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किसान की फरियाद सुनते ही भड़के कलेक्टर, कहा- ले जाओ इसे पागलखाने - छतरपुर

जनसुनवाई में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे किसान को कलेक्टर ने पागल करार देते हुए उसे पागलखाने भेजने का फरमान सुना दिया, जिस पर विवाद शुरू हो गया है.

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Published : Jul 17, 2019, 7:41 PM IST

छतरपुर। जन सुनवाई में शिकायत करने पहुंचे किसान को कलेक्टर ने मानसिक रुप से बीमार बताते हुए पागलखाने भेजने का फरमान सुना दिया. जिस पर विवाद शुरु हो गया है. टूट गांव निवासी किसान शंकर पटेल अपनी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए कई दिनों से चक्कर काट रहे थे. शंकर का कहना है कि उनकी जमीन पर जबरन कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिसकी शिकायत वह कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से कर चुके हैं. इसी मामले की शिकायत करने जन सुनावाई में पहुंचे थे, इस दौरान जो हुआ, वह बेहद अजीबो-गरीब था.

दबंगों से बचाने की गुहार लगाने जन सुनवाई में पहुंचे किसान को कलेक्टर ने भिजवाया पागलखाने

जनसुनवाई के दौरान आवेदन देते हुए किसान शंकर पटेल ने परिवार सहित आत्मदाह करने की इजाजत कलेक्टर से मांगी, जिस पर कलेक्टर मोहित बुंदस भड़क गए और उसे पागलखाने भेजने की बात कह डाली. कलेक्टर के आदेश के बाद छतरपुर एसडीएम और पुलिस किसान को लेकर जिला अस्पताल पहुंची. जहां उसका परीक्षण कराया गया.

किसान शंकर पटेल की पत्नी का कहना है कि उसके पति स्वस्थ हैं, उनकी जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर रखा है. जिसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से कर चुके थे, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर उनके पति ने आत्मदाह की इजाजत मांगी थी. कुछ दिनों पहले एसपी कार्यालय के सामने ही एक युवक ने आत्मदाह कर अपनी जान दे दी थी.

छतरपुर। जन सुनवाई में शिकायत करने पहुंचे किसान को कलेक्टर ने मानसिक रुप से बीमार बताते हुए पागलखाने भेजने का फरमान सुना दिया. जिस पर विवाद शुरु हो गया है. टूट गांव निवासी किसान शंकर पटेल अपनी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए कई दिनों से चक्कर काट रहे थे. शंकर का कहना है कि उनकी जमीन पर जबरन कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिसकी शिकायत वह कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से कर चुके हैं. इसी मामले की शिकायत करने जन सुनावाई में पहुंचे थे, इस दौरान जो हुआ, वह बेहद अजीबो-गरीब था.

दबंगों से बचाने की गुहार लगाने जन सुनवाई में पहुंचे किसान को कलेक्टर ने भिजवाया पागलखाने

जनसुनवाई के दौरान आवेदन देते हुए किसान शंकर पटेल ने परिवार सहित आत्मदाह करने की इजाजत कलेक्टर से मांगी, जिस पर कलेक्टर मोहित बुंदस भड़क गए और उसे पागलखाने भेजने की बात कह डाली. कलेक्टर के आदेश के बाद छतरपुर एसडीएम और पुलिस किसान को लेकर जिला अस्पताल पहुंची. जहां उसका परीक्षण कराया गया.

किसान शंकर पटेल की पत्नी का कहना है कि उसके पति स्वस्थ हैं, उनकी जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर रखा है. जिसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से कर चुके थे, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर उनके पति ने आत्मदाह की इजाजत मांगी थी. कुछ दिनों पहले एसपी कार्यालय के सामने ही एक युवक ने आत्मदाह कर अपनी जान दे दी थी.

Intro: छतरपुर जिले में जन सुनवाई के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया है जहां अपनी शिकायत लेकर पहुंचे एक किसान को छतरपुर जिला कलेक्टर ने मानसिक बीमार बताते हुए पागलखाने भेजने के आदेश दे दिए! मामले के बाद से ही छतरपुर कलेक्टर की चारों ओर निंदा होना शुरू हो गई!



Body: छतरपुर जिले के बमीठा थाना क्षेत्र अंतर्गत टूट का गांव का रहने वाला शंकर पटेल अपनी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए लगातार पिछले कई दिनों से चक्कर लगा रहा था शंकर पटेल का कहना है कि उसकी जमीन पर जबरन कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है जिसके लिए वह लगातार शासकीय कार्यालयों एवं अधिकारियों के चक्कर लगा रहा था!


इसी से परेशान होकर शंकर पटेल ने आज जनसुनवाई के दौरान एक आवेदन देते हुए अपने परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की जिसके बाद छतरपुर कलेक्टर भड़क गए और उसे पागल बताते हुए पागलखाने भेजने की बात कह दी!

कलेक्टर के आदेश के बाद छतरपुर एसडीएम एवं थाना कोतवाली पुलिस शंकर पटेल को जिला अस्पताल ले आई जहां उसका परीक्षण किया गया क्योंकि जिला अस्पताल में कोई मनोचिकित्सक मौजूद नहीं है इसलिए वह मानसिक रूप से बीमार है या नहीं इसके लिए उसे ग्वालियर भेजा जा रहा है! वही शंकर पटेल की पत्नी का कहना है कि उसके पति पूर्णता स्वस्थ हैं हमारी जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर रखा है जिसको लेकर हम लगातार अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कोई भी हमारी नहीं सुन रहा है इसी से परेशान होकर जनसुनवाई में आज हमारे पति ने इस प्रकार का आवेदन दिया समस्या का समाधान करना तो दूर कलेक्टर साहब ने उन्हें ही पागल बताते हुए पागलखाने भेजने के आदेश दे दिए!

बाइट_शंकर पटेल की पत्नी

मामले के बाद से ही परिवार के लोगों का रो रो कर बुरा हाल है छतरपुर कलेक्टर के इस प्रकार के फैसले से लोग सकते में हैं और इस बात का विचार भी कर रहे हैं कि यह किस प्रकार का न्याय है!

आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले एसपी कार्यालय के सामने ही एक युवक ने आत्मदाह कर अपनी जान दे दी थी उसके बाद से ही अधिकारियों के पास अपनी जान देने के आवेदन लगातार आ रहे हैं माना जा रहा है कि इसी से परेशान होकर छतरपुर कलेक्टर ने यह फैसला लिया है!

वहीं सिविल सर्जन आर पी पांडे का कहना है कि जिला अस्पताल लाया गया व्यक्ति पूर्णता स्वस्थ था क्योंकि हमारे यहां कोई भी मनोचिकित्सक नहीं है इसलिए उसे कलेक्टर के आदेश पर ग्वालियर भेजने की कार्यवाही की गई है!

बाइट_सिविल सर्जन जिला अस्पताल


Conclusion:जिला कलेक्टर किस प्रकार के आदेश के बाद चारों ओर जिला कलेक्टर की घोर निंदा हो रही है सभी लोग न सिर्फ इस फैसले को गलत बता रहे हैं बल्कि कलेक्टर के इस प्रकार के रवैए पर सवाल भी उठा रहे हैं लोगों का कहना है कि जिला का कलेक्टर नगर समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता है तो इस प्रकार से लोगों को परेशान भी ना करें एक आम व्यक्ति और एक किसान को पागल बताते हुए जिस प्रकार छतरपुर जिला कलेक्टर ने परेशान किया है वह निश्चित तौर पर निंदनीय है!
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