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PM के अभियान से ज्यादा असरदार हैं ये बुंदेलखंड के 'दादा', 4000 बेटियों का कर चुके हैं कन्यादान - arthik sahyog

छतरपुर का एक ऐसा शख्स जिसने 20 हजार शादियों में आर्थिक मदद की है. यह शख्स 4 हजार से ज्यादा बेटियों का कन्यादान कर चुका है.

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Published : Jul 2, 2019, 6:06 PM IST

छतरपुर। जब बेटियों को जन्म लेने से पहले गर्भ में मार दिया जाता हो, जन्म लेने के बाद मां-बाप को बोझ लगने लगती हों, ऐसे में हजारों बेटियों का बोझ उठाने वाला कोई मसीहा ही हो सकता है. बुंदेलखंड के इस मसीहा को लोग आदर से दादा कहकर बुलाते हैं. जिनका नाम है पुष्पेंद्र प्रताप सिंह. इन्होंने चार हजार बेटियों की शादी का न सिर्फ खर्च उठाया, बल्कि उनका कन्यादान कर पिता का फर्ज भी निभाया. इसके अलावा 20 हजार शादियों में अब तक मदद कर चुके हैं.

पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्हें लड़कियों की शादी में सहयोग करना और उनका कन्यादान करने में आत्म संतुष्टि मिलती है. यही वजह है कि उन्होंने लड़कियों की शादी में सहयोग करने के लिए अपने घर में ही एक कंट्रोल रूम बना रखा है. जो गरीब परिवार के लोग आर्थिक मदद चाहते हैं, उनके घर में उनके नाम का एक शादी का कार्ड छोड़ जाते हैं. फिर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह यथासंभव उस परिवार की आर्थिक मदद करते हैं. साथ ही शादी में पहुंचकर लड़की का कन्यादान भी करते हैं.

खुद को भाग्यशाली समझते हैं पुष्पेंद्र

छतरपुर के चौबे कॉलोनी के निवासी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि वह अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानते हैं कि वह किसी तरह से बेटियों के काम आ रहे हैं. उनका कहना है कि जब उन्होंने इस काम को करने के लिए सोचा था, तब उन्हें मालूम नहीं था कि आगे चलकर वह इतनी बेटियों का सहयोग कर पाएंगे. इसलिए 15 सालों से लगातार पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गरीब परिवार की बेटियों के लिए न सिर्फ एक बड़े सहयोगी बनकर उभरे हैं. बल्कि हर बेटी की शादी में भी मौजूद रहते हैं.

यह शख्स कर चुका है 4हजार कन्यादान

परिवार नहीं करता था सहयोग

उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में परिवार उनके इस काम में सहयोग नहीं करता था. कई बार तो ऐसा हुआ कि परिवार के लोगों से अनबन भी हो गई, लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. पत्नी के अलावा पूरा परिवार उन्हें इस काम में बराबर सहयोग करता है. छतरपुर के दूर-दूर के गांव से पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के लिए शादी के कार्ड आते हैं. वे भी खुशी-खुशी उस शादी में पहुंचकर अपनी बहन-बेटी की तरह और लड़कियों का कन्यादान करते हैं.

दादा के नाम से बुलाते हैं लोग

कहते हैं हर इंसान को किसी न किसी चीज का नशा होता है, लेकिन पुष्पेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्हें गरीब बेटियों की शादी कराने का नशा है. यही वजह है कि उन्होंने अपने घर में ही जिस कंट्रोल रूम को खोल रखा है. उसमें बकायदा एक मैनेजर रखा हुआ है. जो आने वाले शादी के कार्डों की गिनती करता है कि किस शादी में कितना आर्थिक सहयोग करना है. इसका भी हिसाब बनाकर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के सामने रखता है. उनके इस काम के चलते न सिर्फ उनका नाम पूरे जिले में है, बल्कि बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में भी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का नाम लोग दूर दूर तक जानते हैं. बेटियों की शादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से लोग उन्हें दादा के नाम से बुलाते हैं.

