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9वीं शताब्दी का 64 योगिनी मंदिर विलुप्ति की कगार पर, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर 64 योगिनी आवारा पशुओं का डेरा बनता जा रहा है, लेकिन प्रशासन इस प्राचीन मंदिर की ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन इस मंदिर की स्थिति खराब होती जी रही है.

9 शताब्दी का 64 योगिनी मंदिर विलुप्ति की कगार पर
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Published : Nov 18, 2019, 12:41 PM IST

Updated : Nov 18, 2019, 12:52 PM IST

छतरपुर। खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर 64 योगिनी न जाने कितनी ही ऐतिहासिक कहानियों को अपने आप में समेटे हुए है. 9वीं शताब्दी के इस मंदिर में कहने को तो यह सिर्फ कुछ मड़ियां लेकिन इसके पीछे के इतिहास में कई कहानियां छुपी हुई हैं. इसमें से एक यह भी है कि अमावस्या की रात को 64 योगिनी आसमान से उतरकर यहां पर योग एवं तंत्र साधना करती हैं. यही वजह है कि इस जगह को चौसठ योगिनी मंदिर कहा जाता है. तंत्र साधना करने वाले लोगों के लिए यह स्थान बेहद प्रसिद्ध है. दूर दराज से लोग यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं. यह खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है.

9 शताब्दी का 64 योगिनी मंदिर प्रशासन की लापरवाही की वजह से खड़ा विलुप्ति की कगार पर


लेकिन यह इस मंदिर का दुर्भाग्य कहें या प्रशासन की अनदेखी...आज यह मंदिर असतित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. इस मंदिर पर बनी छोटी-छोटी मड़ियां ध्वस्त होती जा रही हैं. पहले इस मंदिर में चौसठ मड़ियां हुआ करती थी. आज के समय में केवल 42 मड़ियां ही बची हैं और ये भी विलुप्ती की कगार पर हैं. आलम ये है कि यह प्राचीन मंदिर आवारा पशुओं का डेरा बनता जा रहा है, लेकिन प्रशासन अपनी आंख में पट्टी बांधे बैठा हुआ है. चौसठ योगिनी में बने मंदिरों के गर्भ गृह में कुत्तों का बैठना दर्शाता है कि आखिर पुरातत्व विभाग इस प्राचीनतम मंदिर के प्रति कितना उदासीन है.


शोधकर्ता डॉ अर्चना श्रीवास्तव बताती हैं कि लगभग 10 साल पहले जब वह इस मंदिर में आई थीं तो इस मंदिर की स्थिति बेहतर थी और मंदिर में कुल 56 मड़ियां थी. आज के समय में यहां केवल 42 मड़ियां ही बची हुई हैं और उनकी भी हालत खराब हो चुकी है. आज खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

छतरपुर। खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर 64 योगिनी न जाने कितनी ही ऐतिहासिक कहानियों को अपने आप में समेटे हुए है. 9वीं शताब्दी के इस मंदिर में कहने को तो यह सिर्फ कुछ मड़ियां लेकिन इसके पीछे के इतिहास में कई कहानियां छुपी हुई हैं. इसमें से एक यह भी है कि अमावस्या की रात को 64 योगिनी आसमान से उतरकर यहां पर योग एवं तंत्र साधना करती हैं. यही वजह है कि इस जगह को चौसठ योगिनी मंदिर कहा जाता है. तंत्र साधना करने वाले लोगों के लिए यह स्थान बेहद प्रसिद्ध है. दूर दराज से लोग यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं. यह खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है.

9 शताब्दी का 64 योगिनी मंदिर प्रशासन की लापरवाही की वजह से खड़ा विलुप्ति की कगार पर


लेकिन यह इस मंदिर का दुर्भाग्य कहें या प्रशासन की अनदेखी...आज यह मंदिर असतित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. इस मंदिर पर बनी छोटी-छोटी मड़ियां ध्वस्त होती जा रही हैं. पहले इस मंदिर में चौसठ मड़ियां हुआ करती थी. आज के समय में केवल 42 मड़ियां ही बची हैं और ये भी विलुप्ती की कगार पर हैं. आलम ये है कि यह प्राचीन मंदिर आवारा पशुओं का डेरा बनता जा रहा है, लेकिन प्रशासन अपनी आंख में पट्टी बांधे बैठा हुआ है. चौसठ योगिनी में बने मंदिरों के गर्भ गृह में कुत्तों का बैठना दर्शाता है कि आखिर पुरातत्व विभाग इस प्राचीनतम मंदिर के प्रति कितना उदासीन है.


शोधकर्ता डॉ अर्चना श्रीवास्तव बताती हैं कि लगभग 10 साल पहले जब वह इस मंदिर में आई थीं तो इस मंदिर की स्थिति बेहतर थी और मंदिर में कुल 56 मड़ियां थी. आज के समय में यहां केवल 42 मड़ियां ही बची हुई हैं और उनकी भी हालत खराब हो चुकी है. आज खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

Intro:(EXCLUSIVE)

आज हम आपको ईटीवी भारत के माध्यम से एक ऐसी खबर दिखाने जा रहे हैं जिसे देख कर आप न सिर्फ चौक जाएंगे बल्कि हैरान हो जाएंगे खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर 64 योगिनी अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रहा है आने वाले सालों में शायद यह मंदिर पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा और आने कुछ समय बाद हम इस मंदिर के बारे में सिर्फ किताबों में ही पड़ेंगे!


