छतरपुर। जिला अस्पताल कोरोना काल में बदहाली से जूझ रहा है. इसके बारे में एक ऐसा सच जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे, यहां बना ब्लड बैंक खुद इस समय बेहद बीमार है और उसे ब्लड की सख्त जरूरत है. और यही वजह है कि जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे मरीज ब्लड बैंक के सामने घंटों बैठे रहते हैं, लेकिन उन्हें खून की जगह सिर्फ इंतजार ही नसीब होता है.
जिला अस्पताल की रक्त व्यवस्था पूरी तरह से ठप है और मरीजों की जिंदगी और मौत के बीच इस समय सिर्फ ब्लड डोनर ही इन गंभीर परिस्थितियों में लोगों की जान बचा रहे हैं.
अस्पात के बाहर बड़ा मलहरा क्षेत्र के घुवारा तहसील की रहने वाली महिला थैलिसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए ब्लड लेने के घंटो इंतजार करती रही. थैलिसीमिया बीमारी में मरीज को कभी भी ब्लड की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में जिला अस्पताल के बाहर इस गंभीर बीमारी से पीड़ित ये बच्चे पिछले कई घंटों से रक्त के लिए ब्लड बैंक के बाहर इंतजार करते रहे और ब्लड बैंक में रक्त ना होने की वजह से उन्हें ब्लड देने से इनकार कर दिया गया.
ब्लड डोनर वैभव अग्रवाल को इसकी सूचना मिली वैभव और उनका भतीजा अमर दोनों बच्चों की मदद करने अस्पताल पहुंचे. दोनों बताते हैं कि उनके पास समाजसेवी अंकित का फोन आया था कि जिला अस्पताल में 2 बच्चे हैं जिन्हें रक्त की सख्त जरूरत है इसलिए वह एवं उनका भतीजा दोनों ही रक्तदान करने के लिए जिला अस्पताल पहंच गए.
ब्लड बैंक में काम करने वाले अधिकारियों का कहना है कि जिला अस्पताल में इस समय सभी ग्रुपों का ब्लड उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इस वजह से हम लोगों को जरूरत के समय पर रक्त मुहैया नहीं करा पा रहे हैं.
जिला अस्पताल में इन दिनों रक्त ना मिलने की वजह से लोग खासे परेशान हैं. रक्त हर वक्त के नाम से लोगों के बीच में समाज सेवा करने वाले अंकित अग्रवाल बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते रक्त शिविर नहीं लग पा रहे हैं और जो डोनर थे वह बीमारी के डर की वजह से जिला अस्पताल नहीं आ रहे हैं. यही कारण है कि जिला अस्पताल में इस तरह के हालात पैदा हो गए हैं.