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भीमकुंड में छिपे हैं कई भौगोलिक रहस्य, प्राकृतिक आपदा का पहले ही मिल जाता है संकेत ! - भीमकुण्ड के पानी का रंग पूरा नीला

छतरपुर में भीमकुंड नाम का एक ऐसा स्थान है, जिसकी गहराई अभी तक कोई माप नहीं पाया है. इस कुंड में कई रहस्य छिपे हुए हैं. माना जाता है कि, जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, इस कुंड के पानी में हलचल पैदा हो जाती है.

Bhimkund in Chhatarpur has many secrets
भीमकुंड
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Published : Jan 21, 2020, 12:06 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 12:59 PM IST

छतरपुर। बिजावर मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर भीमकुंड नाम का स्थान अपने आप मे ही खास है, जिसकी गहराई वैज्ञानिक भी नहीं माप पाए हैं, भीमकुंड दुनिया मे किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भीमकुंड का जलकुंड अपने अंदर रहस्यों को समेटे हुए है. इस कुंड में कई भौगोलिक रहस्य छिपे हुए हैं. माना जाता है कि, जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, इस कुंड के पानी में हलचल पैदा हो जाती है.

भीमकुंड

कैसे पड़ा इसका नाम भीमकुंड ?

धार्मिक स्थल भीमकुंड जो बुंदेलखंड क्षेत्र का बहुत ही चर्चित और प्राचीन स्थाल है. स्थानीय लोगों की माने तो, भीमकुंड को लेकर कई कहानियां क्षेत्र में प्रचलित हैं. किवदंती है की, इस पानी के कुंड के तार महाभारत काल से जुड़े हुए हैं.
बताया जाता है कि, पांडव अपने अज्ञातवास के समय यहां के जंगल से गुजर रहे थे, तभी अचानक द्रौपदी को प्यास लगी और वो मूर्छित होने लगी, उसी समय भीम ने यहां अपने गदा से जमीन पर प्रहार किया. जिससे इस कुंड का निर्माण हुआ. इस कुंड का नाम भीमकुंड प्रचलित हुआ.

क्या है भीमकुंड में खास ?

भीमकुण्ड में गुफा के अंदर सीढ़ियों से नीचे की ओर जाया जाता है. जहां नीले रंग का जल कुंड मौजूद है. इसकी गहराई का अंदाजा लगाना आधुनिक युग मे भी विज्ञान के लिए अनसुलझा रहस्य बना हुआ है. जल कुंड के बाहर आस्था से भरे भक्तों के लिए भगवान भोलेनाथ का एक छोटा सा मंदिर भी मौजूद है. जहां भक्त स्नान कर दर्शन करते है. बता दे की भीमकुण्ड के पानी का रंग पूरा नीला है. जबकि आस- पास इस तरह के पानी का कोई भी स्त्रोत मौजूद नहीं है. इसलिए भीमकुण्ड का सम्बंध समुद्र तक से माना जाता है.

यहां बताया जाता है कि, जब देश मे 2004 सुनामी जैसी आपदा आयी थी. तब भीमकुण्ड का पानी अचानक 10 फिट से 15 फिट तक ऊपर आ गया था. लोगों का यहां तक कहना है कि, जब भी भूकंप, या सुनामी या कोई तूफान आने वाला होता है तो यहां अचानक ही इस कुंड में हलचल पैदा हो जाती है.

छतरपुर। बिजावर मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर भीमकुंड नाम का स्थान अपने आप मे ही खास है, जिसकी गहराई वैज्ञानिक भी नहीं माप पाए हैं, भीमकुंड दुनिया मे किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भीमकुंड का जलकुंड अपने अंदर रहस्यों को समेटे हुए है. इस कुंड में कई भौगोलिक रहस्य छिपे हुए हैं. माना जाता है कि, जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, इस कुंड के पानी में हलचल पैदा हो जाती है.

भीमकुंड

कैसे पड़ा इसका नाम भीमकुंड ?

धार्मिक स्थल भीमकुंड जो बुंदेलखंड क्षेत्र का बहुत ही चर्चित और प्राचीन स्थाल है. स्थानीय लोगों की माने तो, भीमकुंड को लेकर कई कहानियां क्षेत्र में प्रचलित हैं. किवदंती है की, इस पानी के कुंड के तार महाभारत काल से जुड़े हुए हैं.
बताया जाता है कि, पांडव अपने अज्ञातवास के समय यहां के जंगल से गुजर रहे थे, तभी अचानक द्रौपदी को प्यास लगी और वो मूर्छित होने लगी, उसी समय भीम ने यहां अपने गदा से जमीन पर प्रहार किया. जिससे इस कुंड का निर्माण हुआ. इस कुंड का नाम भीमकुंड प्रचलित हुआ.

क्या है भीमकुंड में खास ?

भीमकुण्ड में गुफा के अंदर सीढ़ियों से नीचे की ओर जाया जाता है. जहां नीले रंग का जल कुंड मौजूद है. इसकी गहराई का अंदाजा लगाना आधुनिक युग मे भी विज्ञान के लिए अनसुलझा रहस्य बना हुआ है. जल कुंड के बाहर आस्था से भरे भक्तों के लिए भगवान भोलेनाथ का एक छोटा सा मंदिर भी मौजूद है. जहां भक्त स्नान कर दर्शन करते है. बता दे की भीमकुण्ड के पानी का रंग पूरा नीला है. जबकि आस- पास इस तरह के पानी का कोई भी स्त्रोत मौजूद नहीं है. इसलिए भीमकुण्ड का सम्बंध समुद्र तक से माना जाता है.

