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लॉकडाउन का दंश झेल रहे गरीब, मजदूर की वापसी की योजना उंट के मुह में जीरा - Workers did not get relief

प्रवासी मजदूरों को वापिश लाने प्रशासन के दावे झूठे साबित हो रहे है. सरकार लाखों मजदूरों में से कुछ सैकड़ों मजदूरों का लाकर वाहवाही लूट रही है. लॉकडाउन के 43 दिन गुजर जाने के बाद भी मजदूर महानगरों से पैदल लौट रहे है.

Poor facing lockdown in chhatrpur
लॉकडाउन का दंश झेल रहे गरीब
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Published : May 7, 2020, 7:01 PM IST

छतरपुर। लॉकडाउन के बीच मजदूरों को राहत देने का काम भले ही इतने बड़े स्तर पर चल रहा है. लेकिन प्रवासी मजदूरों को वापस लाने प्रशासन के दावे झूठे साबित हो रहे हैं. सरकार लाखों मजदूरों में से कुछ सैकड़ा मजदूरों को लाकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन लॉकडाउन के 43 दिन गुजर जाने के बाद भी मजदूर महानगरों से पैदल लौट रहे हैं.

Poor facing lockdown in chhatrpur
लॉकडाउन का दंश झेल रहे गरीब

नहीं मिली मजदूरों को राहत
कोविड-19 संक्रमण के चलते केंद्र सरकार ने पूरे देश में पहले 21 दिन का लॉकडाउन लगाया, फिर यह बढ़ता गया. लेकिन इसके बावजूद भी कोरोना का संकर्मण कंट्रोल नहीं हुआ तो गृह मंत्रालय ने 14 दिन के लिए लॉकडाउन आगे बड़ा दिया है.

Poor facing lockdown in chhatrpur
नहीं मिली मजदूरों को राहत

सभी लॉकडाउन में एक विषय कॉमन रहा है तो वह मजदूरों का वापस अपने गांव लौटने का सिलसिला. पहले लॉकडाउन से लेकर तीसरे लॉकडाउन तक लगातार महानगरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर वापस अपने गाव लौट रहे हैं.

सरकार के प्रयास नाकाफी
प्रदेश सरकार योजना चालू करते हुए मजदूरों को वापस ला रही है. लेकिन महानगरों में फंसे लाखों में से कुछ सैकड़ा मजदूरों को सरकार ला पा रही है. ऐसे में सरकार के प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा यानी फंसे मजदूरों की तुलना में नाकाफी है. जिसके चलते दयनीय स्थिति में फंसे मजदूर पैदल ही वापस अपने गंतव्य के लिए निकल पड़े हैं.

Poor facing lockdown in chhatrpur
सरकार के प्रयास नकाफी

नहीं हो पा रही थर्मल स्कैनिंग
कई जगह पुलिस और प्रशासन की मदद से मजदूरों को बस, ट्रक, ट्रैक्टर, पिकअप सहित निजी वाहनों को हायर करके गाव तक भेजा जा रहा है. वापस लौट रहे मजदूरों को खाना और पानी की व्यवस्था समाजसेवी के माध्यम से की जा रही है, लेकिन एक बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है, कि कई बार वापस लौट रहे मजदूरों की स्वास्थ्य जांच और थर्मल स्कैनिंग नहीं की जा रही है, जिससे क्षेत्र में संक्रमण फैलने की आशंका बड़ गई है.

Poor facing lockdown in chhatrpur
नहीं हो पा रही थर्मल स्कैनिंग
पैदल यात्रा करने के लिए मजबूरलॉकडाउन के कारण देश में फैक्ट्री, धंधे, परिवहन छोटे बड़े सभी प्रकार के व्यवसाय बंद पड़े हैं, जिसके चलते दिल्ली जैसे महानगरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर ,काम बंद होने से वापस अपने गांव लौट रहे हैं, लेकिन गांव लौटने के लिए मजदूरों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.
Poor facing lockdown in chhatrpur
पैदलयात्रा करने के लिए मजबूर

लॉकडाउन के चलते बस ट्रेन का परिवहन बंद है, जिसके चलते मजदूरों को अपने गांव वापस लौटने के लिए पैदलयात्रा करना पड़ रहा है.

