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सरकारी अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में आवारा पशुओं ने डाला डेरा, जच्चा-बच्चा को कुत्तों से खतरा

छतरपुर जिले में संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल बन के तैयार हो गया है, लेकिन अभी भी मेटरनिटी वार्ड को नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया गया है. शासकीय अस्पताल के प्रसूता कक्ष में आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है.

मेटरनिटी वार्ड में आवारा पशुओं ने डाला डेरा
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Published : Nov 14, 2019, 3:32 AM IST

Updated : Nov 14, 2019, 4:47 AM IST

छतरपुर। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, तमाम प्रकार की योजनाएं भी चलाई जा रही हो, लेकिन बावजूद इसके मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर हैं.

छतरपुर जिले में संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल बन के तैयार हो गया है, लेकिन अभी भी मेटरनिटी वार्ड को नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया गया है. शासकीय अस्पताल के प्रसूता कक्ष में आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है. आलम ये है कि इस बात की ओर ना तो जिला अस्पताल ठीक से ध्यान देता है और ना ही यहां पर सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिसकी वजह से आवारा पशु लगातार इन संवेदनशील वार्डों में घूमते हुए नजर आते हैं.

मेटरनिटी वार्ड में आवारा पशुओं ने डाला डेरा

बच्चा वार्ड, प्रसूता कक्ष और डिलीवरी कक्ष में जैसे संवेदनशील जगहों में भी आवारा एवं संक्रमित कुत्ते घूमते हुए मिल जाते हैं. कई बार इन कुत्तों का शिकार परिजनों के अलावा मासूम बच्चे भी हो चुके हैं, इस बात को खुद सिविल सर्जन भी स्वीकार करते हैं. आवारा पशुओं का आतंक जिला अस्पताल में इस कदर है कि जच्चा एवं बच्चा की जान को भी खतरा बना हुआ है.

वहीं इस मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि जल्द ही इस वार्ड को भी नए अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाएगा. कुछ टेक्निकल समस्याएं आने की वजह से अभी तक ये वार्ड नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं हो सका है. एचएस त्रिपाठी ने भी इस बात को माना है कि आवारा पशु लगातार वार्डों में घूम रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ पेशेंट एवं मरीजों को कुत्ते भी काट चुके हैं, जिसको लेकर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.

छतरपुर। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, तमाम प्रकार की योजनाएं भी चलाई जा रही हो, लेकिन बावजूद इसके मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर हैं.

छतरपुर जिले में संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल बन के तैयार हो गया है, लेकिन अभी भी मेटरनिटी वार्ड को नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया गया है. शासकीय अस्पताल के प्रसूता कक्ष में आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है. आलम ये है कि इस बात की ओर ना तो जिला अस्पताल ठीक से ध्यान देता है और ना ही यहां पर सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिसकी वजह से आवारा पशु लगातार इन संवेदनशील वार्डों में घूमते हुए नजर आते हैं.

मेटरनिटी वार्ड में आवारा पशुओं ने डाला डेरा

बच्चा वार्ड, प्रसूता कक्ष और डिलीवरी कक्ष में जैसे संवेदनशील जगहों में भी आवारा एवं संक्रमित कुत्ते घूमते हुए मिल जाते हैं. कई बार इन कुत्तों का शिकार परिजनों के अलावा मासूम बच्चे भी हो चुके हैं, इस बात को खुद सिविल सर्जन भी स्वीकार करते हैं. आवारा पशुओं का आतंक जिला अस्पताल में इस कदर है कि जच्चा एवं बच्चा की जान को भी खतरा बना हुआ है.

वहीं इस मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि जल्द ही इस वार्ड को भी नए अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाएगा. कुछ टेक्निकल समस्याएं आने की वजह से अभी तक ये वार्ड नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं हो सका है. एचएस त्रिपाठी ने भी इस बात को माना है कि आवारा पशु लगातार वार्डों में घूम रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ पेशेंट एवं मरीजों को कुत्ते भी काट चुके हैं, जिसको लेकर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.

Intro:प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो तमाम प्रकार की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं बावजूद इसके मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर हैं छतरपुर जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल के प्रसूता कक्ष में आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है आलम यह है कि आवारा कुत्ते डिलीवरी वार्ड से लेकर बच्चा वार्ड में भी घूमते हुए पाए जाते हैं!


Body:छतरपुर जिले में संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल बन के तैयार हो गया है लेकिन अभी भी मेटरनिटी विभाग को नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया गया है आलम यह है कि इस बार की ओर ना तो जिला अस्पताल ठीक से ध्यान देता है और ना ही यहां पर सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं जिसकी वजह से आवारा पशु लगातार इन संवेदनशील वार्डों में घूमते हुए नजर आते हैं!

बच्चा बाद प्रसूता कक्ष एवं डिलीवरी कब से जैसे संवेदनशील बालों में भी आवारा एवं संक्रमित कुत्ते घूमते हुए मिल जाते हैं कई बार इन कुत्तों का शिकार परिजनों के अलावा मासूम बच्चे भी हो चुके हैं जिस बात को खुद सिविल सर्जन भी स्वीकार करते हैं!

जिला अस्पताल में अपनी बहू को लेकर आई लक्ष्मीबाई बताती हैं कि उन्हें आवारा कुत्तों को लेकर बेहद डर बना रहता है कई बार उन्होंने नर्सों एवं डॉक्टरों से भी बोला है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है!

बाइट_लक्ष्मी बाई

जिला अस्पताल में ही अपनी पत्नी की डिलीवरी कराने आए बहन प्रताप बताते हैं कि उनका छोटा बच्चा है जिस वजह से उन्हें बेहद डर लगता है आवारा कुत्ते लगातार आसपास घूमते रहते हैं!

बाइट_भान प्रताप

भान प्रताप की पत्नी सुनीता बताती हैं कि कुछ दिन पहले ही उन्हें डिलीवरी हुई है उनका बच्चा छोटा है और कुत्तों की वजह से उन्हें बेहद डर बना रहता है!

बाइट_सुनीता
जिला अस्पताल में अपनी बहू की डिलीवरी के लिए आई पत्ती चौरसिया बताती हैं कि बाढ़ में अचानक बैल घुसने से उनके पोते की मौत होते होते बच गई यहां लगातार जानवर घुसे रहते हैं लेकिन अस्पताल प्रबंधन किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रहा है!

बाइट_पप्पी चौरासिया
, वहीं मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि जल्द ही इस वार्ड को भी नए अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाएगा कुछ टेक्निकल समस्याएं आने की वजह से अभी तक यह बात नहीं हो सका है एचएस त्रिपाठी ने भी इस बात को माना है कि आवारा पशु लगातार वार्डों में घूम रहे हैं उनका कहना है कि कुछ पेशेंट एवं के मरीजों को कुत्ते भी काट चुके हैं जिसको लेकर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है!

बाइट_एच एस त्रिपाठी सिविल सर्जन


Conclusion:आवारा पशुओं का आतंक जिला अस्पताल में इस कदर है कि जच्चा एवं बच्चे की जान को भी खतरा बना हुआ है सिविल सर्जन भी इस बात को मानते हैं कि कई बार आवारा कुत्ते जिला अस्पताल के अंदर मरीजों एवं परिजनों को काट चुके हैं बावजूद इसके मेटरनिटी वार्ड को नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया जा रहा है!
Last Updated : Nov 14, 2019, 4:47 AM IST
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