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प्रशासन की बड़ी लापरवाही, 10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार

छतरपुर के खजुराहो में 10 महीने पहले एक पेड़ गिरने से पहले रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हुए थे. जिनके इलाज में परिवार लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं और उनके ऊपर 5 लाख का कर्ज भी है. लेकिन प्रशासन और पर्यटन विभाग ने किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया.

Worker's family has been struggling with financial crisis for 10 months
10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार
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Published : Jan 4, 2020, 9:02 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 11:19 PM IST

छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जिसकी वजह से एक मजदूर पिछले 10 महीने से जिंदगी और मौत के बीच उलझ कर रह गया है. 10 महीने पहले रघुवर चढ़ार के साथ विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में काम करते वक्त एक पेड़ गिरा था. जिसमें 3 लोग घायल हुए थे. जिनमें से एक महिला की मौके पर मौत हुई थी और एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई थी और रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हुए थे.

10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार

घटना में रघुवर चढ़ार की रीढ़ की हड्डी और पैर की हड्डी टूट गई थी. जिस वजह से डॉक्टरों ने उनके परिवार से कहा था कि रघुवर चढ़ार अब जिंदगी भर ना तो अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और ना ही बैठक सकेंगे. 10 महीने बीत जाने के बाद रघुवर चढ़ार का परिवार रघुवर चढ़ार के इलाज में लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं और उनके ऊपर 5 लाख का कर्ज भी है. रघुवर चढ़ार अपने परिवार में इकलौती कमाने वाले थे. घटना के बाद से उनके इलाज के लिए उनके परिवार के लोगों ने कई लोगों से कर्ज भी ले रखा है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग ने और किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया.

10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार

रघुवर चढ़ार जिस वार्ड में रहते हैं उस वार्ड के पार्षद हिरदेश पाठक का कहना है कि उन्होंने रघुवर चढ़ार के लिए हर संभव मदद करने की कोशिश की. घायल होने पर उन्हें शासन की तरफ से 2 लाख रूपये की मदद मिलनी थी. लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते आज रघुवर चढ़ार का परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है. हृदेश पाठक की मानें तो रघुवर चढ़ार पर्यटन विभाग के कहने पर काम करने के लिए गए थे, तो कुछ जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की भी बनती है. जहां पर्यटन विभाग इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर रहा है.

छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जिसकी वजह से एक मजदूर पिछले 10 महीने से जिंदगी और मौत के बीच उलझ कर रह गया है. 10 महीने पहले रघुवर चढ़ार के साथ विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में काम करते वक्त एक पेड़ गिरा था. जिसमें 3 लोग घायल हुए थे. जिनमें से एक महिला की मौके पर मौत हुई थी और एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई थी और रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हुए थे.

10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार

घटना में रघुवर चढ़ार की रीढ़ की हड्डी और पैर की हड्डी टूट गई थी. जिस वजह से डॉक्टरों ने उनके परिवार से कहा था कि रघुवर चढ़ार अब जिंदगी भर ना तो अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और ना ही बैठक सकेंगे. 10 महीने बीत जाने के बाद रघुवर चढ़ार का परिवार रघुवर चढ़ार के इलाज में लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं और उनके ऊपर 5 लाख का कर्ज भी है. रघुवर चढ़ार अपने परिवार में इकलौती कमाने वाले थे. घटना के बाद से उनके इलाज के लिए उनके परिवार के लोगों ने कई लोगों से कर्ज भी ले रखा है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग ने और किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया.

10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार

रघुवर चढ़ार जिस वार्ड में रहते हैं उस वार्ड के पार्षद हिरदेश पाठक का कहना है कि उन्होंने रघुवर चढ़ार के लिए हर संभव मदद करने की कोशिश की. घायल होने पर उन्हें शासन की तरफ से 2 लाख रूपये की मदद मिलनी थी. लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते आज रघुवर चढ़ार का परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है. हृदेश पाठक की मानें तो रघुवर चढ़ार पर्यटन विभाग के कहने पर काम करने के लिए गए थे, तो कुछ जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की भी बनती है. जहां पर्यटन विभाग इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर रहा है.

