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गणेशोत्सव को लेकर ETV BHARAT की पहल, लोगों से ईको फ्रेंडली मूर्तियां स्थापित करने की अपील

2 सितंबर से देशभर में धूमधाम से गणेशोत्सव मनाया जाएगा. जगह-जगह गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसे लेकर ईटीवी भारत ने भी पहल की है और लोगों से हमारी अपील है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए वे ईको फ्रेंडली मूर्तियां ही स्थापित करें.

लोगों से ईको फ्रेंडली मूर्तियां स्थापित करने की अपील
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Published : Aug 30, 2019, 3:18 PM IST

छिन्दवाड़ा। आने वाले 2 सितंबर से पूरे देश में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. हर जगह बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाएगी. वहीं कम कीमत और आकर्षक दिखने के कारण लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति स्थापित करते हैं, जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. इसलिए ETV BHARAT लोगों से ईको फ्रेंडली मूर्तियां स्थापित करने की अपील करता है, ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे.

गणेशोत्सव को लेकर ETV BHARAT की पहल
दरअसल पीओपी की मूर्तियां बाजार में आने से मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ये कम कीमत की और आकर्षक होती हैं, लेकिन पर्यावरण को इससे भारी नुकसान पहुंचता है. वहीं मूर्तिकारों का कहना है कि बाजार में पीओपी की मूर्तियां कम कीमत में मिल रही हैं, जिसकी वजह से हमारा धंधा चौपट हो गया है. बता दें कि पीओपी की मूर्ति आसानी से बन जाती है और उसमें टूट-फूट की संभावनाएं कम होती हैं. इसके परिवहन में भी आसानी होती है, इसलिए लोग कम कीमत होने के कारण पीओपी की मूर्ति खरीदते हैं.वहीं पीओपी से बनी मूर्तियां पानी में घुलनशील नहीं होती हैं और उन पर केमिकल युक्त कलर लगाया जाता है, जो विसर्जन के बाद पानी में मिलता है और उस पानी से लोगों को नुकसान पहुंचाता है. वहीं पानी में रहने वाले जीव-जंतु और इसे पीने के कारण मवेशियों की जान भी चली जाती है.ईटीवी भारत आपसे अपील करता है कि सभी लोग मिट्टी से बनी प्राकृतिक कलर की मूर्तियों की ही स्थापित करें और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना योगदान दें.

छिन्दवाड़ा। आने वाले 2 सितंबर से पूरे देश में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. हर जगह बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाएगी. वहीं कम कीमत और आकर्षक दिखने के कारण लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति स्थापित करते हैं, जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. इसलिए ETV BHARAT लोगों से ईको फ्रेंडली मूर्तियां स्थापित करने की अपील करता है, ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे.

गणेशोत्सव को लेकर ETV BHARAT की पहल
दरअसल पीओपी की मूर्तियां बाजार में आने से मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ये कम कीमत की और आकर्षक होती हैं, लेकिन पर्यावरण को इससे भारी नुकसान पहुंचता है. वहीं मूर्तिकारों का कहना है कि बाजार में पीओपी की मूर्तियां कम कीमत में मिल रही हैं, जिसकी वजह से हमारा धंधा चौपट हो गया है. बता दें कि पीओपी की मूर्ति आसानी से बन जाती है और उसमें टूट-फूट की संभावनाएं कम होती हैं. इसके परिवहन में भी आसानी होती है, इसलिए लोग कम कीमत होने के कारण पीओपी की मूर्ति खरीदते हैं.वहीं पीओपी से बनी मूर्तियां पानी में घुलनशील नहीं होती हैं और उन पर केमिकल युक्त कलर लगाया जाता है, जो विसर्जन के बाद पानी में मिलता है और उस पानी से लोगों को नुकसान पहुंचाता है. वहीं पानी में रहने वाले जीव-जंतु और इसे पीने के कारण मवेशियों की जान भी चली जाती है.ईटीवी भारत आपसे अपील करता है कि सभी लोग मिट्टी से बनी प्राकृतिक कलर की मूर्तियों की ही स्थापित करें और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना योगदान दें.
Intro:डेस्क द्वारा असाइन की गई स्टोरी

छिन्दवाड़ा। आने वाले 2 सितंबर से पूरे देश में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा और हर तरफ बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाएगी अधिकतर देखा गया है कि कम कीमत और आकर्षक दिखने के कारण लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी पीओपी की मूर्ति स्थापित करते हैं जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। ईटीवी भारत आपसे अपील करता है की सभी लोग मिट्टी से बनी प्राकृतिक कलर की मूर्तियाँ ही स्थापित करें।

पुश्तैनी कलाकारों पर रोजी रोटी का संकट

पीओपी की मूर्तियां बाजार में आने से पुश्तेनी कलाकार और मूर्तिकारों के सामने रोजी रोटी का संकट हो गया है मूर्तिकार बताते हैं कि मूर्तियां बनाने में लागत महंगी हो गई है जितनी हमारी लागत होती है होती है उससे कम कीमत में बाजार में पीओपी की मूर्तियां मिल रही है जिसकी वजह से हमारा धंधा चौपट हो गया है।


Body:दरअसल प्लास्टर ऑफ पेरिस पीओपी की मूर्ति आसानी से बन जाती है और टूट-फूट नहीं होती है इसलिए परिवहन में आसानी होती है और लोग कम कीमत में उसे खरीदते हैं जिस के दुष्प्रभाव हमें लगातार देखने को मिल रहे हैं।

पर्यावरण के लिए है खतरनाक

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां पानी में घुलनशील नहीं होती है और उन पर केमिकल युक्त कलर लगाया जाता है जो विसर्जन के बाद पानी में मिलता है तो पानी से लोगों को नुकसान पहुंचाता है।

सृजन के बाद विसर्जन होता है जरूरी।

धार्मिक जानकार बताते हैं कि मूर्ति का पहले सृजन यानि स्थापना की जाती है और जिस का सृजन किया जाता है उसका विसर्जन जरूरी होता है तभी भक्ति का लाभ मिलता है लेकिन पीओपी की मूर्तियां घुलनशील नहीं होती है जिसकी वजह से विसर्जन नहीं होता है और आपकी पूजा अधूरी रहती है।


Conclusion:गणेश स्थापना करने वाले आयोजके भी मानते हैं कि पीओपी की मूर्तियां स्थापित नहीं करना चाहिए इससे पर्यावरण काफी प्रदूषित हो रहा है।

बाइट-राजू मालवीया, मूर्तिकार
बाइट-चंद्रकांत विश्वकर्मा,गणेश स्थापना आयोजक
121- आलोक पाठक-पर्यावरणविद वन अधिकारी
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