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तीन साल से तिरंगा बना रहे मनीराम को नही मिला उनका ही पैसा, लगा चुके है अधिकारियों से गुहार - Khadi village industry

छतरपुर के कैमहा गांव के मनीराम बुनकर खादी ग्रामोद्योग के लिए कपड़े बनाते हैं. मनीराम पिछले तीन साल से उन्हें मिलने वाले बोनस का इंतजार कर रहें हैं. ताकि अपना घर चला सके.

Maniram from chhatrpur who was making tricolor for three years did not get his bonus
मनीराम बुनकर को नही मिल रहा बोनस
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Published : Jan 11, 2020, 5:42 PM IST

Updated : Jan 11, 2020, 7:57 PM IST

छतरपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही खुले मंचों से खादी को बढ़ावा देने के लिए लोगों को खादी के कपड़े पहनने के लिए कह रहे हो, लेकिन हकीकत में बुनकरों के आर्थिक हालात ठीक नहीं है. जिले के हरपालपुर से कुछ किलोमीटर दूर कैमहा गांव में रहने वाले मनीराम बुनकर बचपन से ही बुनकरी का काम करते हैं. खादी ग्रामोद्योग के लिए कपड़े बुनकर उन्हें देते हैं और उसके बदले खादी ग्रामोद्योग जो पैसा देता है. उससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है.

मनीराम बुनकर को नही मिल रहा बोनस

पिछले तीन सालों से खादी ग्राम उद्योग के लिए तिरंगा झंडा बनाने वाले कपड़े का उत्पादन कर रहे हैं. मनीराम का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग द्वारा उन्हें रोज का डेढ़ सो रुपए तो दे दिए जाता है. लेकिन जो उनका बोनस होता है वो उन्हें पिछले 3 सालों से नहीं मिला है. मनीराम का कहना है कि अभी उनका लगभग तीस हजार रुपए का बोनस खादी ग्रामोद्योग से मिलना है जोकि कई बार बोलने पर भी नहीं मिल पा रहा है.

मनीराम और उनकी पत्नी अकेले घर में रहते हैं, घर में गैस सिलेंडर भी नहीं है उनकी पत्नी चूल्हे पर ही खाना बनाती हैं. उनका कहना है रोज के डेढ़ सौ रुपए में हम दोनों का गुजर-बसर नहीं हो पाता है. मनीराम का कहना है कि वे कई बार अधिकारियों से इस संबंध में बात कर चुके हैं लेकिन अधिकारी हर बार उनकी बात टाल देते हैं.

इस मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि खादी ग्राम उद्योग के अधिकारियों से बात की जाएगी. अगर बोनस मिलने का प्रावधान होता है तो जल्द से जल्द मनीराम बुनकर का बोनस दे दिया जाएगा.

छतरपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही खुले मंचों से खादी को बढ़ावा देने के लिए लोगों को खादी के कपड़े पहनने के लिए कह रहे हो, लेकिन हकीकत में बुनकरों के आर्थिक हालात ठीक नहीं है. जिले के हरपालपुर से कुछ किलोमीटर दूर कैमहा गांव में रहने वाले मनीराम बुनकर बचपन से ही बुनकरी का काम करते हैं. खादी ग्रामोद्योग के लिए कपड़े बुनकर उन्हें देते हैं और उसके बदले खादी ग्रामोद्योग जो पैसा देता है. उससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है.

मनीराम बुनकर को नही मिल रहा बोनस

पिछले तीन सालों से खादी ग्राम उद्योग के लिए तिरंगा झंडा बनाने वाले कपड़े का उत्पादन कर रहे हैं. मनीराम का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग द्वारा उन्हें रोज का डेढ़ सो रुपए तो दे दिए जाता है. लेकिन जो उनका बोनस होता है वो उन्हें पिछले 3 सालों से नहीं मिला है. मनीराम का कहना है कि अभी उनका लगभग तीस हजार रुपए का बोनस खादी ग्रामोद्योग से मिलना है जोकि कई बार बोलने पर भी नहीं मिल पा रहा है.

मनीराम और उनकी पत्नी अकेले घर में रहते हैं, घर में गैस सिलेंडर भी नहीं है उनकी पत्नी चूल्हे पर ही खाना बनाती हैं. उनका कहना है रोज के डेढ़ सौ रुपए में हम दोनों का गुजर-बसर नहीं हो पाता है. मनीराम का कहना है कि वे कई बार अधिकारियों से इस संबंध में बात कर चुके हैं लेकिन अधिकारी हर बार उनकी बात टाल देते हैं.