यहां बताया जाता है कि, जब देश मे 2004 सुनामी जैसी आपदा आयी थी. तब भीमकुण्ड का पानी अचानक 10 फिट से 15 फिट तक ऊपर आ गया था. लोगों का यहां तक कहना है कि, जब भी भूकंप, या सुनामी या कोई तूफान आने वाला होता है तो यहां अचानक ही इस कुंड में हलचल पैदा हो जाती है.

Intro:बिजावर-स्पेशल
- क्या है भीमकुण्ड का रहयस्य

बिजावर मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर भीमकुण्ड नाम का स्थान अपने आप मे ही खास है जिसकी गहराई बैज्ञानिक भी नही नाप पाएं,जो भीमकुण्ड दुनिया मे किसी पहचान का मोहताज नही है बिदेशी चेंनल डिसकवरी जैसै टीव्ही प्रोग्राम ने यहाँ कई प्रोग्राम बनाकर खोज की है

भीमकुण्ड नाम का जलकुण्ड अपने अंदर रहस्यो को समेटे हुए है सदियों से भारत एक साधु-संतों का साधना का देश है,

धार्मिक स्थल भीमकुण्ड जो बुन्देखण्ड क्षेत्र का बहुत ही चर्चित एवं प्राचीन स्थान है
स्थानीय लोगो की माने तो यहां भीमकुण्ड को लेकर कई कहानियां क्षेत्र में प्रचलित है किवदंती है की इस पानी के कुंड के तार महाभारत काल से जुड़े हुए है बताया जाता है कि पांडव अपने अज्ञातबास के समय यहां के जंगल पर्वत से गुजर रहे थे तभी अचानक पांच पांडवो की पत्नी द्रोपती को प्यास लगी और वह मूर्छित होने लगी,उसी समय पांडवो के भाई भीम ने यहां अपने गधा (मुकदर) से जमीन पर प्रहार किया जिससे पांच पड़ावों की पत्नी द्रौपती की प्यास बुझी एवं तभी इस पानी के कुंड का निर्माण हुआ,और इस कुंड का नाम भीमकुंड प्रचलित हुआ,






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भीमकुण्ड में गुफा के अंदर सीढ़ियों से नीचे की ओर पहुंचा जाता है जहां नीले रंग का जल कुण्ड मौजूद है इस जल कुण्ड की चौड़ाई तो ज्यादा नही है लेकिन गहराई का अंदाजा आधुनिक युग मे भी बिज्ञान के लिए अनसुलझा रहयस्य बना हुआ है जल कुण्ड के बाहर आस्था से भरे भक्तो के लिए भगवान भोलेनाथ का एक छोटा सा मंदिर भी मौजूद है जहां भक्त स्नान कर दर्शन करते है

भीमकुण्ड को नारद एवं नील कुण्ड के नाम से भी जाना जाता है

नब्बे के दशक में डिसकवरी चैनल ने भी यहाँ आकर भीमकुण्ड के अंदर का रहयस्य जानने की कोशिश की थी,कई गोताखोरों ने या कुण्ड में गोता भी लगाए, दो कठोर चट्टानों के बीच पानी का भाव है लेकिन उनके हाथ भी कुछ खास नही लगा,उस समय मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने सुना था एवं क्षेत्रबासियो को बताया था कि कुंड के नीचे दो और कुण्ड मौजूद है जिसमे 1 कुंड का पानी दूसरे कुंड में जाता है जिस पानी का बहाव बहुत ज्यादा है जिस कारण से गोताखोर ने भी हार मान ली,एवं जितनी जानकारी मिली उतनी जानकारी साथ लेकर चले गए,

आपको को बता दे की भीमकुण्ड के पानी का रंग पूर्णतः नीला है जिससे काफी गहराई तक आसानी से देखा जा सकता हैजबकि आस-पास इस तरह के पानी का कोई भी स्त्रोत मौजूद नही है इसलिए भीमकुण्ड का सम्बंध समुद्र तक से माना जाता है

बताया जाता है कि नब्बे के दशक में इस कुण्ड के पानी को जिला कलेक्टर द्वारा खाली कराने का भी प्रयास किया गया था लेकिन कई होश पॉवर की बिजली से चलने वाली मोटरे भी हफ़्तों तक चलती रही लेकिन भीमकुण्ड का पानी कम नही हुआ था,यहाँ के पानी को मिनरल वाटर भी कहते है

यहाँ बताया जाता है कि जब देश मे सन 2004 सुनामी जैसी आपदा आयी थी तब भीमकुण्ड का पानी अचानक 10 फुट से 15 फुट तक उछाल करने लगा था,लोगो का यहां तक कहना है कि जब भी भूकंप, या सुनामी या कोई तूफान आने वाला होता है तो यहाँ अचानक ही हलचल पैदा हो जाती है,








Conclusion:

कुछ लोगो का मानना है कि भीमकुण्ड एक शांत ज्वालामुखी है जिसकी संरचना प्राकृतिक है

यही कारण है कि भीमकुण्ड का रहस्य आज के आधुनिक युग मे एक रहस्यमय बिषय बना हुआ जहां साइंस के लिए कुछ भी नामुमकिन नही है लेकिन इस पहेली को सुलझाना मुमकींन नही लगता,




बाईट-1- भीमकुण्ड धाम पुजारी
बाईट-2- रवि अग्रवाल ( समाज सेवी )
Speshal-
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Last Updated : Jan 21, 2020, 12:59 PM IST
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