छतरपुर। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो की पहचान यहां बने अद्बभुद मंदिरों से है. हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो 'दूल्हा देव' के नाम से जाना जाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि ये इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके दरवाजे साल में एक बार ही खुलते हैं. मंदिर में विराजमान भगवना शिव को आराध्य के रूप में पूजा जाता है. ये मंदिर खजुराहों के उन दो मंदिर में भी शामिल है जो मुगल साम्राज्य में भी सुरक्षित रहे.
- एक हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
- एक हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास
- मंदिर के मुख्य गेट पर हमेशा रहता है ताला
- साल में एक बार खुलते हैं द्वार
- एक हजार छोटी-छोटी शिवलिंग से मिलकर बना अनोखा शिवलिंग
- शिवलिंग का अभिषेक करने पर मनोकामनाएं होती हैं पूरी
- क्षेत्र में शादी होने पर दूल्हा-दुल्हन टेकने जाते हैं मत्था
- मंदिर में दूल्हा देव के रूप में विराजमान हैं भगवान शिव
- दूर-दूर से आते हैं सैलानी
- मंदिर पर उकेरी गयीं कलाकृतियां दुनिया में अनोखी
- हर शादी का आता है कार्ड
मंदिर से जुड़ी एक किवदंती है कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां से एक बारात निकल रही थी. तभी स्थानीय लोगों ने दूल्हे से भगवान शिव के आगे नमन करने को कहा. दूल्हे लोगों की बातों को अनसुना कर आगे बढ़ा और उसकी मौत हो गयी. उस घटना के बाद जब भी यहां से कोई बारात गुजरती है. तो दूल्हा-दुल्हन यहां मत्था जरूर टेकते हैं.
इतना ही नहीं खजुराहो के आसपास गांव में जब भी कोई शादी होती है तो दूल्हा और दुल्हन इस मंदिर में भगवान शिव का आशीर्वाद लेने जाते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो केवल दो ही ऐसे मंदिर हैं, जिनमें भगवान शिव की पूजा होती है. पहला मंदिर है दूल्हा देव और दूसरा मतंगेश्वर.