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छतरपुर: लॉकडाउन के बीच गरीबों का सहारा बना महुआ

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Published : May 5, 2020, 9:09 AM IST

लॉकडाउन में गरीब वर्ग के लोग रोजगार से हाथ धोने के बाद आजीविका के लिए महुआ बीन रहे हैं, ताकि खाने-पीने के साधनों को जुटा सकें.

Mahua is being collecting by poor
गरीबों का सहारा बना महुआ

छतरपुर। कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन है. लॉकडाउन में गरीब वर्ग के लोग रोजगार से हाथ धोने के बाद आजीविका के लिए महुआ बीन रहे हैं, ताकि खाने-पीने के साधनों को जुटा सकें.

छतरपुर में लॉकडाउन की वजह से लोगों को खाने-पीने की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा असर गरीब मजदूर और दिहाड़ी करने वालों पर देखने को मिल रहा है, जहां रोजी-रोटी की दिक्कत मुंह बाए खड़ी है, रोजगार से हाथ धोने के बाद बिजावर के लोगों के लिए आजीविका का सबसे बड़ा साधन महुआ बन गया है.

बिजावर नगर पंचायत क्षेत्र के जंगलों से भरा हुआ है, जो गरीब आदिवासी मजदूरों के लिए हमेशा से ही आजीविका का साधन रहा है.

छतरपुर। कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन है. लॉकडाउन में गरीब वर्ग के लोग रोजगार से हाथ धोने के बाद आजीविका के लिए महुआ बीन रहे हैं, ताकि खाने-पीने के साधनों को जुटा सकें.

छतरपुर में लॉकडाउन की वजह से लोगों को खाने-पीने की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा असर गरीब मजदूर और दिहाड़ी करने वालों पर देखने को मिल रहा है, जहां रोजी-रोटी की दिक्कत मुंह बाए खड़ी है, रोजगार से हाथ धोने के बाद बिजावर के लोगों के लिए आजीविका का सबसे बड़ा साधन महुआ बन गया है.

बिजावर नगर पंचायत क्षेत्र के जंगलों से भरा हुआ है, जो गरीब आदिवासी मजदूरों के लिए हमेशा से ही आजीविका का साधन रहा है.

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