भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार अपना पहला पूर्णकालिक बजट पेश करने जा रही है, इसके पहले फरवरी में बजट सत्र के दौरान कमलनाथ सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था, जबकि सरकार के पास पूर्णकालिक बजट पेश करने का मौका था, लेकिन उस समय सरकार ने पूर्णकालिक बजट नहीं पेश किया था, इसके पीछे ये वजह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के वक्त सरकार पूर्णकालिक बजट पेश करती तो उसे आवाम को लुभाने के लिए चुनाव के दौरान वचन पत्र में किये गये सभी वादों को पूरा करने या उस मद में बजट आवंटित करने की चुनौती रहती और इसके अलावा भी हर किसी को लुभाने के मकसद से बढ़ा चढ़ाकर बजट पेश करना पड़ता, जबकि इसके लिए सरकार के पास न तो पैसा था और न ही समय.
कुल मिलाकर आम चुनाव नजदीक होने के चलते सरकार पर दबाव बढ़ जाता, जिससे पार पाना सरकार के लिए मुश्किल था, उस समय मुख्यमंत्री के पास प्रदेश के साथ-साथ पार्टी की भी जिम्मेदारी थी. ऐसे मुश्किल हालात से निपटने के लिए उन्होंने अंतरिम बजट पेश कर विपक्ष के हमलों से बचने का तरीका निकाला था. साथ ही सरकार बनने के तुरंत बाद कर्जमाफी के अलावा कई घोषणाओं पर तेजी से काम करना शुरू किया था, ताकि आवाम का विश्वास जीत सके, भले ही सरकार ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर भरोसा नहीं जताया.
कांग्रेस ने चुनाव के दौरान किसानों का 2 लाख तक कृषि लोन माफ करने का वचन दिया था, इसके अलावा मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना की राशि बढ़ाकर 50 हजार करने का वचन दिया था, ऐसे कई वादे कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किया था, लेकिन अब ये वचन ही सरकार के लिए मुसीबत बनने वाले हैं क्योंकि सरकार तो बन गयी है, पर उन वादों को पूरा करने के लिए राजस्व जुटाने का कोई जरिया सरकार के पास नहीं है. मध्यप्रदेश पहले से ही आर्थिक तंगी से गुजर रहा है, ऐसे में खाली खजाने के जरिये इन वादों को पूरा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.
अब सरकार के पास खजाने के हिसाब से संतुलित बजट पेश करने की मोहलत है, साथ ही जनता का भरोसा जीतने के लिए भी मुकम्मल समय है क्योंकि अभी सरकार को चुनाव पूर्व वादों पर ही 100 फीसदी फोकस करना है. हाल फिलहाल कोई चुनाव नहीं होने की वजह से सरकार को कम से कम इतना सुकून तो है कि वोट के लिए लंबा-चौड़ा बजट पेश करने की बजाय संतुलित बजट पेश करने का मौका है. जिससे लोकसभा चुनाव के दौरान खोये जनता के विश्वास को जीत सके. अब तो बुधवार को तरुण भनोत का पिटारा खुलने के बाद ही पता चलेगा कि कहां खुशी है कहां गम.