छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो आज भी लोगों के लिए एक पहेली बना हुआ है वैसे तो यह पर्यटक स्थल मंदिरों के बाहर घिरी हुई कामुक कलाकृतियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसका दूसरा पहलू अध्यात्म से भी जुड़ा हुआ है. खजुराहो में भगवान शिव के ऐसे कई मंदिर मौजूद है जो यह बताते हैं कि कामुक कलाकृतियों के अलावा अध्यात्म में भी खजुराहो में मंदिरों का एक अहम पहलू है.
मंदिरों का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना बताया जाता है, वहीं इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं ने कराया था. तब से लेकर आज तक यह मंदिर लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए हैं, हालांकि ज्यादातर मंदिर व उनमें मौजूद प्रतिमाएं खंडित कर दी गई है उसके बावजूद भी इन मंदिरों का आकर्षण और कलाकृति देश विदेश से पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है.
कामुक कलाकृतियां और अध्यात्म मंदिर
खजुराहो के मंदिरों के बाहर उकेरी गई कामुक कलाकृतियां और अध्यात्म के लिए बनाए गए मंदिर यह दो ऐसी अलग-अलग चीजें हैं जो इतिहासकार और जानकारों को अलग अलग सोचने पर मजबूर करते हैं. वहीं कुछ जानकार मानते हैं कि कामुक कलाकृतियां गृहस्थ जीवन को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बनाई गई थी, तो कुछ इतिहासकार व जानकार बताते हैं कि खजुराहो के मंदिरों में उकेरी गई कामुक कलाकृतियां इंसानी जीवन का ही एक अभिन्न अंग है. हालांकि मंदिरों के बाहर ही इनका कामुख कलाकृतियों को क्यों उकेरा गया है, इस बात का आज तक कोई स्पष्टीकरण नहीं कर पाया है. देश की ऐसी तमाम कलाकृतियां और खजुराहो में बने चंदेल काली मंदिर है जो देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए आज भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.
खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर
खजुराहो में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों की संख्या 11 मानी जाती है, जिसमें दूल्हा देव कंदारिया मंदिर, नंदी मंदिर, सूर्य मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, व वराह मंदिर जैसे मंदिर आते हैं.
खजुराहो का इतिहास
बता दें कि हजारों साल बीत जाने के बाद भी इन मंदिरों की सुंदरता और बनावट लोगों को अचंभित करती है. वैसे तो इन मंदिरों को लेकर विभिन्न प्रकार की चुनौतियां व कहानियां मौजूद हैं, लेकिन इतिहासकार बताते हैं कि यह शहर चंदेल साम्राज्य की प्रथम राजधानी था. चंदेल वंश और खजुराहो के संस्थापक चंद्रवर्मन थे चंद्र बर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे जो अपने आप को चंद्रवंशी मानते थे. चंदेल राजाओं ने 10वीं से 12वीं शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया और खजुराहो का निर्माण 950 ईसवीं व1050 ईसवी के बीच चंदेल राजाओं के द्वारा कराया गया.
वहीं खजुराहो में पिछले कई सालों से विदेशियों को घुमाने और समझाने का काम करने वाले गाइड श्याम रजक बताते हैं कि खजुराहो मंदिर में उकेरी गई कामुक कलाकृतियों की संख्या लगभग 3% से 5% है. वही श्याम रजक बताते हैं कि इन प्रतिमाओं के लिए यह बताया गया है कि यह भी हमारे जीवन का एक हिस्सा है और किस तरह से इन्हें अपने जीवन में उतारा जा सकता है.
दूसरे गाइड बताते हैं कि यह जरूर है कि कामुक कलाकृतियां मंदिरों के बाहर ही रहे हैं लेकिन इनका मुक्त कलाकृतियों का मकसद इंसान को गृहस्थ जीवन के प्रति सजग करना है यह कामुकता की ओर नहीं ले जाती हैं बल्कि गृहस्थ जीवन भी हमारे जीवन का ही एक अभिन्न अंग है और उसे किस तरह जीना चाहिए इसके बारे में जानकारी देते हैं.
वहीं अन्य गाइड आनंद कुमार बताते हैं कि इसमें दर्शाया गया है कि कामकला भी भगवान को पाने का एक रास्ता हो सकता है बस आप अपने जीवन में भगवान को पाने की इच्छा रखते हो.
बता दें कि खजुराहो मंदिर के बाहर उकेरी गई कामुक कलाकृतियों को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं लेकिन इतना जरूर है कि 1000 साल बीत जाने के बाद भी खजुराहो के मंदिर एवं उकेरी गई कामुक कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई है और शाम ढलते ही इन मंदिरों और आसपास की खूबसूरती और अधिक बढ़ जाती है यही वजह है कि देश-विदेश के पर्यटक खजुराहो घूमने से अपने आप को रोक नहीं पाते हैं.