छतरपुर। सरकार भले ही कुपोषण से निपटने के लिए कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हालात बद से बदतर हैं. जिले में एक ऐसा गांव है, जहां एक साथ तीन किशोरावस्था के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. तीनों बच्चे अपनी मर्जी से चल फिर नहीं पाते हैं.
जिले में कुंभकरण की नींद सो रहा प्रशासन, गांव में कुपोषण का शिकार किशोरावस्था के बच्चे - किशोरावस्था के बच्चे कुपोषण
कर्री गांव में कई बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. बावजूद इसके जिला प्रशासन की तरफ से कुपोषण को खत्म करने अभी तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं.
कई किशोर है कुपोषित
छतरपुर। सरकार भले ही कुपोषण से निपटने के लिए कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हालात बद से बदतर हैं. जिले में एक ऐसा गांव है, जहां एक साथ तीन किशोरावस्था के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. तीनों बच्चे अपनी मर्जी से चल फिर नहीं पाते हैं.
Intro: सरकारी भले ही कुपोषण से निपटने के लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चला रही हो लेकिन बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हालात बद से बदतर हैं बच्चे ही नहीं कई किशोर अवस्था के बालक भी इस भयंकर बीमारी से ग्रसित हैं जो ना सिर्फ उनका बचपन बल्कि आने वाला कल भी निकल गया है!
Body:छतरपुर जिले का एक ऐसा गांव जहां एक साथ तीन किशोरावस्था के बच्चे कुपोषण का शिकार है और यह तीनों बच्चे अपनी मर्जी से चल फिर नहीं पाते हैं कुपोषण के चलते धीरे-धीरे यह बच्चे ऐसी भयंकर बीमारी का शिकार हो गए कि इनकी जिंदगी देखते-देखते नरक में तब्दील हो गई!
तस्वीरों में आप जिन तीन किशोरावस्था के बच्चों को देख रहे हैं यह तीनों एक ही गांव कर्री के रहने वाले है और कहीं ना कहीं कुपोषण जैसी भयंकर बीमारी ने इनका पूरा बचपन निकल लिया और अब आलम यह है यह सभी अपने परिवार पर एक भोज बने हुए हैं!
पहली तस्वीर किरण नाम की एक लड़की है जो लगभग 20 साल की है बचपन से ही कुपोषण का शिकार थी और आगे चल कर या बीमारी लाइलाज हो गई और अब आलम यह है कि किरण अपनी मर्जी से हिल भी नहीं पाती है किरण के माता-पिता उसे तमाम डॉक्टरों से दिखा चुके हैं सभी ने मना कर दिया है कि इसका इलाज अब संभव नहीं है किरण मानसिक एवं शारीरिक तौर पर पूरी तरह से विकलांग हो चुकी है!
बाइट_सीमा किरण की मां
दूसरी तस्वीर में पूजा साहू नाम की एक लड़की है पूजा की कहानी भी किरण से मिलती-जुलती है फर्क सिर्फ इतना है कि पूजा का दिमाग पूरी तरह से स्वस्थ है और शरीर 100% विकलांग!
बाइट_संतोष साहू(तीसरी बाइट)
ऐसी तस्वीर भी इसी गांव की है तस्वीरों में आप जिस किशोरावस्था के बालक को परम पर लेकर हुए देख रहे हैं उसका नाम नीलकंठ तिवारी है नीलकंठ 14 साल का है कुपोषण के चलते बचपन में कमजोर हुआ और धीरे-धीरे यह बीमारी देखते-देखते लाइलाज हो गई और अब नीलकंठ अपने परिवार के लिए एक मुसीबत बना हुआ है!
बाइट_ब्रजेश तिवारी नीलकंठ के पिता(दूसरी बाइट)
वहीं मामले में जब हमने छतरपुर जिले के एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उनका कहना था कि अगर किसी गांव में एक साथ इतने लोग कुपोषित हैं तो बस सीएमएचओ से बात करेंगे और यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों किशोरावस्था के बालक भी कुपोषण का शिकार है!
बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान
Conclusion:एक गांव में एक साथ इतने बच्चे कुपोषण का शिकार होने के बावजूद भी जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी प्रकार का कोई भी ना तो इस गांव में कैंप लगाया गया है और ना ही बच्चों को किसी प्रकार के पोषण संबंधी जानकारी दी गई है!
Body:छतरपुर जिले का एक ऐसा गांव जहां एक साथ तीन किशोरावस्था के बच्चे कुपोषण का शिकार है और यह तीनों बच्चे अपनी मर्जी से चल फिर नहीं पाते हैं कुपोषण के चलते धीरे-धीरे यह बच्चे ऐसी भयंकर बीमारी का शिकार हो गए कि इनकी जिंदगी देखते-देखते नरक में तब्दील हो गई!
तस्वीरों में आप जिन तीन किशोरावस्था के बच्चों को देख रहे हैं यह तीनों एक ही गांव कर्री के रहने वाले है और कहीं ना कहीं कुपोषण जैसी भयंकर बीमारी ने इनका पूरा बचपन निकल लिया और अब आलम यह है यह सभी अपने परिवार पर एक भोज बने हुए हैं!
पहली तस्वीर किरण नाम की एक लड़की है जो लगभग 20 साल की है बचपन से ही कुपोषण का शिकार थी और आगे चल कर या बीमारी लाइलाज हो गई और अब आलम यह है कि किरण अपनी मर्जी से हिल भी नहीं पाती है किरण के माता-पिता उसे तमाम डॉक्टरों से दिखा चुके हैं सभी ने मना कर दिया है कि इसका इलाज अब संभव नहीं है किरण मानसिक एवं शारीरिक तौर पर पूरी तरह से विकलांग हो चुकी है!
बाइट_सीमा किरण की मां
दूसरी तस्वीर में पूजा साहू नाम की एक लड़की है पूजा की कहानी भी किरण से मिलती-जुलती है फर्क सिर्फ इतना है कि पूजा का दिमाग पूरी तरह से स्वस्थ है और शरीर 100% विकलांग!
बाइट_संतोष साहू(तीसरी बाइट)
ऐसी तस्वीर भी इसी गांव की है तस्वीरों में आप जिस किशोरावस्था के बालक को परम पर लेकर हुए देख रहे हैं उसका नाम नीलकंठ तिवारी है नीलकंठ 14 साल का है कुपोषण के चलते बचपन में कमजोर हुआ और धीरे-धीरे यह बीमारी देखते-देखते लाइलाज हो गई और अब नीलकंठ अपने परिवार के लिए एक मुसीबत बना हुआ है!
बाइट_ब्रजेश तिवारी नीलकंठ के पिता(दूसरी बाइट)
वहीं मामले में जब हमने छतरपुर जिले के एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उनका कहना था कि अगर किसी गांव में एक साथ इतने लोग कुपोषित हैं तो बस सीएमएचओ से बात करेंगे और यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों किशोरावस्था के बालक भी कुपोषण का शिकार है!
बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान
Conclusion:एक गांव में एक साथ इतने बच्चे कुपोषण का शिकार होने के बावजूद भी जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी प्रकार का कोई भी ना तो इस गांव में कैंप लगाया गया है और ना ही बच्चों को किसी प्रकार के पोषण संबंधी जानकारी दी गई है!
Last Updated : Dec 3, 2019, 1:11 PM IST