छतरपुर। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, तमाम प्रकार की योजनाएं भी चलाई जा रही हो, लेकिन बावजूद इसके मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर हैं.
छतरपुर जिले में संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल बन के तैयार हो गया है, लेकिन अभी भी मेटरनिटी वार्ड को नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया गया है. शासकीय अस्पताल के प्रसूता कक्ष में आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है. आलम ये है कि इस बात की ओर ना तो जिला अस्पताल ठीक से ध्यान देता है और ना ही यहां पर सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिसकी वजह से आवारा पशु लगातार इन संवेदनशील वार्डों में घूमते हुए नजर आते हैं.
बच्चा वार्ड, प्रसूता कक्ष और डिलीवरी कक्ष में जैसे संवेदनशील जगहों में भी आवारा एवं संक्रमित कुत्ते घूमते हुए मिल जाते हैं. कई बार इन कुत्तों का शिकार परिजनों के अलावा मासूम बच्चे भी हो चुके हैं, इस बात को खुद सिविल सर्जन भी स्वीकार करते हैं. आवारा पशुओं का आतंक जिला अस्पताल में इस कदर है कि जच्चा एवं बच्चा की जान को भी खतरा बना हुआ है.
वहीं इस मामले में सिविल सर्जन एचएस त्रिपाठी का कहना है कि जल्द ही इस वार्ड को भी नए अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाएगा. कुछ टेक्निकल समस्याएं आने की वजह से अभी तक ये वार्ड नए अस्पताल में शिफ्ट नहीं हो सका है. एचएस त्रिपाठी ने भी इस बात को माना है कि आवारा पशु लगातार वार्डों में घूम रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ पेशेंट एवं मरीजों को कुत्ते भी काट चुके हैं, जिसको लेकर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.