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प्रचार-प्रसार के अभाव में दम तोड़ रही सरकारी योजनाएं, 'वयोश्री' शिविर में पहुंचे सिर्फ 32 लोग - खजुराहों में वयोश्री योजना के तहत लगा शिविर

वयोश्री केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. जिसे लेकर राज्य एवं केंद्र सरकार के तत्वावधान में एक शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में कई डॉक्टरों की टीम आई हुई थी, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह शिविर अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई.

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'वयोश्री' योजना के तहत शिविर में पहुंचे सिर्फ 32 लोग
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Published : Dec 14, 2019, 9:39 AM IST

छतरपुर। सरकारी योजनाएं प्रचार-प्रसार के अभाव में किस तरह दम तोड़ रही हैं, इसकी बानगी खजुराहो में देखने को मिली, क्योंकि यहां राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत लगाए गए शिविर में सिर्फ 32 लोग ही पहुंचे. इस शिविर के लिए करीब तीन लाख रुपए खर्च किए गए थे, जहां 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों और निःशक्तजनों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को दूर करना था.

'वयोश्री' योजना के तहत शिविर में पहुंचे सिर्फ 32 लोग
वयोश्री केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार के तत्वावधान में एक शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में कई डॉक्टरों की टीम आई हुई थी, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह शिविर अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया. जहां 400 से 500 लोगों के आने की उम्मीद थी, वहां सिर्फ 32 लोग ही पहुंचे.

शिविर में पहुंचे गोविंद कुशवाहा बताते हैं कि यह योजना वृद्धजनों के लिए बहुत ही लाभकारी है. वह अपने पड़ोस के कुछ वृद्धों को लेकर आए थे, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में बहुत कम लोग ही इसका लाभ ले पा रहे हैं. निश्चित तौर पर योजना तो बहुत शानदार है, लेकिन अधिकारियों द्वारा इसका प्रचार-प्रसार ना होने से यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है.

जबलपुर से शिविर में पहुंचे प्रभारी डॉ. नेताजी हरिचंदन बताते हैं कि यह योजना केंद्र सरकार की है और यहां पर छतरपुर प्रशासन ने एक शिविर का आयोजन किया है. प्रचार-प्रसार की कोशिश की गई थी, लेकिन शायद बारिश के चलते लोग कम ही आए हैं. उम्मीद थी कि 400 से 500 लोग आएंगे, लेकिन लोग नहीं आ पाए.

बता दें कि इस शिविर के आयोजन के लिए 2 से तीन लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन जिस तरह से आम जनता को इसका लाभ पहुंचना चाहिए था अधिकारियों की लापरवाही के चलते इतने लोग वहां नहीं पहुंच पाए, लिहाजा यह शिविर केवल खानापूर्ति बनकर रह गया. वहीं इस मामले में अधिकतर अधिकारियों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

छतरपुर। सरकारी योजनाएं प्रचार-प्रसार के अभाव में किस तरह दम तोड़ रही हैं, इसकी बानगी खजुराहो में देखने को मिली, क्योंकि यहां राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत लगाए गए शिविर में सिर्फ 32 लोग ही पहुंचे. इस शिविर के लिए करीब तीन लाख रुपए खर्च किए गए थे, जहां 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों और निःशक्तजनों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को दूर करना था.

'वयोश्री' योजना के तहत शिविर में पहुंचे सिर्फ 32 लोग
वयोश्री केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार के तत्वावधान में एक शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में कई डॉक्टरों की टीम आई हुई थी, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह शिविर अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया. जहां 400 से 500 लोगों के आने की उम्मीद थी, वहां सिर्फ 32 लोग ही पहुंचे.

शिविर में पहुंचे गोविंद कुशवाहा बताते हैं कि यह योजना वृद्धजनों के लिए बहुत ही लाभकारी है. वह अपने पड़ोस के कुछ वृद्धों को लेकर आए थे, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में बहुत कम लोग ही इसका लाभ ले पा रहे हैं. निश्चित तौर पर योजना तो बहुत शानदार है, लेकिन अधिकारियों द्वारा इसका प्रचार-प्रसार ना होने से यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है.

जबलपुर से शिविर में पहुंचे प्रभारी डॉ. नेताजी हरिचंदन बताते हैं कि यह योजना केंद्र सरकार की है और यहां पर छतरपुर प्रशासन ने एक शिविर का आयोजन किया है. प्रचार-प्रसार की कोशिश की गई थी, लेकिन शायद बारिश के चलते लोग कम ही आए हैं. उम्मीद थी कि 400 से 500 लोग आएंगे, लेकिन लोग नहीं आ पाए.

