छतरपुर। खजुराहो में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश-विदेश के कलाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. वहीं राजा बुंदेला इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन पिछले 4 सालों से लगातार करते आ रहे हैं. ये पांचवा साल है जो की हास्य कलाकारों को समर्पित है. लेकिन बुंदेली कलाकारों को हमेशा उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है.
महोत्सव को पांचवा साल पर नहीं मिला सम्मान
खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के आयोजक लगातार पांच साल से इस आयोजन के माध्यम से बुंदेली कलाकारों को और स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं. लेकिन बुंदेली कलाकार इस बात पर इत्तेफाक नहीं रखते, उनका कहना है कि पिछले पांच सालों से इस महोत्सव का वो हिस्सा हैं लेकिन अभी तक उन्हें न तो सम्मान दिया गया है, और न ही अब तक कोई काम मिला है.
यादगार किरदार के बाद भी नहीं मिला काम
बुंदेलखंड के प्रसिद्ध कलाकार ने बताया कि वो आज से लगभग 20 साल पहले बुंदेलखंड की पहली फिल्म ' जीजा आओ रे' में हरिया का किरदार निभाया था, जिसे आज भी लोग याद करते हैं लेकन उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया गया और ना ही उनकी किसी फिल्म को थियेटर में जगह मिली है. जिसके चलते अब उनकी उमीदे टूटने लगी है.
स्थानीय कलाकारों ने बताया अपना दर्द
स्थानीय कलाकार राजेंद्र सिंह ने बताया कि भले ही बुंदेला कलाकारों के नाम पर इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित होता हो लेकिन पूरे महोत्सव में बुंदेली कलाकार ही नजर नहीं आते हैं, और ना ही उन्हें बुलावा भेजा जाता है. उन्होनें कहा हम जैसे कलाकारों के लिए इस महोत्सव में कोई जगह नहीं है.
स्थानीय हास्य कलाकार चंदू रैकवार बताते हैं कि उन्हें नहीं लगता है कि ये फिल्म फेस्टिवल उनके किसी काम का है. ना तो उन्हें इस फेस्टिवल में बुलाया जाता है और ना ही उनकी किसी फिल्म को फेस्टिवल में दिखाया जाता है. उनका कहना है कि राजा बुंदेली उनकी किसी भी फिल्म को कार्यक्रम में नहीं दिखाते हैं और ना ही उन्होंने मुंबई जाकर इस फेस्टिवल को बड़े स्तर पर आयोजित करने की कोशिश करते हैं, बुंदेली फिल्में सिर्फ यूटयूब तक सीमित हैं