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जानिए प्राइमरी स्कूल के बच्चे घरों में रहकर कैसे करें पढ़ाई ?

लॉकडाउन के कारण कक्षा 1 से लेकर पांचवीं तक के बच्चों को घरों में रहते हुए पढ़ाना शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है. शिक्षा विभाग इस चुनौती का सामना करते हुए लगातार बच्चों को घरों में पढ़ा रहा है.

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कैसे करें पढ़ाई
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Published : Jul 2, 2020, 9:15 AM IST

छतरपुर। शिक्षा विभाग कक्षा एक से लेकर कक्षा पांचवीं तक के छात्रों को घरों में ही डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए पढ़ा रहा है. इसके साथ ही शिक्षा विभाग लगातार शिक्षक और विद्यार्थियों के संपर्क में भी हैं और शिक्षा संबंधी समस्याओं को लेकर नजर बनाए हुए हैं. जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि, राज्य शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के मुताबिक शिक्षा विभाग पूरी तरह से प्राइमरी स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिशों में जुटा हुआ है.

कैसे करें पढ़ाई

जानें ये भी- लॉकडाउन में प्रभावित स्कूली शिक्षा की भरपाई की प्लानिंग तैयार, ईटीवी भारत से बोलीं प्राचार्य

शिक्षा विभाग का कहना है कि, लॉकडाउन में बच्चों को घरों पर पढ़ाने की सलाह दी जा रही है. व्हाट्सएप के जरिए उन्हें होमवर्क और क्लास वर्क दिया जाता है. साथ ही 10 बच्चों पर एक शिक्षक, इस तरह की रणनीति के साथ छात्रों को लगातार पढ़ाते हुए शिक्षक उन पर नजर बनाए हुए हैं.

सहायक शिक्षा अधिकारी (DPC) आरपी लखेरे ने बताया कि, समय-समय पर राज्य सरकार प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर रही है, जिनका पालन स्कूलों के शिक्षक कर रहे हैं. साथ ही इस बात की भी कोशिश की जा रही है कि, बच्चों को घर के अंदर ही स्कूल जैसा माहौल मिले.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल ने बदल दिया शिक्षा का पैटर्न, बच्चों की पढ़ाई से लेकर शिक्षकों की ट्रेनिंग भी ऑनलाइन

ETV भारत से बातचीत के दौरान DPC आरपी लखेरे ने बताया कि, बच्चों की पढ़ाई में सबसे ज्यादा सहयोग इस समय उनके माता-पिता और घर के बड़े भाई बहनों का है. हम कोशिश कर रहे हैं कि, बच्चों को घर के अंदर ही स्कूल जैसा माहौल मिले, इसके लिए समय-समय अभिभावक बच्चों को ऐसा एहसास दिलाएं कि, सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक स्कूल में हैं. जिस तरह स्कूल में समय-समय पर घंटियां बजती हैं, उन्हें भी ऐसी कोशिश करनी चाहिए. इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई के लिए एक कमरा या स्थान सुनिश्चित कर लें, ताकि बच्चों को पढ़ने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो.

DPC आरपी लखेरे का कहना है कि, 31 जुलाई तक राज्य शासन ने फिलहाल स्कूल बंद रखने के निर्देश दिए हैं. आगे किस प्रकार के दिशा-निर्देश आते हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, फिलहाल शिक्षक डिजिटल माध्यम से बच्चों को पढ़ाने और उन्हें होमवर्क देने के साथ-साथ उन्हें मानसिक रूप से भी पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

छतरपुर। शिक्षा विभाग कक्षा एक से लेकर कक्षा पांचवीं तक के छात्रों को घरों में ही डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए पढ़ा रहा है. इसके साथ ही शिक्षा विभाग लगातार शिक्षक और विद्यार्थियों के संपर्क में भी हैं और शिक्षा संबंधी समस्याओं को लेकर नजर बनाए हुए हैं. जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि, राज्य शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के मुताबिक शिक्षा विभाग पूरी तरह से प्राइमरी स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिशों में जुटा हुआ है.

कैसे करें पढ़ाई

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शिक्षा विभाग का कहना है कि, लॉकडाउन में बच्चों को घरों पर पढ़ाने की सलाह दी जा रही है. व्हाट्सएप के जरिए उन्हें होमवर्क और क्लास वर्क दिया जाता है. साथ ही 10 बच्चों पर एक शिक्षक, इस तरह की रणनीति के साथ छात्रों को लगातार पढ़ाते हुए शिक्षक उन पर नजर बनाए हुए हैं.

सहायक शिक्षा अधिकारी (DPC) आरपी लखेरे ने बताया कि, समय-समय पर राज्य सरकार प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर रही है, जिनका पालन स्कूलों के शिक्षक कर रहे हैं. साथ ही इस बात की भी कोशिश की जा रही है कि, बच्चों को घर के अंदर ही स्कूल जैसा माहौल मिले.

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ETV भारत से बातचीत के दौरान DPC आरपी लखेरे ने बताया कि, बच्चों की पढ़ाई में सबसे ज्यादा सहयोग इस समय उनके माता-पिता और घर के बड़े भाई बहनों का है. हम कोशिश कर रहे हैं कि, बच्चों को घर के अंदर ही स्कूल जैसा माहौल मिले, इसके लिए समय-समय अभिभावक बच्चों को ऐसा एहसास दिलाएं कि, सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक स्कूल में हैं. जिस तरह स्कूल में समय-समय पर घंटियां बजती हैं, उन्हें भी ऐसी कोशिश करनी चाहिए. इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई के लिए एक कमरा या स्थान सुनिश्चित कर लें, ताकि बच्चों को पढ़ने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो.

DPC आरपी लखेरे का कहना है कि, 31 जुलाई तक राज्य शासन ने फिलहाल स्कूल बंद रखने के निर्देश दिए हैं. आगे किस प्रकार के दिशा-निर्देश आते हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, फिलहाल शिक्षक डिजिटल माध्यम से बच्चों को पढ़ाने और उन्हें होमवर्क देने के साथ-साथ उन्हें मानसिक रूप से भी पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

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