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10 साल की अफसा ने कोरोना को भगाने के लिए रखा जिंदगी का पहला रोजा

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Published : Apr 27, 2020, 1:26 PM IST

छतरपुर की अफसा महज 10 साल की हैं और वो चाहती है कि, जल्द ही कोरोना महामारी का प्रकोप खत्म हो और लॉकडाउन हटे ताकि वो और उस जैसे कई बच्चे स्कूल जा सकें. उन्होंने इसके लिए अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा है.

0-year-old Afasa kept Roja
अफसा का रोजा

छतरपुर। अफसा ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा कोरोना के खत्म होने की खुदा से दुआ करने के लिए रखा है. अफसा महज 10 साल की हैं, और वो चाहती हैं कि, जल्द इस महामारी का प्रकोप खत्म हो और लॉकडाउन हटे, ताकि वो और उस जैसे कई बच्चे स्कूल जा सकें.

छतरपुर की नन्हीं रोजेदार

विश्वव्यापी इस महामारी से निपटने के लिए सभी लोग अपने- अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं, तो वहीं मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में रहने वाली 10 साल की अफसा कादरी ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा कोरोना वायरस को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से भगाने के लिए रखा.

अफसा की मां शाहीन फातिमा बताती हैं, 'कल सुबह हम लोगों के साथ उठते ही उसने सहरी की और कहा कि रोजा रखना चाहती है, पहले तो हमें यकीन नहीं हुआ, इतनी छोटी बच्ची और रोजा कैसे रख सकेगी.' अफसा का दिल रखने के लिए उसके माता-पिता ने उसे रोजा रखने के लिए हामी भर दी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी सच में पूरे दिन रोजा रख पाएगी.

अफसा की मां फातिमा कहती हैं, 'उन्हें इस बात को लेकर बेहद आश्चर्य था कि, अचानक अफसा रोजा क्यों रखना चाहती है. जब उससे पूछा तो उसने बताया, जिसे जानकर मैं और मेरे पति दोनों हैरत में रह गए'.

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परिवार के साथ रोजा इफ्तार करती अफसा

अफसा चाहती है, पूरे भारत से और पूरी दुनिया से कोरोना जैसी भयंकर बीमारी चली जाए, उसे इस बात का पूरा यकीन है, खुदा उसकी बात को जरूर सुनेंगे. अफसा के माता-पिता पिता बताते हैं कि, उसे अभी रोजे की नियत बांधनी एवं रोजा कैसे खोला जाता है यह नहीं आता है, फिलहाल हम लोगों ने ही उसकी मदद की.

10 साल की अफसा कक्षा 5 में पढ़ती है, लेकिन जिस नियत से उसने अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा है, उससे लगता है कि, खुदा उसकी इबादत जरूर सुनेगा. बहरहाल, अफसा की दुआ कुछ और भी हो सकती थी, लेकिन जिस नियत से उसने रोजा रखा है, उसे देख परिवार और उसके पड़ोसी अफसा पर नाज कर रहे हैं.

छतरपुर। अफसा ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा कोरोना के खत्म होने की खुदा से दुआ करने के लिए रखा है. अफसा महज 10 साल की हैं, और वो चाहती हैं कि, जल्द इस महामारी का प्रकोप खत्म हो और लॉकडाउन हटे, ताकि वो और उस जैसे कई बच्चे स्कूल जा सकें.

छतरपुर की नन्हीं रोजेदार

विश्वव्यापी इस महामारी से निपटने के लिए सभी लोग अपने- अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं, तो वहीं मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में रहने वाली 10 साल की अफसा कादरी ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा कोरोना वायरस को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से भगाने के लिए रखा.

अफसा की मां शाहीन फातिमा बताती हैं, 'कल सुबह हम लोगों के साथ उठते ही उसने सहरी की और कहा कि रोजा रखना चाहती है, पहले तो हमें यकीन नहीं हुआ, इतनी छोटी बच्ची और रोजा कैसे रख सकेगी.' अफसा का दिल रखने के लिए उसके माता-पिता ने उसे रोजा रखने के लिए हामी भर दी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी सच में पूरे दिन रोजा रख पाएगी.

अफसा की मां फातिमा कहती हैं, 'उन्हें इस बात को लेकर बेहद आश्चर्य था कि, अचानक अफसा रोजा क्यों रखना चाहती है. जब उससे पूछा तो उसने बताया, जिसे जानकर मैं और मेरे पति दोनों हैरत में रह गए'.

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परिवार के साथ रोजा इफ्तार करती अफसा

अफसा चाहती है, पूरे भारत से और पूरी दुनिया से कोरोना जैसी भयंकर बीमारी चली जाए, उसे इस बात का पूरा यकीन है, खुदा उसकी बात को जरूर सुनेंगे. अफसा के माता-पिता पिता बताते हैं कि, उसे अभी रोजे की नियत बांधनी एवं रोजा कैसे खोला जाता है यह नहीं आता है, फिलहाल हम लोगों ने ही उसकी मदद की.

10 साल की अफसा कक्षा 5 में पढ़ती है, लेकिन जिस नियत से उसने अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा है, उससे लगता है कि, खुदा उसकी इबादत जरूर सुनेगा. बहरहाल, अफसा की दुआ कुछ और भी हो सकती थी, लेकिन जिस नियत से उसने रोजा रखा है, उसे देख परिवार और उसके पड़ोसी अफसा पर नाज कर रहे हैं.

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