छतरपुर। वैसे तो इंसान का जानवर से प्यार करना कोई नई बात नहीं है. युगों से इंसान पशुओं से प्यार करता रहा है. दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो जानवरों से बेहद प्यार करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी है जो जानवरों से ऐसे प्यार करते है जैसे उनके परिवार का ही सदस्य हो. ऐसा ही कुछ वि्श्व पर्यटन नगरी खजुराहो में देखने को मिला. जहां एक इंसान और जानवर का प्यार अपने आप में अनूठा है.
अपने बच्चे की तरह करते है प्यार
25 सालों से लगातार पर्यटन के लिए काम कर रहे रामराजा सोनी के पास अपना एक ऊंट है. जिससे उनका रोजगार चल रहा है, लेकिन कोरोना काल में सैलानियों के नहीं आने से उनका रोजगार ठप पड़ा है. जिससे उनके आगे परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है. रामराजा सोनी बताते हैं कि ये ऊंट उनका परिवार का बेहद अहम सदस्य हैं. जिसे वो अपने बच्चे की तरह प्यार करते हैं और उसका पालन पोषण भी वैसे ही करते हैं. ऐसे मुश्किल घड़ी में जब परिवार के आगे खाने के लाले पड़े है. तब भी वो अपने प्यारे ऊंट के खाने का पूरा ख्याल रखते हैं.
पर्यटकों के न आने से भुखमरी की कगार पर खजुराहो
विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो की छवि जो विश्व पटल पर बनी हुई हैं वह आज कोरोना के चलते भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है. जहां देश विदेश से लोग हजारों की तादाद में पर्यटन के लिए आते थे और यहां के लोगों को उनसे रोजगार प्राप्त होता था. पर आज यहां के लोग बेरोजगारी के चलते भुखमरी जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं. जबकि यहां के शासन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. यहां के मंदिर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का एकमात्र केंद्र ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से शांति का प्रतीक भी हैं.