छतरपुर। मनोकामना पूर्ति के लिए बहुत से मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं है. जहां देवी-देवताओं की लोक कथाएं और किंवदंतियां सालों से लोग सुनते आ रहे हैं और उन मान्यताओं का पालन भी करते हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है गौरी बाई का. इस मंदिर में लोग गाड़ियों के लिए मन्नत मांगते हैं, जिसके पूरा होने के बाद अपनी गाड़ियों के नंबर मंदिर की दीवारों पर लिख जाते हैं.
जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित कुसमा गांव में बना गौरी बाई का मंदिर अनोखी मान्यता के चलते काफी चर्चित है. गाड़ी लेने की इच्छा रखने वाले लोग इस मंदिर में हाजिरी लगाते हैं और गाड़ी लेने के लिए गौरी बाई से मन्नत मांगते हैं. जिसके पूरे होने पर मंदिर की दीवारों पर अपनी गाड़ी का नंबर लिख जाते हैं. गाड़ियों के नंबर लिखने के लिए एक बोर्ड भी लगाया गया है, लेकिन लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि मंदिर की दीवारों को भी वाहनों का नंबर लिख लिख कर रंग दिया है. जिसमें मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की गाड़ियों के नंबर लिखे हुए हैं.
ये थी गौरी बाई
गौरी बाई गांव में रहने वाली महिला थी. जो 60 साल पहले सती हो गई थी. गौरी बाई के पति की मौत हो गई थी, जिसके बाद गौरी बाई ने अपने पति के साथ शरीर त्यागने की जिद की थी और अपने पति के साथ सती हो गई थीं. इस घटना के कुछ साल बाद स्थानीय लोगों ने गौरी बाई के परिजनों के साथ मिलकर उनका मंदिर बना दिया. इस मंदिर में गौरी बाई की पूजा सती के रुप में की जाती है. वहीं गर्भ गृह में उनकी एक प्रतिमा भी मौजूद है.
कुसमा के इस मंदिर में लाखों की संख्या में गाड़ी के नंबर लिखे हुए हैं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में गाड़ियों के अलावा भी सभी मनोकामनाएं माता सती पूरी करती हैं.