छतरपुर। शहर के पुराना इलाहाबाद बैंक में रहने वाले पारस दुबे की जिंदगी को एक गाय ने इस तरह से बदला की आज पूरे छतरपुर जिले में पारस दुबे गायों की सेवा के लिए जाने जाते हैं. आज से लगभग 12 साल पहले पारस दुबे पन्ना जा रहे थे तभी उनकी गाड़ी के सामने एक गाय पड़ी हुई थी, उस गाय को हटाते हुए उन्होंने अपनी गाड़ी रास्ते से निकाली और वहां से निकल गए, लेकिन तभी दूसरे दिन उनके नाम के साथ एक अखबार में खबर छपी थी कि पारस दुबे ने एक गाय की जान बचाई.
एक झूठी खबर ने बदला जिंदगी का मकसद
बस इसी खबर ने पारस की जिंदगी बदल दी पारस का कहना है कि उन्होंने गाय की कोई मदद नहीं की थी वह तो केवल रास्ते से गुजर रहा था और उसने रास्ते से गाय को अलग किया था, लेकिन अगले दिन जब उसने पेपर में देखा उसका नाम छपा है तो उसके मन में आया कि बिना किए गाय की रक्षा को लेकर उसकी फोटो अखबार में छपी है.
उसी दिन से पारस ने ठान लिया कि उनका जीवन आवश्यक गायों के लिए ही रहेगा तब से लेकर आज तक वो लगातार गायों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने अपनी जमीन पर एक बड़ी गौशाला खोली है, जहां पर कई गाय रहती हैं और वो वहां घायल और बीमार गायों की सेवा भी करते हैं.
पारस दुबे बताते हैं कि जब उन्होंने उस खबर को देखा तो उन्हें बहुत अच्छा लगा लेकिन उन्हें इस बात का आश्चर्य भी हुआ कि वह खबर पूरी तरह से झूठी थी उन्होंने गाय की जान नहीं बचाई थी, उन्होंने तो सिर्फ गाय को रास्ते से अलग किया था.
खुद के पैसे से कर रहे गायों की सेवा
पारस 12 साल से लगातार शहर की बीमार, दुर्घटनाग्रस्त और अन्य तरह से बीमार गायों को जगह-जगह से उठाकर अपनी गौशाला में ले जाते हैं और उनका इलाज करते हैं. पारस दुबे बताते हैं कि 12 साल पहले छपी एक झूठी खबर ने उनकी जिंदगी बदल दी. उन्हें सिर्फ गायों के नाम से जानते हैं जो गौशाला दुबे चलाते हैं उस गौशाला में रोज सैकड़ों गाय आती हैं और वो उनका इलाज करते हैं.
सरकार ने मुहैया कराया सरकारी डॉक्टर
सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी गौशाला को किसी भी प्रकार का सरकारी अनुदान नहीं है वह पिछले 12 सालों से लगातार अपने पैसे से ही गायों का इलाज करते हैं और उनके खाने की व्यवस्था भी करते हैं. वहीं लगातार कुछ लोग उनकी इस मुहिम में उनका सहयोग भी करते हैं और अब सरकार की तरफ से उनकी गायों के लिए एक सरकारी डॉक्टर भी उनकी गौशाला में उपलब्ध करा दिया गया है जो कि घायल गायों का इलाज करता है.