छतरपुर। जब बेटियों को जन्म लेने से पहले गर्भ में मार दिया जाता हो, जन्म लेने के बाद मां-बाप को बोझ लगने लगती हों, ऐसे में हजारों बेटियों का बोझ उठाने वाला कोई मसीहा ही हो सकता है. बुंदेलखंड के इस मसीहा को लोग आदर से दादा कहकर बुलाते हैं. जिनका नाम है पुष्पेंद्र प्रताप सिंह. इन्होंने चार हजार बेटियों की शादी का न सिर्फ खर्च उठाया, बल्कि उनका कन्यादान कर पिता का फर्ज भी निभाया. इसके अलावा 20 हजार शादियों में अब तक मदद कर चुके हैं.

पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्हें लड़कियों की शादी में सहयोग करना और उनका कन्यादान करने में आत्म संतुष्टि मिलती है. यही वजह है कि उन्होंने लड़कियों की शादी में सहयोग करने के लिए अपने घर में ही एक कंट्रोल रूम बना रखा है. जो गरीब परिवार के लोग आर्थिक मदद चाहते हैं, उनके घर में उनके नाम का एक शादी का कार्ड छोड़ जाते हैं. फिर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह यथासंभव उस परिवार की आर्थिक मदद करते हैं. साथ ही शादी में पहुंचकर लड़की का कन्यादान भी करते हैं.

खुद को भाग्यशाली समझते हैं पुष्पेंद्र

छतरपुर के चौबे कॉलोनी के निवासी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि वह अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानते हैं कि वह किसी तरह से बेटियों के काम आ रहे हैं. उनका कहना है कि जब उन्होंने इस काम को करने के लिए सोचा था, तब उन्हें मालूम नहीं था कि आगे चलकर वह इतनी बेटियों का सहयोग कर पाएंगे. इसलिए 15 सालों से लगातार पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गरीब परिवार की बेटियों के लिए न सिर्फ एक बड़े सहयोगी बनकर उभरे हैं. बल्कि हर बेटी की शादी में भी मौजूद रहते हैं.

यह शख्स कर चुका है 4हजार कन्यादान

परिवार नहीं करता था सहयोग

उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में परिवार उनके इस काम में सहयोग नहीं करता था. कई बार तो ऐसा हुआ कि परिवार के लोगों से अनबन भी हो गई, लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. पत्नी के अलावा पूरा परिवार उन्हें इस काम में बराबर सहयोग करता है. छतरपुर के दूर-दूर के गांव से पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के लिए शादी के कार्ड आते हैं. वे भी खुशी-खुशी उस शादी में पहुंचकर अपनी बहन-बेटी की तरह और लड़कियों का कन्यादान करते हैं.

दादा के नाम से बुलाते हैं लोग

कहते हैं हर इंसान को किसी न किसी चीज का नशा होता है, लेकिन पुष्पेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्हें गरीब बेटियों की शादी कराने का नशा है. यही वजह है कि उन्होंने अपने घर में ही जिस कंट्रोल रूम को खोल रखा है. उसमें बकायदा एक मैनेजर रखा हुआ है. जो आने वाले शादी के कार्डों की गिनती करता है कि किस शादी में कितना आर्थिक सहयोग करना है. इसका भी हिसाब बनाकर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के सामने रखता है. उनके इस काम के चलते न सिर्फ उनका नाम पूरे जिले में है, बल्कि बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में भी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का नाम लोग दूर दूर तक जानते हैं. बेटियों की शादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से लोग उन्हें दादा के नाम से बुलाते हैं.

Intro:20 हजार लड़कियों की शादी में आर्थिक सहयोग| 4 हजार लड़कियों का कन्यादान| हम बात कर रहे हैं छतरपुर जिले के रहने वाले एक ऐसे पिता की जिन्होंने 4 हजार लड़कियों की शादी में कन्यादान कर उनके पिता बन चुके हैं| यही नहीं पुष्पेंद्र प्रताप सिंह अबतक 20 हजार लड़कियों की शादी में आर्थिक सहयोग भी कर चुके हैं और लगातार भेजो की शादी का यथासंभव खर्च उठा रहे हैं!


