छतरपुर। बिजावर मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर भीमकुंड नाम का स्थान अपने आप मे ही खास है, जिसकी गहराई वैज्ञानिक भी नहीं माप पाए हैं, भीमकुंड दुनिया मे किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भीमकुंड का जलकुंड अपने अंदर रहस्यों को समेटे हुए है. इस कुंड में कई भौगोलिक रहस्य छिपे हुए हैं. माना जाता है कि, जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, इस कुंड के पानी में हलचल पैदा हो जाती है.
कैसे पड़ा इसका नाम भीमकुंड ?
धार्मिक स्थल भीमकुंड जो बुंदेलखंड क्षेत्र का बहुत ही चर्चित और प्राचीन स्थाल है. स्थानीय लोगों की माने तो, भीमकुंड को लेकर कई कहानियां क्षेत्र में प्रचलित हैं. किवदंती है की, इस पानी के कुंड के तार महाभारत काल से जुड़े हुए हैं.
बताया जाता है कि, पांडव अपने अज्ञातवास के समय यहां के जंगल से गुजर रहे थे, तभी अचानक द्रौपदी को प्यास लगी और वो मूर्छित होने लगी, उसी समय भीम ने यहां अपने गदा से जमीन पर प्रहार किया. जिससे इस कुंड का निर्माण हुआ. इस कुंड का नाम भीमकुंड प्रचलित हुआ.
क्या है भीमकुंड में खास ?
भीमकुण्ड में गुफा के अंदर सीढ़ियों से नीचे की ओर जाया जाता है. जहां नीले रंग का जल कुंड मौजूद है. इसकी गहराई का अंदाजा लगाना आधुनिक युग मे भी विज्ञान के लिए अनसुलझा रहस्य बना हुआ है. जल कुंड के बाहर आस्था से भरे भक्तों के लिए भगवान भोलेनाथ का एक छोटा सा मंदिर भी मौजूद है. जहां भक्त स्नान कर दर्शन करते है. बता दे की भीमकुण्ड के पानी का रंग पूरा नीला है. जबकि आस- पास इस तरह के पानी का कोई भी स्त्रोत मौजूद नहीं है. इसलिए भीमकुण्ड का सम्बंध समुद्र तक से माना जाता है.
यहां बताया जाता है कि, जब देश मे 2004 सुनामी जैसी आपदा आयी थी. तब भीमकुण्ड का पानी अचानक 10 फिट से 15 फिट तक ऊपर आ गया था. लोगों का यहां तक कहना है कि, जब भी भूकंप, या सुनामी या कोई तूफान आने वाला होता है तो यहां अचानक ही इस कुंड में हलचल पैदा हो जाती है.