले बिच्छू मिल जायेंगे, जबकि पास की दूसरी पहाड़ियों पर बिच्छू का नामोनिशान तक नहीं है.

बिच्छू वाली पहाड़ी

इस पहाड़ी पर बिच्छू मिलने के किस्से तो दशकों से लोग सुनते आ रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर दूर-दराज के काफी लोगों ने भी तस्दीक की. जहां उन्हें भी ज्यादातर पत्थर के नीचे बिच्छू मिले. इस पहाड़ी पर बिच्छू पाये जाने की कोई ठोस वजह किसी के पास नहीं है, इसलिए ज्यादातर लोग इसे चमत्कार मानते हैं. प्रोफेसर पुष्पेंद्र खरे ने बताया कि ग्रामीण इसे चमत्कार ही मानते हैं क्योंकि इसमें कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है.

बिच्छू वाली पहाड़ी के बारे में जानने के बाद कुछ लोग वहां जाने से खुद को रोक नहीं पाते, लेकिन वहां पहुंचने के बाद भी खौफजदा रहते हैं, इसलिए हर कदम फूंक फूंक कर रखते हैं, जबकि ज्यादातर लोग तो बिच्छू होने की बात सुनकर ही वहां जाने से तौबा कर लेते हैं.

Intro:विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है ग्रामीणों के लिए यह पहाड़ी लंबे समय से कौतूहल का विषय बनी हुई है ग्रामीण इस पहाड़ी को बिच्छू पहाड़ी के नाम से बुलाते हैंBody:*बिच्छू पहाड़ी*

आखिर क्यों पत्थर उठाते ही मिल रहे है बिच्छू! हर दूसरे और तीसरे पत्थरों के नीचे मिल जाते है जहरीले बिच्छू! बिच्छुओं का इलाका कहलाता हैं यहाँ बिच्छू पहाड़ी
हमारे देश में कई तरह के रीति रिवाज से लेकर कई अनोखी रस्में भी देखने को मिल जाती हैं। जहां आप में से ज्यादातर लोग बिच्छू को देखकर भाग जाते हैं वहीं एक ऐसा गांव है
जो विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है ग्रामीणों के लिए यह पहाड़ी लंबे समय से कौतूहल का विषय बनी हुई है ग्रामीण इस पहाड़ी को बिच्छू पहाड़ी के नाम से बुलाते हैं
दिलचस्‍प बात यहां लोग बिच्छुओं की खोज। नही करते बल्की बिच्छु ही लोगो की खोज कर लेते हैं यहाँ जहरीले बिच्छु अधिक पाये जाते हैं सायद एक कारन ये भी हो सकता हैं
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है हम अपने पूर्वजों से सुनते आ रहे इस पहाड़ी के बारे में और साथ ही हम देखने भी गए हमने इस पहाड़ी पर अधिक मात्रा में बिच्छुओं को देखा
ग्रामीण इसे चमत्कार मानते हैं
वही प्रोफेसर पुष्पेंद्र खरे का कहना है की ग्रामीण इसे चमत्कार ही कह सकते हैं जो कि इसमें कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है और साथ ही दूसरी पहाड़ी ना जाने का मूल कारण नजदीक कोई और पहाड़ ना होना बताया
बाइट -प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र खरेConclusion:वही प्रोफेसर पुष्पेंद्र खरे का कहना है की ग्रामीण इसे चमत्कार ही कह सकते हैं जो कि इसमें कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है और साथ ही दूसरी पहाड़ी ना जाने का मूल कारण नजदीक कोई और पहाड़ ना होना बताया
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