Body: आज के जमाने में लड़की की शादी करना सबसे बड़ा कार्य माना जाता है एक शादी में काफी खर्च होता है यही वजह है कि शादी के समय कई रिश्तेदार भी सहयोग करने से मना कर देते हैं और अपना हाथ पीछे खींच लेते हैं लेकिन छतरपुर जिले के रहने वाले पुष्पेंद्र प्रताप सिंह जिले के एक ऐसे युवा हैं जो अब तक 20 हजार लड़कियों की शादी में आर्थिक सहयोग कर चुके हैं और 4 लड़कियों का बकायदा कन्यादान कर उनके पिता बन चुके हैं|


पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्हें लड़कियों की शादी में सहयोग करना और उनका कन्यादान करने में आत्म संतुष्टि मिलती है यही वजह है कि उन्होंने लड़कियों की शादी में सहयोग करने के लिए अपने घर में ही एक कंट्रोल रूम बना रखा है जो भी गरीब परिवार के लोग आर्थिक मदद चाहते हैं उनके घर में उनके नाम का एक शादी का कार्ड छोड़ देते हैं फिर क्या पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ना सिर्फ यथासंभव उस परिवार की आर्थिक मदद करते हैं बल की शादी के समय खुद पहुंचकर उस लड़की का कन्यादान भी करते हैं!

पुष्पेंद्र प्रताप सिंह अब तक 4 हजार लड़कियों का कन्यादान कर चुके हैं उनका कहना है कि वह अपने आप को बेहद भाग्यशाली मानते हैं कि वह किसी तरह से बेटियों के काम आ पा रहे हैं पुष्पेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि जब उन्होंने इस काम को करने की सोची थी तब उन्हें मालूम नहीं था कि आगे जाकर वह इतनी बेटियों का सहयोग कर पाएंगे इसलिए 15 सालों से लगातार पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गरीब परिवार की बेटियों के लिए न सिर्फ एक बड़े सहयोगी बनकर उभरे हैं बल्कि हर बेटी की शादी में भी मौजूद होते हैं!


पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में उनका परिवार उनकी इस कार्य में सहयोग नहीं करता था कई बार तो ऐसा हुआ कि परिवार के लोगों से अनबन भी हो गई लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल अलग है पत्नी के अलावा पूरा परिवार भी उन्हें उनके इस कार्य में बराबर सहयोग करता है छतरपुर जिले के दूर-दूर के गांव से पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के लिए शादी के कार्ड आते हैं और पुष्पेंद्र प्रताप भी खुशी-खुशी उस शादियों में पहुंचकर अपनी बहन बेटी की तरह और लड़कियों का कन्यादान करते हैं|


कहते हैं हर इंसान को किसी ना किसी चीज का नशा होता है लेकिन पुष्पेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्हें गरीब बेटियों की शादी कराने का नशा है और यही वजह है कि उन्होंने अपने घर में ही जिस कंट्रोल रूम को खोल रखा है उसमें बकायदा एक मैनेजर रखा हुआ है जो आने वाले शादी के कार्डों की गति करता है कौन सी शादी कब है कितना आर्थिक सहयोग करना है इसका भी हिसाब बना कर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के सामने रखता है और उसके बाद उस प्रताप सिंह अपनी यथासंभव मदद उस परिवार को करते हैं|




Conclusion: 4 हजार लड़कियों का कन्यादान 20 हजार लड़कियों की शादियों में आर्थिक सहयोग पुष्पेंद्र प्रताप सिंह की इस उपलब्धि की वजह से ना सिर्फ उनका नाम पूरे जिले में है बल्कि बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में भी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का नाम लोग दूर दूर तक जानते हैं बेटियों की शादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से लोग उन्हें दादा कहने लगे हैं|

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