छतरपुर। लॉकडाउन के बीच मजदूरों को राहत देने का काम भले ही इतने बड़े स्तर पर चल रहा है. लेकिन प्रवासी मजदूरों को वापस लाने प्रशासन के दावे झूठे साबित हो रहे हैं. सरकार लाखों मजदूरों में से कुछ सैकड़ा मजदूरों को लाकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन लॉकडाउन के 43 दिन गुजर जाने के बाद भी मजदूर महानगरों से पैदल लौट रहे हैं.

Poor facing lockdown in chhatrpur
लॉकडाउन का दंश झेल रहे गरीब

नहीं मिली मजदूरों को राहत
कोविड-19 संक्रमण के चलते केंद्र सरकार ने पूरे देश में पहले 21 दिन का लॉकडाउन लगाया, फिर यह बढ़ता गया. लेकिन इसके बावजूद भी कोरोना का संकर्मण कंट्रोल नहीं हुआ तो गृह मंत्रालय ने 14 दिन के लिए लॉकडाउन आगे बड़ा दिया है.

Poor facing lockdown in chhatrpur
नहीं मिली मजदूरों को राहत

सभी लॉकडाउन में एक विषय कॉमन रहा है तो वह मजदूरों का वापस अपने गांव लौटने का सिलसिला. पहले लॉकडाउन से लेकर तीसरे लॉकडाउन तक लगातार महानगरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर वापस अपने गाव लौट रहे हैं.

सरकार के प्रयास नाकाफी
प्रदेश सरकार योजना चालू करते हुए मजदूरों को वापस ला रही है. लेकिन महानगरों में फंसे लाखों में से कुछ सैकड़ा मजदूरों को सरकार ला पा रही है. ऐसे में सरकार के प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा यानी फंसे मजदूरों की तुलना में नाकाफी है. जिसके चलते दयनीय स्थिति में फंसे मजदूर पैदल ही वापस अपने गंतव्य के लिए निकल पड़े हैं.

Poor facing lockdown in chhatrpur
सरकार के प्रयास नकाफी

नहीं हो पा रही थर्मल स्कैनिंग
कई जगह पुलिस और प्रशासन की मदद से मजदूरों को बस, ट्रक, ट्रैक्टर, पिकअप सहित निजी वाहनों को हायर करके गाव तक भेजा जा रहा है. वापस लौट रहे मजदूरों को खाना और पानी की व्यवस्था समाजसेवी के माध्यम से की जा रही है, लेकिन एक बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है, कि कई बार वापस लौट रहे मजदूरों की स्वास्थ्य जांच और थर्मल स्कैनिंग नहीं की जा रही है, जिससे क्षेत्र में संक्रमण फैलने की आशंका बड़ गई है.

Poor facing lockdown in chhatrpur
नहीं हो पा रही थर्मल स्कैनिंग
पैदल यात्रा करने के लिए मजबूरलॉकडाउन के कारण देश में फैक्ट्री, धंधे, परिवहन छोटे बड़े सभी प्रकार के व्यवसाय बंद पड़े हैं, जिसके चलते दिल्ली जैसे महानगरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर ,काम बंद होने से वापस अपने गांव लौट रहे हैं, लेकिन गांव लौटने के लिए मजदूरों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.
Poor facing lockdown in chhatrpur
पैदलयात्रा करने के लिए मजबूर

लॉकडाउन के चलते बस ट्रेन का परिवहन बंद है, जिसके चलते मजदूरों को अपने गांव वापस लौटने के लिए पैदलयात्रा करना पड़ रहा है.

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