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मध्यप्रदेश की एवरेस्ट वुमन ने की बक्सवाहा के जंगल को बचाने की अपील

बक्सवाहा के जंगलों को बचाने की मुहिम में भारत के सभी राज्यों से जंगलों को बचाने के लिए कई पर्यावरण प्रेमी और एनजीओ सामने आने लगे हैं. मध्य प्रदेश की पहली पर्वतारोही मेघा परमार ने भी लोगों से इस समूह में जुड़ने की अपील की है.

Everest Woman of Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश की एवरेस्ट वुमन
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Published : May 27, 2021, 7:49 PM IST

Updated : Jun 5, 2021, 9:45 AM IST

छतरपुर। बकस्वाहा के जंगलों को बचाने की मुहिम अब तेज होती जा रही है. जंगलों को बचाने की इस मुहिम में अब पर्वतारोही और मध्य प्रदेश की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एम्बेसडर मेघा परमार ने एक वीडियो जारी करते हुए जंगलों को बचाने की बात करते हुए मुहिम का समर्थन किया है.

मध्य प्रदेश की एवरेस्ट वुमन

पर्यावरण से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं

वीडियो में मेघा परमार ने कहा कि जीवन मे प्रकृति से मूल्यवान कुछ भी नहीं है. आज हमारे जीवन में पेड़ रूपी प्राणवायु की आवश्यकता है, हीरों की नहीं. मैंने आधी से अधिक दुनिया घूम ली है, एवेरेस्ट पर तिरंगा लहराया है, 7 महाद्वीपों में से 4 महाद्वीपों के ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ाई की है. दुनिया में प्रकर्ति से बढ़कर कोई भी चीज नही है. जीवन मे पेड़ों की क्या महात्त्वता है. यह हम सब लोगों को मिलकर तय करना होगा कि हीरे ज्यादा जरूरी है या प्राणवायु. बकस्वाहा के जंगलों को बचाने के लिए हम सब को एक साथ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. हम सभी को जंगलों को बचाने की इस मुहिम में सहयोग करना होगा.

लकड़ी माफिया घने जंगलों की कर रहे कटाई, अधिकारी बेसुध

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की मध्य प्रदेश ब्रांड एंबेसडर है मेघा परमार
  • हीरा नहीं पेड़ ज्यादा जरूरी, सब मिलकर उठाइए आवाज- मेघा
  • आधी दुनिया घूमी है, प्रकृति के आगे सब कुछ बेकार- मेघा

कौन है मेघा परमार

26 साल की मेघा परमार मध्य प्रदेश के सीहोर के छोटे से गांव भोज की रहने वाली है. 2018 के मेघा ने एवेरेस्ट फतेह किया था. मेघा के पिता पेशे से एक किसान है और वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार में वह 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एम्बेसडर है.

छतरपुर। बकस्वाहा के जंगलों को बचाने की मुहिम अब तेज होती जा रही है. जंगलों को बचाने की इस मुहिम में अब पर्वतारोही और मध्य प्रदेश की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एम्बेसडर मेघा परमार ने एक वीडियो जारी करते हुए जंगलों को बचाने की बात करते हुए मुहिम का समर्थन किया है.

मध्य प्रदेश की एवरेस्ट वुमन

पर्यावरण से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं

वीडियो में मेघा परमार ने कहा कि जीवन मे प्रकृति से मूल्यवान कुछ भी नहीं है. आज हमारे जीवन में पेड़ रूपी प्राणवायु की आवश्यकता है, हीरों की नहीं. मैंने आधी से अधिक दुनिया घूम ली है, एवेरेस्ट पर तिरंगा लहराया है, 7 महाद्वीपों में से 4 महाद्वीपों के ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ाई की है. दुनिया में प्रकर्ति से बढ़कर कोई भी चीज नही है. जीवन मे पेड़ों की क्या महात्त्वता है. यह हम सब लोगों को मिलकर तय करना होगा कि हीरे ज्यादा जरूरी है या प्राणवायु. बकस्वाहा के जंगलों को बचाने के लिए हम सब को एक साथ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. हम सभी को जंगलों को बचाने की इस मुहिम में सहयोग करना होगा.

लकड़ी माफिया घने जंगलों की कर रहे कटाई, अधिकारी बेसुध

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की मध्य प्रदेश ब्रांड एंबेसडर है मेघा परमार
  • हीरा नहीं पेड़ ज्यादा जरूरी, सब मिलकर उठाइए आवाज- मेघा
  • आधी दुनिया घूमी है, प्रकृति के आगे सब कुछ बेकार- मेघा

कौन है मेघा परमार

26 साल की मेघा परमार मध्य प्रदेश के सीहोर के छोटे से गांव भोज की रहने वाली है. 2018 के मेघा ने एवेरेस्ट फतेह किया था. मेघा के पिता पेशे से एक किसान है और वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार में वह 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एम्बेसडर है.

Last Updated : Jun 5, 2021, 9:45 AM IST
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