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लापरवाही की हद, यहां जनसुनवाई में लोगों की समस्या से ज्यादा जरूरी है वर्ल्ड कप की अपडेट्स - जनसमस्या से ज्यादा जरूरी है मैच का स्कोर

आम जनता की समस्याओं के लिए लगने वाली जनसुनवाई अधिकारियों के लापरवाही की वजह से सुर्खियों में है, वैसे तो जनसुनवाई आम जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए लगाई जाती है, लेकिन जब जनसुनवाई में मौजूद अधिकारी ही लापरवाही करने लगे तो आम जनता किससे न्याय की उम्मीद करे.

जनसुवाई के नजारे
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Published : Jun 12, 2019, 8:23 PM IST

छतरपुर। जिले में जन सुनवाई के दौरान बेपरवाही का आलम देखने को मिला है. जनसुनवाई के दौरान जहां जिले के कलेक्टर आम जनता की समस्याएं सुन रहे थे, तो वहीं उनके साथ मौजूद अधिकारी मोबाइल पर व्हाट्सएप और क्रिकेट मैच की अपडेट्स जानने में व्यस्त थे.

समस्याओं पर आश्वासन का हवाला

छतरपुर जिले के दूरस्थ गांव से आने वाली आम जनता अपनी समस्याओं के निराकरण की चाह में छतरपुर आते हैं और उन्हें बार-बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. अधिकारी आधे से ज्यादा समय तो वे मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. जनसुनवाई के दौरान अधिकारियों का इस प्रकार का रवैया कई सवाल खड़े करता है. बल्कि जनसुनवाई में समस्याओं का समाधान कैसे होता है उस पर भी एक सवाल खड़ा होता है.

जनसुनवाई में मोबाइल चलाते अधिकारी.

बहुत मामुली बात है

इस मामले में जब हमने कलेक्टर मोहित बुंदस से बात की तो उन्होंने इसे बेहद छोटा मामला बताते हुए टाल दिया. कलेक्टर बुंदस का कहना था कि ऐसा नहीं है कि अधिकारी अपने काम पर ध्यान नहीं देते, हां वह अलग बात है कि कुछ समय के लिये शायद वह अपना मोबाइल देख लेते होंगे.


जिला कलेक्टर मोहित बुंदस भले ही इस मामले को छोटा बता रहे हों, लेकिन जनसुनवाई जैसे बड़े कार्यक्रम में अधिकारियों की मोबाइल पर व्यस्तता यह दर्शाती है कि अधिकारी अपने काम के प्रति कितनी लापरवाह है.

छतरपुर। जिले में जन सुनवाई के दौरान बेपरवाही का आलम देखने को मिला है. जनसुनवाई के दौरान जहां जिले के कलेक्टर आम जनता की समस्याएं सुन रहे थे, तो वहीं उनके साथ मौजूद अधिकारी मोबाइल पर व्हाट्सएप और क्रिकेट मैच की अपडेट्स जानने में व्यस्त थे.

समस्याओं पर आश्वासन का हवाला

छतरपुर जिले के दूरस्थ गांव से आने वाली आम जनता अपनी समस्याओं के निराकरण की चाह में छतरपुर आते हैं और उन्हें बार-बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. अधिकारी आधे से ज्यादा समय तो वे मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. जनसुनवाई के दौरान अधिकारियों का इस प्रकार का रवैया कई सवाल खड़े करता है. बल्कि जनसुनवाई में समस्याओं का समाधान कैसे होता है उस पर भी एक सवाल खड़ा होता है.

जनसुनवाई में मोबाइल चलाते अधिकारी.

बहुत मामुली बात है

इस मामले में जब हमने कलेक्टर मोहित बुंदस से बात की तो उन्होंने इसे बेहद छोटा मामला बताते हुए टाल दिया. कलेक्टर बुंदस का कहना था कि ऐसा नहीं है कि अधिकारी अपने काम पर ध्यान नहीं देते, हां वह अलग बात है कि कुछ समय के लिये शायद वह अपना मोबाइल देख लेते होंगे.


जिला कलेक्टर मोहित बुंदस भले ही इस मामले को छोटा बता रहे हों, लेकिन जनसुनवाई जैसे बड़े कार्यक्रम में अधिकारियों की मोबाइल पर व्यस्तता यह दर्शाती है कि अधिकारी अपने काम के प्रति कितनी लापरवाह है.

Intro:आम जनता की समस्याओं के लिए लगने वाली जनसुनवाई अधिकारियों के लापरवाही की वजह से सुर्खियों में है वैसे तो जनसुनवाई आम जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए लगाई जाती है लेकिन जब जनसुनवाई में मौजूद अधिकारी ही लापरवाही करने लगे तो आम जनता किस्से न्याय की उम्मीद करें!


Body:छतरपुर जिले में जन सुनवाई के दौरान जनसुनवाई सुनने वाले अधिकारी ज्यादातर मोबाइल पर ही व्यस्त नजर आए जनसुनवाई के दौरान जहां जिले के कलेक्टर एक एक करके आम जनता की समस्याएं सुन रहे थे तो वहीं उनके अधिकारी मोबाइल पर व्हाट्सएप एवं क्रिकेट देखने में व्यस्त थे! अब सोचने वाली बात यह है छतरपुर जिले के दूरस्थ गांव से आने वाली आम जनता अपनी समस्याओं के निराकरण की चाह में छतरपुर आते हैं और उन्हें बार-बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है तो यह बात समझने में देर नहीं लगती कि अधिकारी आखिर क्यों बार-बार लोगों को एक समस्या के लिए परेशान करते हैं! जनसुनवाई के दौरान अधिकारियों का इस प्रकार का रवैया न सिर्फ कई सवाल खड़े करता है बल्कि जनसुनवाई मैं समस्याओं का समाधान किस प्रकार होता है उस पर भी एक सवाल खड़ा होता है!


इस संबंध में जब हमने जिला मोहित बंद से बात की तो उन्होंने इसे बेहद छोटा मामला बताते हुए टाल दिया कलेक्टर मोहित बुंदस का कहना था कि ऐसा नहीं है कि अधिकारी अपने काम पर ध्यान नहीं देते हां वह अलग बात है कि कुछ समय बाद जाता है तो शायद वह अपना मोबाइल देख लेते होंगे!


Conclusion:भले ही जिला कलेक्टर मोहित बुंदस इस मामले को छोटा बता रहे हो लेकिन जनसुनवाई जैसे बड़े मामले में अधिकारियों का मोबाइल पर व्यस्त रहना यह दर्शाता है कि अधिकारी अपने काम के प्रति कितनी लापरवाह हैं!

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