छतरपुर। ज्ञापन के माध्यम से पूर्व जनपद उपाध्यक्ष छोटेलाल पाल ने बताया कि गौरिहार सबसे पिछड़ा इलाका है, जहाँ सिंचाई के साधन न होने से किसानों की आय ही नहीं बढ़ पा रही है. जिसके लिये गौरिहार सहित बारीगढ़ क्षेत्र में नहरों की व्यवस्था की जाए. इसी प्रकार गौरिहार में महाविद्यालय न होने के कारण क्षेत्र भर की बच्चियों को उच्च शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है. इसलिये गौरिहार में नवीन महाविद्यालय खोला जाए.
नई रेलवे लाइन की मांग: गौरिहार में जनपद कार्यालय सहित अनुविभागीय कार्यालय संचालित हैं, किंतु गौरिहार अभी भी ग्राम पंचायत है, जिसे नगर परिषद का दर्जा दिया जाये. जिससे विकास की गति तेजी से बढ़ सके. पूर्व में उप्र के बाँदा जिले के खैरादा जंक्शन से खजुराहों तक रेलवे लाइन का सर्वे हुआ था, लेकिन यह रेल लाइन स्वीकृत नहीं हो सकी. जबकि लगातार क्षेत्र के लोग इसकी मांग कर रहे हैं. इस नई रेलवे लाइन की स्वीकृति जल्द कराई जाए. छतरपुर जिले के गौरिहार इलाके में अंतिम छोर तक की दूरी 130 किमी है, जिससे लोगों को अपने कार्यों के लिये जिला मुख्यालय तक आने जाने में भारी परेशानी होती है. अतः लवकुशनगर को जिला बनाया जाए, ताकि क्षेत्र के विकास के साथ लोगों के कार्य कम दूरी और समय सीमा में हो सकें.
छतरपुर के नौगांव की पंचायतों में घोटाला: छतरपुर जिले के नौगांव जनपद पंचायत के क्षेत्र की 75 पंचायतों में से अधिकांश पंचायतों में स्वच्छ भारत अभियान योजना के तहत बनाये जा रहे शौचालयों में जमकर गड़बड़ घोटाला होना सामने आया है. इसी की एक बानगी है सुनाटी पंचायत. ग्राम पंचायत सुनाटी में पिछले दिनों बने शौचालय निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक और सरपंच प्रतिनधि मिलकर स्वच्छ भारत अभियान के तहत बन रहे शौचालय में बड़ा गड़बड़झाला करते हुए अधूरे शौचालय को पूरा दिखाकर राशि को ठिकाने लगा रहे हैं. इसके चलते शौचालय बनने के बाद भी वह उपयोग के लायक नहीं हैं, जिस कारण से आने वाले समय में पंचायत ओडीएफ घोषित होना बेमानी होगा.
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4 साल से अधूरे पड़े हैं शौचालय: जानकरी के अनुसार, सुनाटी गांव में वर्ष 2018-19 में स्वीकृत पात्र शौचालय हितग्राही देशराज पाल, रानी बाई कुशवाहा, रामकिशोर सेन सहित एक दर्जन से अधिक ऐसे हितग्राही हैं जिनके शौचालय पंचायत ने बनवाए हैं, पर अधूरे पड़े हैं. पंचायत ने शौचालय बनवाने के नाम पर दीवारें खड़ी कर दी हैं. दीवारों के ऊपर किसी प्रकार का शेड नहीं डाला गया. पंचायत सचिव और रोजगार सहायक द्वारा अधूरे पड़े शौचालयों को पूरा दिखाकर राशि निकालकर ठिकाने लगाया जा रहा है. चार साल गुजरने के बाद भी शौचालाय अधूरे हैं.