इस मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि खादी ग्राम उद्योग के अधिकारियों से बात की जाएगी. अगर बोनस मिलने का प्रावधान होता है तो जल्द से जल्द मनीराम बुनकर का बोनस दे दिया जाएगा.

Intro:देश में गणतंत्र दिवस का त्यौहार आने वाला है और लोगों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं तिरंगा बनाने वाले एक बुनकर पिछले 3 सालों से अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर परेशान है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही खुले मंचों से खादी को बढ़ावा देने के लिए लोगों को खादी के कपड़े पहनने के लिए कह रहे हो लेकिन हकीकत में बुनकरों के आर्थिक हालात ठीक नहीं है!



Body: छतरपुर जिले के हरपालपुर से कुछ किलोमीटर दूर कैमहा गांव में रहने वाले मनीराम बुनकर बचपन से ही बुनकारी का काम करते हैं खादी ग्रामोद्योग के लिए कपड़े बुनकर उन्हें देते हैं और उसके बदले खादी ग्रामोद्योग जो पैसा देता है उससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है मनीराम बुनकर का कहना है कि इधर पीढ़ी उनके यहां बुनकारी का काम होता आ रहा है बचपन से ही खादी ग्राम उद्योग के लिए काम करते हैं खादी ग्रामोद्योग से जो सूत मिलता है उससे कपड़े बनाकर वह खाली ग्राम उद्योग को देते हैं पिछले 3 सालों से वक्त खादी ग्राम उद्योग के लिए तिरंगा झंडा बनाने वाले कपड़े का उत्पादन कर रहे हैं मनीराम का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग द्वारा उन्हें रोज का डेढ़ ₹100 तो दे दिया जाता है लेकिन जो उनका बोनस होता है वह पिछले 3 सालों से नहीं मिला है मनीराम का कहना है कि अभी उनका लगभग ₹30000 का बोनस खादी ग्रामोद्योग से मिलना है जोकि कई बार बोलने पर भी नहीं मिल पा रहा है घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है मनीराम और उनकी पत्नी अकेले घर में रहते हैं घर में गैस सिलेंडर भी नहीं है उनकी पत्नी चूल्हे पर ही खाना बनाती हैं उनका कहना है रोज के डेड सो रुपए में हम दोनों का गुजर-बसर नहीं हो पाता है कई बार बीमारियां भी आ जाती हैं खादी ग्रामोद्योग से जो पैसा मिलना है उसके लिए कई बार चक्कर लगाने पड़े लेकिन बस पैसा अभी तक नहीं मिला!

मनीराम चाचा कहते हैं कि वह भले ही खादी ग्राम उद्योग के लिए काम करते हैं और उनका बोनस का पैसा ना मिल पा रहा हो लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके बनाए गए कपड़े से देश का झंडा बनता है!

मनीराम बुनकर का कहना है कि कई बार बार अधिकारियों से इस संबंध में बात कर चुके हैं कि उनका बोनस आकर उन्हें क्यों नहीं मिल रहा है लेकिन हमेशा की तरह अधिकारी एक गिटार काया जवाब दे देते हैं की मंत्री साहब अभी इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं!

इस संबंध में जब हमने छतरपुर जिले के एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उनका कहना था कि खादी ग्राम उद्योग के अधिकारियों से बात की जाएगी अगर बोनस मिलने का प्रावधान होता है तो जल्द से जल्द मनीराम बुनकर का बोनस दे दिया जाएगा कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द मनीराम बुनकर को उसकी मेहनत की कमाई का पैसा मिल जाए!

बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान


Conclusion: भले ही देश के प्रधानमंत्री खादी ग्राम उद्योग को बढ़ाने के लिए मंच से लोगों को इस बात की नसीहत देते हुए नजर आ रहे हो कि लोग ज्यादा से ज्यादा खादी के कपड़े पहने आदि का प्रयोग करें लेकिन आदि से कपड़े बनाने वाले बुनकर आज भी अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर परेशान हैं ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन बुनकरों को ना सिर्फ उनको उचित मेहनताना मिले बल्कि सालों से लटका हुआ बोनस भी उन्हें दे दिया जाए!
Last Updated : Jan 11, 2020, 7:57 PM IST
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