छतरपुर। लॉकडाउन के कारण सभी सेक्टर प्रभावित हुए हैं, सबसे ज्यादा परिवहन व्यवसाय पर असर पड़ा है. देश भर में ज्यादातर सेवाएं चालू होने के बाद भी रेलवे को छोड़ दिया जाए, तो सड़क परिवहन सेवा न के बराबर ही शुरू हो पाई है. जिस कारण इस व्यवसाय से जुडे़ लोग खासतौर से ड्राइवर, कंडक्टर और बस सहायकों के सामने आजिविका का संकट आ गया है. उनके पास रोजगार नहीं है, जिस कारण अब ये लोग कमाई के अन्य विकल्पों की ओर देख रहे हैं. छतरपुर में तो कुछ ड्राइवर और कंडक्टर फल- सब्जी और पानी बेचना शुरू कर दिए हैं.
परिवार में आर्थिक तंगी
ड्राइवरों और कंडक्टर की मानें तो, 3 माह से ये तमाम लोग बेरोजगार हैं. ना तो मोटर मालिक ने पैसे दिए और प्रशासन ने किसी प्रकार की मदद की है. बस यूनियन के प्रदेश महामंत्री जागेश्वर श्रीवास बताते हैं कि, वह देश के प्रधानमंत्री से लेकर स्थानीय विधायक, जिला प्रशासन और उन तमाम लोगों से मदद की गुहार लगा चुके हैं, जिनसे उन्हें मदद की उम्मीद थी. लेकिन 3 माह बीत जाने के बाद भी, किसी ने जवाब नहीं दिया.
नहीं चुका पा रहे मकान का किराया
बस ड्राइवर नौशाद बताते हैं कि, पिछले 3 महीनों से बेरोजगार हैं, प्रशासन इस ओर किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जब उन्हें आवश्यकता होती है, हमें बुला लेते हैं और उसके बाद हम फिर पहले जैसे बेरोजगार रहते हैं. जिला प्रशासन गाड़ी चलाने के लिए बुला लेता है, जब उन्हें मजदूरों को भेजना होता है, लेकिन इसका मेहनताना सिर्फ 200 से ढाई सौ रुपए ही मिलता है, जिसमें परिवार का दो दिन का खर्चा भी नहीं चल पाता. नौशाद ने बताया की, वो किराए के घर में रहते हैं, दो बच्चे भी हैं. ऐसे में 3 माह से ना तो घर का किराया दिया है और ना ही परिवार का खर्चा चल पा रहा है. मकान मालिक लगातार मकान खाली करने के लिए कह रहा है. सरकार ने कहा था की, मकान का किराया माफ कर दिया जाएगा, लेकिन वह भी नहीं हुआ.
मुस्किल से हो रहा परिवार का गुजारा
पिछले 3 महीनों से लगातार बेरोजगार होने के कारण कई बस कंडक्टर और ड्राइवर अब दूसरे व्यवसाय की ओर रुख करने लगे हैं. कई लोगों ने फल ,तो कई लोगों ने सब्जियां बेचनी शुरू कर दी हैं, तो कई बस कंडक्टर और ड्राइवरों ने बस स्टैंड के आसपास से पानी और चाय केतली लगाना शुरू कर दिया हैं. जितेंद्र विश्वकर्मा बताते हैं कि, पिछले 3 महीनों से बसें नहीं चल रही हैं. मजबूर होकर उन्हें पल का ठेला लगाना पड़ा. परिवार का भरण पोषण तो करना ही है.
सवा लाख बस कंडक्टर और ड्राइवर प्रभावित
बता दें, जिले में लगभग 15 सौ और प्रदेश में सवा लाख बस कंडक्टर और ड्राइवर लॉकडाउन से प्रभावित हैं. तमाम बस ऑपरेटर प्रधानमंत्री से लेकर स्थानीय विधायक, जिला प्रशासन से लेकर सभी जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी इनकी मदद नहीं की. अगर ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय में इनके हालात बद से बदतर हो जाएंगे.