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कोरोना काल में मूर्तिकारों पर आर्थिक संकट, 30 फीसदी ही हुई बिक्री

कोरोना काल में छतरपुर जिले के गढ़ीमलहरा के मूर्तिकारों पर आर्थिक संकट आ गया है. कोरोना के कारण उनकी बनाई हुई मूर्तियों की बिक्री कम हुई है, जिससे उन्हें नुकासान हो रहा है. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Oct 11, 2020, 10:40 AM IST

Updated : Oct 11, 2020, 12:43 PM IST

छतरपुर। कोरोना काल में मूर्तिकारों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जहां एक ओर पूरे देश में मजदूरों के पलायन के संबंध में बातें सामने आती हैं रहीं, वहीं अब स्थानीय मजदूर भी परेशान हो रहे हैं. गढ़ीमलहरा में नवरात्रि का पर्व शुरू होने वाला है और इसको लेकर अब मूर्तिकारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. आज ईटीवी भारत की टीम ने मूर्तिकारों के पास जाकर उनकी समस्याओं व कोरोना से उनके धंधे पर पड़े असर के बारे में जानकारी ली.

मूर्तिकारों को आर्थिक तंगी

मूर्ति बनाने वालों का भी कहना है कि उनके धंधे-पानी पर कोरोना का असर पड़ा है. पहले वह 100-150 मूर्तियां बनाकर बेचते थे, इस बार उन्होंने महज 60-70 मूर्तियां ही बनाई हैं, जिनमें से अभी तक 30 की ही बुक हो पाई है. मूर्ति बनाने वाली महिला कारीगर संध्या प्रजापति बताती हैं कि उनके द्वारा पिछले 27 साल से लगातार मूर्ति बनाने का काम किया जा रहा है, हर वर्ष मूर्ति बेचकर अच्छा धंधा पानी चल जाता था, लेकिन इस साल उन्हें लागत भी ठीक ढंग से नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें, देर रात हुई बारिश ने मूर्तिकारों की मेहनत पर फेरा पानी, दुर्गा प्रतिमाएं हुई खराब

एक ओर तो देश में तमाम सरकारें मजदूरों और कारीगरों के हित में तमाम दावे और वादे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नवदुर्गा पर्व नजदीक है, मूर्तिकारों ने सरकारों से मदद की उम्मीद छोड़ दी है. ऐसे में अब कारीगर भगवान भरोसे ही अपना धंधा कर रहे हैं,

छतरपुर। कोरोना काल में मूर्तिकारों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जहां एक ओर पूरे देश में मजदूरों के पलायन के संबंध में बातें सामने आती हैं रहीं, वहीं अब स्थानीय मजदूर भी परेशान हो रहे हैं. गढ़ीमलहरा में नवरात्रि का पर्व शुरू होने वाला है और इसको लेकर अब मूर्तिकारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. आज ईटीवी भारत की टीम ने मूर्तिकारों के पास जाकर उनकी समस्याओं व कोरोना से उनके धंधे पर पड़े असर के बारे में जानकारी ली.

मूर्तिकारों को आर्थिक तंगी

मूर्ति बनाने वालों का भी कहना है कि उनके धंधे-पानी पर कोरोना का असर पड़ा है. पहले वह 100-150 मूर्तियां बनाकर बेचते थे, इस बार उन्होंने महज 60-70 मूर्तियां ही बनाई हैं, जिनमें से अभी तक 30 की ही बुक हो पाई है. मूर्ति बनाने वाली महिला कारीगर संध्या प्रजापति बताती हैं कि उनके द्वारा पिछले 27 साल से लगातार मूर्ति बनाने का काम किया जा रहा है, हर वर्ष मूर्ति बेचकर अच्छा धंधा पानी चल जाता था, लेकिन इस साल उन्हें लागत भी ठीक ढंग से नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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एक ओर तो देश में तमाम सरकारें मजदूरों और कारीगरों के हित में तमाम दावे और वादे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नवदुर्गा पर्व नजदीक है, मूर्तिकारों ने सरकारों से मदद की उम्मीद छोड़ दी है. ऐसे में अब कारीगर भगवान भरोसे ही अपना धंधा कर रहे हैं,

Last Updated : Oct 11, 2020, 12:43 PM IST
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