बता दें कि इस शिविर के आयोजन के लिए 2 से तीन लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन जिस तरह से आम जनता को इसका लाभ पहुंचना चाहिए था अधिकारियों की लापरवाही के चलते इतने लोग वहां नहीं पहुंच पाए, लिहाजा यह शिविर केवल खानापूर्ति बनकर रह गया. वहीं इस मामले में अधिकतर अधिकारियों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

Intro: छतरपुर खजुराहो में केंद्र सरकार की एक योजना को स्थानीय अधिकारियों द्वारा पलीता लगाने का काम किया जा रहा है आपको बता दें कि यह योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसको लेकर राज्य एवं केंद्र सरकार के तत्वधान में एक शिविर का आयोजन किया गया जोकि 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों एवं निशक्त जनों के लिए था जिसमें कई डॉक्टरों की टीम आई हुई थी लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह शिविर अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया जहां 400 से 500 लोगों के आने की उम्मीद थी वहां सिर्फ 32 लोग ही पहुंचे!



Body:केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वयोश्री धरातल पर आते ही धराशाई होती हुई नजर आ रही है छतरपुर जिले के विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में एक पंडाल लगाते हुए इस योजना के तत्वाधान में एक शिविर लगाया गया था जिसमें कई डॉक्टर एवं जिले के कई अधिकारी पहुंचने थे लेकिन यह शिविर एक औपचारिकता ही बनकर रह गया शिविर में बमुश्किल से ही 30 से 32 वयोवृद्ध ही पहुंच सके आपको बता दें कि यह केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है और अगर इस योजना को सही तरीके से प्रचार प्रसार के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए तो निश्चित तौर पर यह बुजुर्गों एवं निशक्त जनों के लिए लाभकारी योजना साबित हो सकती है लेकिन लाभकारी योजना साबित हो सकती है लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते यह योजना कब तोड़ती हुई नजर आ रही है!

विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो के नगर परिषद मैदान में लगा यह शिविर केवल औपचारिकता बनकर ही रह गया खाली कुर्सियों के बीच कुछ डॉक्टर एवं इक्का-दुक्का मरीज ही दिखाई दिए जानकारी लेने पर पता चला कि प्रचार प्रसार अभाव के चलते लोग इस शिविर तक नहीं पहुंचे!

शिविर में पहुंचे गोविंद कुशवाहा बताते हैं कि यह योजना वृद्धजनों के लिए बहुत ही लाभकारी योजना है वह अपने पड़ोस के कुछ वृद्धों को लेकर आए थे लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में बहुत कम लोग ही इसका लाभ ले पा रहे हैं निश्चित तौर पर योजना तो बहुत शानदार है लेकिन अधिकारियों द्वारा इसका प्रचार-प्रसार ना होने से यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है!

बाइट_गोविंद कुशवाहा

वहीं मामले में जब हमने छतरपुर जिले की कुछ अन्य अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही तो जानकारी के अभाव में कुछ भी बोलने से अधिकारियों ने साफ तौर पर मना कर दिया!

जबलपुर से शिविर में पहुंचे प्रभारी डॉ नेताजी हरिचंदन बताते हैं कि यह योजना केंद्र सरकार की है और यहां पर छतरपुर प्रशासन के द्वारा एक शिविर का आयोजन किया गया है प्रचार प्रसार की कोशिश की गई थी लेकिन शायद बारिश के चलते लोग कम ही आए हैं उम्मीद थी कि 400 से 500 लोग आएंगे लेकिन लोग नहीं आ पाए!

बाइट_ प्रभारी डॉ नेताजी हरिचंदन


Conclusion:राष्ट्रीय वयोश्री जैसी एक महत्व कांची योजना छतरपुर जिले में में अव्यवस्थाओं के चलते दम तोड़ती हुई नजर आ रही है आपको बता दें कि भले ही छत पर लेखक राहों में कैंप का आयोजन किया गया हो लेकिन जिस तरह से आम जनता को इसका लाभ पहुंचना चाहिए था अधिकारियों की लापरवाही के चलते इतने लोग वहां नहीं पहुंच पाए!

और यह सिविल केवल खानापूर्ति का एक माध्यम बनकर ही रह गया आपको बता दें कि एक शिविर के आयोजन में लगभग 2 से ₹300000 का खर्च किया गया था और तमाम प्रकार की सुविधाएं भी वहां मौजूद थी लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में यह सब चीजें धरी की धरी रह गई!
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