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लॉकडाउन के बीच फरिश्ता बना छतरपुर का रिक्शा चालक, ऐसे कर रहा है मदद - lock down

देशभर में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है. छतरपुर में भी लॉकडाउन के बाद टैक्सी, ई रिक्शा और रिक्शा बंद हैं. ऐसे में लोगों को अस्पतलाल जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसको देखते हुए शहर में इन दिनों एक रिक्शा चालक चर्चाओं में है, जो बिना पैसे लिए लोगों की सेवा कर रहा है.

chhatarpurs rikhshaw is serving people of the city selflessly despite of corona pandemic
छतरपुर का दिलदार रिक्शा वाला
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Published : Apr 1, 2020, 5:36 PM IST

Updated : Apr 1, 2020, 7:11 PM IST

छतरपुर। शहर में हर समाज सेवी अपनी क्षमता अनुसार लोगों की सेवा में लगा है. लेकिन शहर का एक रिक्शा चालक इन दिनों चर्चाओं में है जो बिना पैसे के सवारियों को लाने और ले जाने में मदद कर रहा है.

छतरपुर का दिलदार रिक्शा वाला

दरसअल शहर में जब से लॉकडाउन हुआ तभी से 60 साल के रिक्शा चालक मोहन सिंह बंसीवाले लोगों की मदद कर रहे हैं. वो बिना पैसे के ही लोगों को अस्पताल, बस स्टैंड और बाकी जरूरी जगहों पर छोड़ने जाते हैं. जिसके लिए वो कोई पैसा नही लेते हैं.

बंसीवाले का कहना है कि उसे ऐसे समय में लोगों की मदद करके अच्छा लग रहा है. सब कुछ पैसा ही नही होता है. मैं खुद गरीब हूं, लोगों की अन्य तरीके से मदद नही कर सकता. लेकिन मजबूर और जरूरतमंदों की इतनी सेवा तो कर ही सकता हूं.

वहीं रिक्शा का किराया नहीं मिलने के सवाल पर बंसीवाले का कहना है कि पैसे खाने के लिए चाहिए होते हैं और खाना इस समय शहर के समाज सेवी मुफ्त में बांट रहे हैं.उसी को खाकर पेट भर जाता है. अगर कोई सवारी जबरदस्ती पैसे दे देती है तो बात अलग है वरना मैं किसी से पैसे नही ले रहा हूं.

बंसीवाले का कहना है कि जब तक शहर में इस तरह के हालात रहेंगे, वो किसी भी सवारी से पैसे नही लेंगे और लगातार सेवा करते रहेंगे.

छतरपुर। शहर में हर समाज सेवी अपनी क्षमता अनुसार लोगों की सेवा में लगा है. लेकिन शहर का एक रिक्शा चालक इन दिनों चर्चाओं में है जो बिना पैसे के सवारियों को लाने और ले जाने में मदद कर रहा है.

छतरपुर का दिलदार रिक्शा वाला

दरसअल शहर में जब से लॉकडाउन हुआ तभी से 60 साल के रिक्शा चालक मोहन सिंह बंसीवाले लोगों की मदद कर रहे हैं. वो बिना पैसे के ही लोगों को अस्पताल, बस स्टैंड और बाकी जरूरी जगहों पर छोड़ने जाते हैं. जिसके लिए वो कोई पैसा नही लेते हैं.

बंसीवाले का कहना है कि उसे ऐसे समय में लोगों की मदद करके अच्छा लग रहा है. सब कुछ पैसा ही नही होता है. मैं खुद गरीब हूं, लोगों की अन्य तरीके से मदद नही कर सकता. लेकिन मजबूर और जरूरतमंदों की इतनी सेवा तो कर ही सकता हूं.

वहीं रिक्शा का किराया नहीं मिलने के सवाल पर बंसीवाले का कहना है कि पैसे खाने के लिए चाहिए होते हैं और खाना इस समय शहर के समाज सेवी मुफ्त में बांट रहे हैं.उसी को खाकर पेट भर जाता है. अगर कोई सवारी जबरदस्ती पैसे दे देती है तो बात अलग है वरना मैं किसी से पैसे नही ले रहा हूं.

बंसीवाले का कहना है कि जब तक शहर में इस तरह के हालात रहेंगे, वो किसी भी सवारी से पैसे नही लेंगे और लगातार सेवा करते रहेंगे.

Last Updated : Apr 1, 2020, 7:11 PM IST
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