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1 हजार शिवलिगों से बना है दूल्हादेव मंदिर में दुर्लभ शिवलिंग, साल में एक बार मिलता है दर्शन का मौका

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Published : Jun 16, 2019, 2:25 AM IST

ये मंदिर खजुराहों के उन दो मंदिर में भी शामिल है जो मुगल साम्राज्य में भी सुरक्षित रहे.

मंदिर की फोटो

छतरपुर। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो की पहचान यहां बने अद्बभुद मंदिरों से है. हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो 'दूल्हा देव' के नाम से जाना जाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि ये इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके दरवाजे साल में एक बार ही खुलते हैं. मंदिर में विराजमान भगवना शिव को आराध्य के रूप में पूजा जाता है. ये मंदिर खजुराहों के उन दो मंदिर में भी शामिल है जो मुगल साम्राज्य में भी सुरक्षित रहे.

साल में एक बार मिलता है दर्शन का मौका
  • एक हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
  • एक हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास
  • मंदिर के मुख्य गेट पर हमेशा रहता है ताला
  • साल में एक बार खुलते हैं द्वार
  • एक हजार छोटी-छोटी शिवलिंग से मिलकर बना अनोखा शिवलिंग
  • शिवलिंग का अभिषेक करने पर मनोकामनाएं होती हैं पूरी
  • क्षेत्र में शादी होने पर दूल्हा-दुल्हन टेकने जाते हैं मत्था
  • मंदिर में दूल्हा देव के रूप में विराजमान हैं भगवान शिव
  • दूर-दूर से आते हैं सैलानी
  • मंदिर पर उकेरी गयीं कलाकृतियां दुनिया में अनोखी
  • हर शादी का आता है कार्ड

मंदिर से जुड़ी एक किवदंती है कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां से एक बारात निकल रही थी. तभी स्थानीय लोगों ने दूल्हे से भगवान शिव के आगे नमन करने को कहा. दूल्हे लोगों की बातों को अनसुना कर आगे बढ़ा और उसकी मौत हो गयी. उस घटना के बाद जब भी यहां से कोई बारात गुजरती है. तो दूल्हा-दुल्हन यहां मत्था जरूर टेकते हैं.

इतना ही नहीं खजुराहो के आसपास गांव में जब भी कोई शादी होती है तो दूल्हा और दुल्हन इस मंदिर में भगवान शिव का आशीर्वाद लेने जाते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो केवल दो ही ऐसे मंदिर हैं, जिनमें भगवान शिव की पूजा होती है. पहला मंदिर है दूल्हा देव और दूसरा मतंगेश्वर.

छतरपुर। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो की पहचान यहां बने अद्बभुद मंदिरों से है. हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो 'दूल्हा देव' के नाम से जाना जाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि ये इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके दरवाजे साल में एक बार ही खुलते हैं. मंदिर में विराजमान भगवना शिव को आराध्य के रूप में पूजा जाता है. ये मंदिर खजुराहों के उन दो मंदिर में भी शामिल है जो मुगल साम्राज्य में भी सुरक्षित रहे.

साल में एक बार मिलता है दर्शन का मौका
  • एक हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
  • एक हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास
  • मंदिर के मुख्य गेट पर हमेशा रहता है ताला
  • साल में एक बार खुलते हैं द्वार
  • एक हजार छोटी-छोटी शिवलिंग से मिलकर बना अनोखा शिवलिंग
  • शिवलिंग का अभिषेक करने पर मनोकामनाएं होती हैं पूरी
  • क्षेत्र में शादी होने पर दूल्हा-दुल्हन टेकने जाते हैं मत्था
  • मंदिर में दूल्हा देव के रूप में विराजमान हैं भगवान शिव
  • दूर-दूर से आते हैं सैलानी
  • मंदिर पर उकेरी गयीं कलाकृतियां दुनिया में अनोखी
  • हर शादी का आता है कार्ड

मंदिर से जुड़ी एक किवदंती है कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां से एक बारात निकल रही थी. तभी स्थानीय लोगों ने दूल्हे से भगवान शिव के आगे नमन करने को कहा. दूल्हे लोगों की बातों को अनसुना कर आगे बढ़ा और उसकी मौत हो गयी. उस घटना के बाद जब भी यहां से कोई बारात गुजरती है. तो दूल्हा-दुल्हन यहां मत्था जरूर टेकते हैं.

