छतरपुर। जिले के खजुराहो में स्थित भगवान ब्रह्मा का एकलौता मंदिर इस समय उपेक्षा का शिकार हो रहा है. ना तो पुरातत्व विभाग इस ओर कोई ध्यान दे रहा है और ना ही यहां आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों का इस मंदिर के प्रति कोई रुझान है. हालांकि पूरे विश्व में इस मंदिर के जैसा कोई दूसरा मंदिर नहीं है. ये मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने से लोगों को भगवान शिव एवं भगवान विष्णु की पूजा करने के बराबर फल मिलता है.
विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो तो वैसे मंदिरों के बाहर उकेरी गई मुख्य कलाकृतियों के लिए जाना जाता है. पूरी दुनिया से पर्यटक इन मंदिरों को देखने के लिए खजुराहो आते हैं, लेकिन खजुराहो में रहने वाले तमाम गाइड ज्यादातर पश्चिमी मंदिर समूह को ही पर्यटकों को दिखाते हैं.
अन्य मंदिरों की ओर ना तो किसी पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने ध्यान दिया और ना ही गाइड इन मंदिरों को विदेशी सैलानियों को दिखाते हैं. एक ऐसा ही मंदिर खजुराहो के अंदर मौजूद है, जिसे खजुराहो का पुष्कर मंदिर भी कहते हैं.
ये मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है. ऐसा माना जाता है इस मंदिर का निर्माण लगभग 1000 वर्ष पहले चंदेल राजाओं के द्वारा कराया गया था. इस मंदिर के अंदर एक शिवलिंग है, जिसके चारों ओर भगवान ब्रह्मा के चित्र अंकित किए गए हैं और ये तमाम चित्र अलग-अलग मुद्राओं को दर्शाते हैं.
इस मंदिर के अंदर बनी शिवलिंग ग्रेनाइट पत्थर की है जो कि देखने में बेहद खूबसूरत नजर आती है. पुरातत्व विभाग की लापरवाही के चलते अब बरसात का पानी भी इस मंदिर के अंदर आने लगा है.
जिससे हजारों साल पुराना ये मंदिर खराब हो रहा है. बल्कि धीरे-धीरे मंदिर में गिरावट भी आने लगी है. लगातार इसी तरह पुरातत्व विभाग की लापरवाही चलती रही तो आने वाले समय में ये मंदिर खंडहर में तब्दील हो जाएगा.
पिछले कई सालों से लगातार इस मंदिर की अनदेखी पुरातत्व विभाग के द्वारा की जा रही है. हालांकि पुरातत्व विभाग की तरफ से एक सुरक्षाकर्मी यहां तैनात कर दिया गया है, लेकिन बरसात के दिनों में मंदिर लगातार जर्जर होता जा रहा है और पुरातत्व विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. ये मंदिर अपने आप में अनूठा है, बल्कि इसके गर्भ गृह में मौजूद शिवलिंग पर ब्रह्मदेव की आकृति से घिरा हुआ है, जो अपने आप में अद्वितीय है.