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Bageshwar Dham Sarkar पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी..उनके जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी - जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी Bageshwar

बेहद कम उम्र 26 साल की उम्र में धर्म व अध्यात्म की दुनिया मे देश-दुनिया में ख्याति बनाने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अक्सर अपनी कथा में जिगरी दोस्त शेख मुबारक का जिक्र करते हैं. आइए जानते हैं कौन है ये शेख मुबारक, दोनों की दोस्ती कब और कैसे शुरू हुई. शेख मुबारक से ही जानते हैं पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बागेश्वर धाम सरकार बनने तक का सफर...

Bageshwar Dham Sarkar story of Pandit Dhirendra Krishna Shastri
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी
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Published : Feb 7, 2023, 3:59 PM IST

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी

छतरपुर। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बारे में बात करते हुए उनके मित्र शेख मुबारक का कहना है कि हम लोग 12 वर्ष से जिगरी दोस्त हैं. शेख बताते हैं कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गढ़ा में रहते थे और वह गंज के पास एक गांव घूरा में. 12 साल पहले एक धार्मिक स्थल पर दोनों की मुलाकात हुई. ये मुलाकात आगे चलकर दोस्ती में बदल गई. इसके बाद दोस्ती गहरी होती चली गई. बचपन से ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आध्यात्मिक रहे हैं. दोस्तों के साथ हमेशा उनका सामान्य व्यवहार रहता था. मेरे साथ घूमना फिरना, साथ में समोसे खाना जैसी गतिविधियां रोज की बात थी. किसी अन्य दोस्त के घर जाते थे तो हम दोनों साथ होते थे.

Bageshwar Dham Sarkar story of Pandit Dhirendra Krishna Shastri
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी

बहन की शादी में शेख ने दिए 20 हजार रुपए : शेख मुबारक बताते हैं कि इन 12 सालों के अंदर पंडित धीरेंद्र शास्त्री में कई बदलाव आए हैं, लेकिन वह आज भी हम लोगों से उसी तरह बात करते हैं जैसे कि पहले करते थे. पहले की यादों में खोते हुए शेख ने बताया कि ईद के समय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हमारे घर आते थे और हम लोग साथ बैठकर सिमैया खाते थे तो मकर संक्रांति में हम लोग उनके घर जाते थे और त्यौहार मनाते थे. वह बताते हैं कि जब उनकी बहन की शादी होनी थी तो उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उस समय मैंने उनकी 20 हजार की मदद की थी, जो कुछ दिनों बाद उन्होंने लौटा दिए थे. यही वजह है कि वह आज भी कई कार्यक्रमों में मेरा जिक्र करते हैं. शेख का कहना है कि ये पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की महानता है कि इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी मेरी उस मदद का उल्लेख करते हैं.

Bageshwar Dham Sarkar story of Pandit Dhirendra Krishna Shastri
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी

कुछ बातों से असहमत लेकिन हैं महाराज के मुरीद : शेख मुबारक से जब पूछा कि इन दिनों पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जिस तरह से बुलडोजर के अलावा फिल्म के बॉयकॉट को लेकर बयान दे रहे हैं, उससे आप कितने सहमत हैं. इस सवाल के जवाब में शेख मुबारक ने कहा कि यह उनका निजी विचार हैं. अभी उनकी उम्र छोटी है. वह पूरी तरह से युवा भी नहीं हुए हैं. धीरे-धीरे उन्हें समझ आ जाएगी. कई बार वह इस तरह के बयान देने के बाद बाद में वह खुद पछताते हैं. शेख बताते हैं कि कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि महाराज बुलडोजर की बात कहते हैं तो तुम्हें कैसा लगता है, इस पर मैं कई बार कह चुका हूं कि ये तो गलत है. लेकिन जैसे -जैसे महाराज परिपक्व होते जाएंगे, ऐसी बातें करना बंद कर देंगे. शेख बताते हैं कि हम दोनों के बीच में किसी से कोई गलती हो जाए तो हम मैसेज करके अपनी बात रख देते हैं. बड़ी बात ये है कि महाराज मुझसे कुछ छिपाते नहीं और दिल की बात कह देते हैं. इसके साथ ही बातचीत के दौरान शेख अपने दोस्त धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की बार-बार तारीफ भी करते रहे.

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महाराज की ऐसे बढ़ती गई ख्याति : शेख बताते हैं कि शुरू से ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की अध्यात्म में खास रुचि रही है. महाराज पहले भी यहां बीमार बच्चों के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करते थे. उनकी प्रार्थना का इतना प्रभाव होता था कि बीमार बच्चे ठीक हो जाते थे. कुछ दिनों बाद आसपास के लोगों की भी बागेश्वर धाम में प्रबल आस्था होने लगी. पहले आसपास के लोग ही बागेश्वर धाम आते थे लेकिन जब लोगों को फायदा होने लगा तो बाहर के लोग आने शुरू हो गए. शेख बताते हैं कि आज से 11 साल पहले उन्होंने ही अपने गांव में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा रामकथा का आयोजन करवाया था. उस दौरान ही समझ में आ गया था कि पंडितजी बहुत आगे जाएंगे. क्योंकि कथा के समापन मौके पर गांव के लोग महाराज की विदाई के समय बेहद भाव विह्वल हो गए थे.