इतना ही नहीं खजुराहो के आसपास गांव में जब भी कोई शादी होती है तो दूल्हा और दुल्हन इस मंदिर में भगवान शिव का आशीर्वाद लेने जाते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो केवल दो ही ऐसे मंदिर हैं, जिनमें भगवान शिव की पूजा होती है. पहला मंदिर है दूल्हा देव और दूसरा मतंगेश्वर.

Intro: खजुराहो में दूल्हा देव मंदिर अपने आप में एक अनोखा मंदिर है यह इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके दरवाजे साल में एक बार ही खुलते हैं स्थानीय लोगों की मानें तो केवल दो ही ऐसे मंदिर हैं जिनमें भगवान शिव की पूजा होती है पहला मंदिर है दूल्हा देव और दूसरा मतंगेश्वर यह दो मंदिर ही हैं जिनमें भगवान शिव को आराध के रूप में पूजा जाता है बाकी के अन्य मंदिर खंडित हो जाने की वजह से मुझे योग्य नहीं है!


Body:दूल्हा देव मंदिर का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है इस मंदिर के मुख्य गेट पर हमेशा ताला पड़ा रहता है हनी लोगों की मानें तो यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार ही होता है जिसके बाद लोग अंदर जाकर इस शिवलिंग की पूजा अर्चना कर सकते हैं इस शिवलिंग की खासियत यह है कि यह शिवलिंग लगभग 1000 छोटी-छोटी शिवलिंग से मिलकर बना हुआ है लोगों का मानना है कि एक बार इस शिवलिंग पर अभिषेक करने से सैकड़ों शिवलिंग का अभिषेक करने का फल मिलता है इस मंदिर से जुड़ी एक किवदंती यह भी है कि सैकड़ों वर्षों पहले एक बारात यहां से गुजर रही थी तब स्थानीय लोगों ने उस बरात एवं झूले को भगवान शिव के आगे नमन करने को कहा लेकिन बाराती और दूल्हा बिना नमन किए आगे बढ़ गए जिसके बाद कुछ ही समय में दूल्हे की मौत हो गई उस घटना के बाद से ही जब भी कोई बारात यहां से गुजरती है इस मंदिर में अवश्य ही दूल्हा दर्शन करने के लिए जाता है इसके अलावा खजुराहो के आसपास गांव में जब भी कोई शादी होती है तो दूल्हा और दुल्हन इस मंदिर में मत्था टेकने जरूर जाते हैं!

क्यों बनती के अनुसार आज भी गांव में जब शादियां होती हैं तो किसी अनहोनी के डर से लोग यहां पर अपना मत था न सिर्फ देखने आते हैं भगवान को हराकर अपने शादी का निमंत्रण भी देते हैं!

भगवान शिव को तांत्रिकों का आराध्य देव माना जाता है यही वजह है कि दूर दूर से लोग यहां पर तंत्र क्रियाएं करने के लिए भी आते हैं!


Conclusion:भगवान शिव इस मंदिर में दूल्हा देव के रूप में विराजमान है इस मंदिर में बाहरी तरफ कार कामुक कलाकृतियां भी होगी दी गई है इसे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं इस मंदिर की बनावट को देखते हुए बाहर से आने वाले सैलानी इतनी मोहित हो जाते हैं कि उनका यहां से जाने का मन ही नहीं करता है इस मंदिर की दीवारों पर जो कल आकृतियां उकेरी गई हैं उनकी कलाकृति इतनी हो जोड़ने की आज भी इस मंदिर के मुकाबले पूरी दुनिया में कोई भी कलाकृति मौजूद नहीं है!
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