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गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है ये मजार, हिंदू मुस्लिम दोनों करते हैं सजदा

छतरपुर की मजार में बाबा ताजुद्दीन औलिया का सजदा और भगवान कृष्ण की पूजा साथ-साथ होती है.

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देती मजार
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Published : May 14, 2019, 1:31 PM IST

Updated : May 14, 2019, 2:56 PM IST

छतरपुर। गंगा-जमुनी तहजीब मिसाल पेश करती ये है बाबा ताजुद्दीन औलिया की मजार. मजार में जहां एक ओर बाबा ताजुद्दीन का सजदा होता है तो वहीं भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी होती है. आंगन में लगी तुलसी और बाबा भोलेनाथ की शिवलिंग और बाबा ताजुद्दीन औलिया की देग पर लिखा ऊँ गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देता है.

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देती मजार

नौगांव नगर में बनी इस मजार में हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति और तस्वीरें हैं तो वहीं मुस्लिम धर्मगुरूओं को भी पूरे सम्मान के साथ जगह दी गई है. बाबा गुलाब शाह की धूनी में एक साथ लगी श्रीकृष्ण, सांई नाथ और मुस्लिम धर्मगुरूओं की तस्वीरें एकता की मिसाल पेश करती हैं. इस मजार के खिदमतगार एक हिंदू परिवार है जो तीन पीढ़ियों से पूरे श्रद्घा के साथ इस मजार की देखरेख कर रहा है.

गुड्डू कुशवाह बताते हैं कि उनकी परिवार की तीन पीढ़ियों ने इस मजार को संभाला है. उनकी मौसी बताती हैं कि इस पूरे क्षेत्र में बाबा की विशेष कृपा है और यहां मांगी हर मनोकामना पूरी होती है. बाबा ताजुद्दीन औलिया की मजार पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि यहां पर आने से लोगों की मन्नतें पूरी होती है.

छतरपुर। गंगा-जमुनी तहजीब मिसाल पेश करती ये है बाबा ताजुद्दीन औलिया की मजार. मजार में जहां एक ओर बाबा ताजुद्दीन का सजदा होता है तो वहीं भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी होती है. आंगन में लगी तुलसी और बाबा भोलेनाथ की शिवलिंग और बाबा ताजुद्दीन औलिया की देग पर लिखा ऊँ गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देता है.

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देती मजार

नौगांव नगर में बनी इस मजार में हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति और तस्वीरें हैं तो वहीं मुस्लिम धर्मगुरूओं को भी पूरे सम्मान के साथ जगह दी गई है. बाबा गुलाब शाह की धूनी में एक साथ लगी श्रीकृष्ण, सांई नाथ और मुस्लिम धर्मगुरूओं की तस्वीरें एकता की मिसाल पेश करती हैं. इस मजार के खिदमतगार एक हिंदू परिवार है जो तीन पीढ़ियों से पूरे श्रद्घा के साथ इस मजार की देखरेख कर रहा है.

गुड्डू कुशवाह बताते हैं कि उनकी परिवार की तीन पीढ़ियों ने इस मजार को संभाला है. उनकी मौसी बताती हैं कि इस पूरे क्षेत्र में बाबा की विशेष कृपा है और यहां मांगी हर मनोकामना पूरी होती है. बाबा ताजुद्दीन औलिया की मजार पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि यहां पर आने से लोगों की मन्नतें पूरी होती है.

Intro: छतरपुर जिले से महज 25 किलोमीटर दूर स्थित गुलाब सा शाह बाबा का मजार अपने आप में एक अनोखा मजार है यह दुनिया का इकलौता ऐसा मजार है जिसके अंदर भगवान कृष्ण की पूजा होती है तो बाबा ताजुद्दीन औलिया का सजदा भी किया जाता है इस मजार में पूरे भारत से लोग आते हैं और अपनी अपनी मन्नत माँगते है! लोगों की आस्था है इस मजार में जो भी मन्नतें मांगी जाती हैं वह जरूर पूरी होती हैं!


Body: जिले के नौगांव नगर में बाबा गुलाब शाह का मजार अपने अनोखे पन के कारण न सिर्फ बुंदेलखंड में बल्कि पूरे भारत मे जाना जाता है हर वर्ष बाबा की मजार पर हजारों की संख्या में लोग आते है! इस मजार की सबसे अनोखी बात यह है कि इस मजार का खिदमतगार एक हिंदू परिवार है और पिछले तीन पीढ़ियों से लगातार इस मजार की सेवा करते आ रहा है इस मजार के अंदर ज्यादातर मूर्ति एवं प्रतिमाएं हिंदू देवी देवताओं की है तो मुस्लिम धर्म गुरुओं को भी उचित सम्मान देते हुए स्थान दिया गया है बाबा गुलाब सा एक ऐसे मुस्लिम संत थे जो हिंदुओं को अस्सलाम वालेकुम और मुसलमानों को राम-राम कहकर संबोधित करते थे यही वजह थी कि कुछ लोग उन्हें नकारते थे तो कुछ लोग उन्हें हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक मानते हुए फरिश्ता भी मानते थे!

बाबा गुलाब शाह ईश्वरीय सिद्दी प्राप्त करने नागपुर चले गए जहां उनकी मुलाकात बाबा ताजुद्दीन औलिया से हुई बाबा ताजुद्दीन औलिया के संपर्क में आने के बाद उन्होंने बाबा ताजुद्दीन औलिया को अपना गुरु मानते हुए अपना जीवन समर्पित कर दिया लेकिन बाबा ताजुद्दीन औलिया के कहने पर गुलाब शाह बाबा वापस अपने नगर लौट आए और यहां आकर लोगों को अमन चैन की सीख देने लगे!

गुलाब शाह बाबा ने लगभग 55 वर्ष पहले अपना शरीर जागते हुए पर्दा कर लिया था इसके बाद जो हिंदू परिवार उनकी लगातार सेवा कर रहा था उसे ही लोगों ने यहां का खिदमतगार घोषित कर दिया और आज भी वह हिंदू परिवार इस मजार की देखरेख कर रहा है!

बाइट_गुड्डू कुशवाहा ख़िदमदगार

गुड्डू कुशवाहा अपनी पीढ़ी के तीसरे खिदमतगार हैं वह बताते हैं कि इससे पहले उनके नाना और उनके पिताजी भी बाबा के खिदमत गा रहे हैं उनके ही कृपा से बुंदेलखंड में शांति और अमन चैन बना हुआ है!

गुड्डू कुशवाहा की मौसी बताती है कि इस पूरे क्षेत्र में बाबा की विशेष कृपा है दूर देश से बाबा के भक्त यहां पर हर वर्ष आते हैं हर वर्ष बाबा का उर्स मनाया जाता है जिसमें 50 हजार से 1 लाख लोग शामिल होते हैं!


Conclusion: एक और जहां पूरे भारत में हिन्दू मुश्लिम धर्म समुदाय को लेकर बहस छिड़ी हुई है ऐसे में यह मजार लगातार कई वर्षों से हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है यहां सभी हिंदू मुस्लिम भाई एक साथ मिलकर ना सिर्फ बाबा का उर्स मनाते हैं बल्कि उन की खिदमत कर खुद को खुशकिस्मत मानते हैं!
Last Updated : May 14, 2019, 2:56 PM IST
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