छतरपुर। बुंदेलखंड में मुगल साम्राज्य की जड़ें हिला देने वाले महाराजा छत्रसाल की गौरवगाथा बयां करने वाले स्मारक आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. छत्रसाल की नगरी के नाम से मशहूर मऊ सहानिया में महल और स्मारक धीरे-धीरे अब खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. भले ही तमाम स्मारकों को मध्य प्रदेश टूरिज्म में शामिल कर लिया गया हो और पुरातत्व विभाग इनकी देखरेख कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट ही है. स्मारक और महलों की दीवारें धीरे-धीरे गिरने लगी हैं. आने वाले समय में अगर ऐसा ही चलता रहा, तो ये पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो जाएंगे और लोगों को महाराज छत्रसाल की याद दिलाने वाली ऐतिहासिक इमारतों के नाम पर महज सिर्फ खंडहर ही देखने को मिलेंगे.
अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही महाराजा छत्रसाल की विरासत, खंडहर में तब्दील हो रहे स्मारक
महाराजा छत्रसाल की गौरवगाथा बयां करने वाला मऊ सहानिया नगरी के स्मारक खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. बावजूद इसके प्रशासन इन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
छतरपुर। बुंदेलखंड में मुगल साम्राज्य की जड़ें हिला देने वाले महाराजा छत्रसाल की गौरवगाथा बयां करने वाले स्मारक आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. छत्रसाल की नगरी के नाम से मशहूर मऊ सहानिया में महल और स्मारक धीरे-धीरे अब खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. भले ही तमाम स्मारकों को मध्य प्रदेश टूरिज्म में शामिल कर लिया गया हो और पुरातत्व विभाग इनकी देखरेख कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट ही है. स्मारक और महलों की दीवारें धीरे-धीरे गिरने लगी हैं. आने वाले समय में अगर ऐसा ही चलता रहा, तो ये पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो जाएंगे और लोगों को महाराज छत्रसाल की याद दिलाने वाली ऐतिहासिक इमारतों के नाम पर महज सिर्फ खंडहर ही देखने को मिलेंगे.