छतरपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही खुले मंचों से खादी को बढ़ावा देने के लिए लोगों को खादी के कपड़े पहनने के लिए कह रहे हो, लेकिन हकीकत में बुनकरों के आर्थिक हालात ठीक नहीं है. जिले के हरपालपुर से कुछ किलोमीटर दूर कैमहा गांव में रहने वाले मनीराम बुनकर बचपन से ही बुनकरी का काम करते हैं. खादी ग्रामोद्योग के लिए कपड़े बुनकर उन्हें देते हैं और उसके बदले खादी ग्रामोद्योग जो पैसा देता है. उससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है.
पिछले तीन सालों से खादी ग्राम उद्योग के लिए तिरंगा झंडा बनाने वाले कपड़े का उत्पादन कर रहे हैं. मनीराम का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग द्वारा उन्हें रोज का डेढ़ सो रुपए तो दे दिए जाता है. लेकिन जो उनका बोनस होता है वो उन्हें पिछले 3 सालों से नहीं मिला है. मनीराम का कहना है कि अभी उनका लगभग तीस हजार रुपए का बोनस खादी ग्रामोद्योग से मिलना है जोकि कई बार बोलने पर भी नहीं मिल पा रहा है.
मनीराम और उनकी पत्नी अकेले घर में रहते हैं, घर में गैस सिलेंडर भी नहीं है उनकी पत्नी चूल्हे पर ही खाना बनाती हैं. उनका कहना है रोज के डेढ़ सौ रुपए में हम दोनों का गुजर-बसर नहीं हो पाता है. मनीराम का कहना है कि वे कई बार अधिकारियों से इस संबंध में बात कर चुके हैं लेकिन अधिकारी हर बार उनकी बात टाल देते हैं.
इस मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि खादी ग्राम उद्योग के अधिकारियों से बात की जाएगी. अगर बोनस मिलने का प्रावधान होता है तो जल्द से जल्द मनीराम बुनकर का बोनस दे दिया जाएगा.