छतरपुर। जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने माफियाओं पर कार्रवाई करने के आदेश प्रशासनिक अधिकारियों को दिए थे और छतरपुर एसपी ने भी खनन माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश अपने अधिकारियों और थाना प्रभारियों को दिए थे. वहीं अलीपुरा थाना क्षेत्र में मुख्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
रेत का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. रात के अंधेरे में सैकड़ों ट्रैक्टर बालू से भर कर निकलते हैं, जो प्रशासन की बगैर रोक टोक के निकाले जाते हैं. ड्राइवर ने कबूल किया है कि 700 रुपए एंट्री फीस देकर अलीपुरा थाने से ट्रैक्टर निकालते हैं. रेत का लगातार बढ़ रहा अवैध कारोबार कहीं ना कहीं शासन-प्रशासन के समक्ष एक चुनौती भी बन गया है.
ग्रामीण पुष्पेंद्र यादव के मुताबिक रेत का अवैध कारोबार से जहां उनकी फसल चौपट होती है, वहीं यदि वो रेत माफियाओं से इसका विरोध करते हैं तो वो लोग उनको जान से मारने की धमकी भी देते हैं. कई बार तो स्थानीय प्रशासन को भी इसकी सूचना दी गई, लेकिन अलीपुरा पुलिस बालू माफियाओं पर कार्रवाई करने से हमेशा बचती रहती है. इस मामले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है.
स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है जब से कांग्रेस की सरकार आई है, तब से प्रशासनिक तंत्र खुले रूप से बालू के अवैध कारोबार में संलिप्त है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार और मुख्यमंत्री बालू माफियाओं पर प्रभावी कार्रवाई के लिए शासन और प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दे चुकी है.
इस मामले को लेकर नौगांव तहसीलदार का कहना है कि मीडिया के माध्यम से सूचना मिली है. राजस्व विभाग का एक दल गठित करके बालू माफियाओं पर जल्द से जल्द प्रभावी कार्रवाई करेगा.