Body: विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक चौसठ योगिनी मंदिर इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है आलम यह है कि धीरे धीरे इस मंदिर पर बनी छोटी-छोटी मड़ियाँ ध्वस्त होती जा रही है पहले इस मंदिर में चौसठ मड़ियाँ हुआ करती थी लेकिन धीरे धीरे लगातार यह मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है!

जिससे इस मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है यह मंदिर 9 वीं शताब्दी के आसपास का बताया जाता है इस मंदिर से जुड़ी हुई एक कहानी यह भी है कि लोग बताते हैं कि अमावस्या की रात को 64 योगिनी या आसमान से उतरकर यहां पर योग एवं तंत्र साधना करती हैं यही वजह है कि इस जगह को चौसठ योगिनी मंदिर कहा जाता है!

तंत्र साधना करने वाले लोगों के लिए यह स्थान बेहद प्रसिद्ध है दूर देश से लोग यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं यह खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है लेकिन अब यह मंदिर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है मंदिरों के अंदर कुत्ते बैठे हुए देखे जा सकते हैं!

ईटीवी भारत ने जब ग्राउंड जीरो से इस खबर की तहकीकात की हकीकत वास्तव में चौंकाने वाली थी मंदिर के प्रांगण में जो 64 छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं वह लगातार धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं मंदिरों के अंदर कुत्ते बैठे हुए दिखाई दे रहे थे पुरातत्व विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है जबकि यह सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है और पुरातत्व विभाग के प्रमुख मंदिरों में यह शामिल है!

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एवं शोधकर्ता अनामिका राय बताती है कि आने वाले समय में चौसठ योगिनी नाम का खजुराहो में कोई मंदिर नहीं बचेगा जिस तरह से पुरातत्व विभाग इस मंदिर की अनदेखी कर रहा है यह बेहद निंदनीय है 10 साल पहले हम लोग इस मंदिर में आए थे तब यह मंदिर आज की अपेक्षा काफी ठीक था लेकिन धीरे-धीरे यहां बने चौसठ योगिनी यों के जो अलग-अलग मंदिर हैं वह खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं आने वाले समय में इसी तरह चलता रहा तो खजुराहो में चौसठ योगिनी नाम का कोई मंदिर नहीं बचेगा लोग सिर्फ इसे किताबों में ही पढ़ेंगे अनामिका राय बताती हैं कि वह लगातार इस मंदिर को लेकर चिंतित हैं जितने बार भी वह खजुराहो आती है लगातार इस मंदिर को देखती हैं मंदिर के अंदर कुत्तों आवारा पशुओं का घूमना फिरना रहता है लोगों ने उसे पिकनिक स्पॉट बना रखा है जबकि इस मंदिर के अंदर इस तरह की किसी भी गतिविधियों सख्त तरह से मना होना चाहिए और यह पुरातत्व विभाग की गाइडलाइन भी है यह मंदिर खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है और पुरातत्व विभाग में शामिल है खजुराहो में तीन मंदिर की सबसे प्रसिद्ध माने जाते हैं कंदारिया मंदिर मातंगेश्वर मंदिर और चौसठ योगिनी मंदिर!


बाइट_अनामिका राय प्रोफ़ेसर एवं शोधकर्ता(इलाहाबाद यूनिवर्सिटी)

एक दूसरी शोधकर्ता डॉ अर्चना श्रीवास्तव बताती हैं कि लगभग 10 साल पहले इस मंदिर में आई थी और उन्होंने देखा था कि उस समय इस मंदिर की स्थिति पहले से बेहतर थी लेकिन अब धीरे-धीरे मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है पुरातत्व विभाग और किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह मंदिर खंडहर में तब्दील हो जाएगा!

बाइट_डॉ अर्चना श्रीवास्तव (इलाहाबाद)

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टिंग ने भी चौसठ योगिनी मंदिर से जुड़े कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं मंदिर के अंदर कुत्तों का बैठना गर्भ गृह में जानवरों का घोषणा पॉलिथीन एवं अन्य सामानों का वहां पाया जाना यह दर्शाता है कि धीरे-धीरे यह मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है!



Conclusion:चौसठ योगिनी में बने मंदिरों के गर्भ गृह में कुत्तों का बैठना दर्शाता है कि आखिर पुरातत्व विभाग इस प्राचीनतम मंदिर के प्रति कितना उदासीन है आज खजुराहो का सबसे प्राचीनतम या मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है लेकिन पुरातत्व विभाग इस ओर किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रहा है जानकारों की मानें तो अगर आने वाले समय में इस मंदिर की देखरेख नहीं की गई तो यह मंदिर लगभग खत्म हो जाएगा और लोग इसे सिर्फ किताबों में ही पढ़ेंगे!
Last Updated : Nov 18, 2019, 12:52 PM IST
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