छतरपुर। अस्पताल के पास बनी यह कैंटीन इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. जो भी यहां से गुजरता है वह एक बार कैंटीन आता जरूर है. दरअसल हम बात कर रहे हैं छतरपुर के चार दिव्यांग दोस्तों की, जो मिलकर यह कैंटीन संचालित करते हैं. वहीं खास बात यह है कि इन लोगों ने इस कैंटीन का नाम दिव्यांगजन कैंटीन रखा है.
कहते है जब भगवान किसी से कुछ छीनता है तो उसे अगले ही पल कुछ न कुछ देता जरूर है. ऐसी ही कुछ कहानी है इन चार दिव्यांग दोस्तों की जो वैसे तो शारीरिक तौर पर कमजोर है. लेकिन इनके हौंसले इतने बुलंद हैं कि उनके आगे उनकी ये कमजोरी ने भी घुटने टेक दिए. यह चारों दिव्यांग दोस्त साथ में पढ़ते थे.
इन चारों ने अपने पैरों पर खड़े होना का सोचा, और एक छोटी सी गुमटी डाली. जो बाद में कैंटीन में तब्दील हो गई. इस कैंटीन को संचालित हुए दस साल हो गए हैं. दिव्यांगों का कहना है कि उनके परिवारों का खर्च इसी कैंटीन से चलता है. उनका कहना है कि आसपास के लोग भी हमारा सहयोग करते हैं.
उन्होंने कहा कि शुरुआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था लेकिन अब सब कुछ सामान्य है. सब अलग-अलग जाति औक गांव के हैं. इसके बावजूद हम इस कैंटीन में परिवार की तरह रहते हैं. उन्होंने बताया कि कभी-कभी दोस्त भी हमारी मदद करने के लिए कैंटीन में आ जाते हैं. कैंटीन में आने वाले एक ग्राहम का कहना है कि कभी-कभी हम लोग इन लोगों की सामान उठाने व लाने में मदद कर देते हैं. सभी बहुत मेहनती और इमानदार हैं. यही कराण है कि इनकी दुकान तरक्की कर रही है.