Intro: विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है जिसकी वजह से एक मजदूर पिछले 10 महीने से जिंदगी और मौत के बीच उलझ कर रह गया है 10 महीने पहले रघुवर चढ़ार के साथ विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में काम करते वक्त एक पेड़ गिरा था जिसमें 3 लोग घायल हुए थे जिनमें से एक महिला की मौके पर मौत हुई थी और एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई थी और रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हुए थे!

घटना में रघुवर चढ़ार की रीढ़ की हड्डी एवं पैर की हड्डी टूट गई थी जिस वजह से डॉक्टरों ने उनके परिवार से कहा था कि रघुवर चढ़ार अब जिंदगी भर ना तो अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और ना ही बैठक सकेंगे 10 महीने बीत जाने के बाद रघुवर चढ़ार का परिवार रघुवर चढ़ार के इलाज में लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं और उनके ऊपर 5 लाख का कर्ज भी है रघुवर चढ़ार अपने परिवार में इकलौती कमाने वाले थे घटना के बाद से उनके इलाज के लिए उनके परिवार के लोगों ने कई लोगों से कर्ज भी ले रखा है लेकिन स्थानीय प्रशासन एवं पर्यटन विभाग ने और किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया!




Body:तस्वीरों में जिस व्यक्ति को आप जमीन पर लेटे हुए लाचार स्थिति में देख रहे हैं उसका नाम रघुवर चढ़ार है रघुवर चढ़ार की उम्र 35 वर्ष है और लगभग 10 महीने पहले यह अपने दम पर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे लेकिन एक हादसे ने इनकी पूरी जिंदगी बदल दी और अब यह अपनी मर्जी से हिल भी नहीं पाते हैं परिवार के लोग इनकी देखभाल किसी बच्चे की तरह करते हैं और रघुवर चढ़ार का दिन रोते हुए गुजरता है रघुवर चला कहते हैं कि भगवान या तो उन्हें ठीक कर दे या फिर उन्हें मौत दे दे और यह सब उनके परिवार के लोग रोज झेलते हैं!

22 मई 2019 को रघुवर चढ़ार पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के बुलावे पर मतंगेश्वर मंदिर में काम कर रहे थे तभी अचानक कांगड़ में लगा एक पेड़ गिरा जिसमें 3 लोग दब गए घटना में एक महिला पर्यटक की मौके पर ही मौत हो गई दूसरे घायल की इलाज के दौरान मौत हो गई जबकि रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हो गए घटना के बाद खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के सांसद बीडी शर्मा रघुवर चढ़ार को देखने गए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ से घटना में घायल जो अनुदान मिलना था अभी तक नहीं मिल सका है जिसके वजह से परिवार के लोग खासे परेशान है!

रघुवर चढ़ार की पत्नी बताती हैं कि उनके पति के इलाज के लिए उनके पूरे परिवार का पैसा खर्च हो गया है उल्टा रिश्तेदारों एवं आसपास के लोगों का कर्ज भी उनके ऊपर चढ़ गया है हालात यह है कि परिवार को अब खाने के लाले पड़े हुए हैं!

रघुवर चढ़ार जिस वार्ड में रहते हैं उस वार्ड के पार्षद हिरदेश पाठक का कहना है कि उन्होंने रघुवर चढ़ार के लिए हर संभव मदद करने की कोशिश की घायल होने पर उन्हें शासन की तरफ से ₹2लाख की मदद मिलनी थी लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते आज रघुवर चढ़ार का परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है हृदेश पाठक की माने तो रघुवर चढ़ार पर्यटन विभाग के कहने पर काम करने के लिए गए थे तो कुछ जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की भी बनती है किंग इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर रहा है!




Conclusion:
Last Updated : Jan 4, 2020, 11:19 PM IST
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