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी

छतरपुर। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बारे में बात करते हुए उनके मित्र शेख मुबारक का कहना है कि हम लोग 12 वर्ष से जिगरी दोस्त हैं. शेख बताते हैं कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गढ़ा में रहते थे और वह गंज के पास एक गांव घूरा में. 12 साल पहले एक धार्मिक स्थल पर दोनों की मुलाकात हुई. ये मुलाकात आगे चलकर दोस्ती में बदल गई. इसके बाद दोस्ती गहरी होती चली गई. बचपन से ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आध्यात्मिक रहे हैं. दोस्तों के साथ हमेशा उनका सामान्य व्यवहार रहता था. मेरे साथ घूमना फिरना, साथ में समोसे खाना जैसी गतिविधियां रोज की बात थी. किसी अन्य दोस्त के घर जाते थे तो हम दोनों साथ होते थे.

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पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी

बहन की शादी में शेख ने दिए 20 हजार रुपए : शेख मुबारक बताते हैं कि इन 12 सालों के अंदर पंडित धीरेंद्र शास्त्री में कई बदलाव आए हैं, लेकिन वह आज भी हम लोगों से उसी तरह बात करते हैं जैसे कि पहले करते थे. पहले की यादों में खोते हुए शेख ने बताया कि ईद के समय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हमारे घर आते थे और हम लोग साथ बैठकर सिमैया खाते थे तो मकर संक्रांति में हम लोग उनके घर जाते थे और त्यौहार मनाते थे. वह बताते हैं कि जब उनकी बहन की शादी होनी थी तो उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उस समय मैंने उनकी 20 हजार की मदद की थी, जो कुछ दिनों बाद उन्होंने लौटा दिए थे. यही वजह है कि वह आज भी कई कार्यक्रमों में मेरा जिक्र करते हैं. शेख का कहना है कि ये पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की महानता है कि इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी मेरी उस मदद का उल्लेख करते हैं.

Bageshwar Dham Sarkar story of Pandit Dhirendra Krishna Shastri
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी जिगरी दोस्त शेख मुबारक की जुबानी

कुछ बातों से असहमत लेकिन हैं महाराज के मुरीद : शेख मुबारक से जब पूछा कि इन दिनों पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जिस तरह से बुलडोजर के अलावा फिल्म के बॉयकॉट को लेकर बयान दे रहे हैं, उससे आप कितने सहमत हैं. इस सवाल के जवाब में शेख मुबारक ने कहा कि यह उनका निजी विचार हैं. अभी उनकी उम्र छोटी है. वह पूरी तरह से युवा भी नहीं हुए हैं. धीरे-धीरे उन्हें समझ आ जाएगी. कई बार वह इस तरह के बयान देने के बाद बाद में वह खुद पछताते हैं. शेख बताते हैं कि कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि महाराज बुलडोजर की बात कहते हैं तो तुम्हें कैसा लगता है, इस पर मैं कई बार कह चुका हूं कि ये तो गलत है. लेकिन जैसे -जैसे महाराज परिपक्व होते जाएंगे, ऐसी बातें करना बंद कर देंगे. शेख बताते हैं कि हम दोनों के बीच में किसी से कोई गलती हो जाए तो हम मैसेज करके अपनी बात रख देते हैं. बड़ी बात ये है कि महाराज मुझसे कुछ छिपाते नहीं और दिल की बात कह देते हैं. इसके साथ ही बातचीत के दौरान शेख अपने दोस्त धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की बार-बार तारीफ भी करते रहे.

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महाराज की ऐसे बढ़ती गई ख्याति : शेख बताते हैं कि शुरू से ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की अध्यात्म में खास रुचि रही है. महाराज पहले भी यहां बीमार बच्चों के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करते थे. उनकी प्रार्थना का इतना प्रभाव होता था कि बीमार बच्चे ठीक हो जाते थे. कुछ दिनों बाद आसपास के लोगों की भी बागेश्वर धाम में प्रबल आस्था होने लगी. पहले आसपास के लोग ही बागेश्वर धाम आते थे लेकिन जब लोगों को फायदा होने लगा तो बाहर के लोग आने शुरू हो गए. शेख बताते हैं कि आज से 11 साल पहले उन्होंने ही अपने गांव में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा रामकथा का आयोजन करवाया था. उस दौरान ही समझ में आ गया था कि पंडितजी बहुत आगे जाएंगे. क्योंकि कथा के समापन मौके पर गांव के लोग महाराज की विदाई के समय बेहद भाव विह्वल हो गए थे.

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