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कुठियाला का एक और कारनामा उजागर, निजी फायदे के लिए कराई थी 1.7 करोड़ की रिसर्चः EOW - bhopal

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्ति और आर्थिक अनियमितता मामले में EOW की टीम ने एक और नया खुलासा किया है. बताया जा रहा है कि पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला अपने कार्यकाल में एक करोड़ साढे 7 लाख रुपए की रिसर्च कराई थी, लेकिन इसका विश्वविद्यालय को कोई फायदा नहीं हुआ.

ईओडब्लयू के अधिकारी
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Published : Jul 1, 2019, 10:38 PM IST

भोपाल। फर्जी नियुक्ति और आर्थिक अनियमितता मामले में फंसे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला का एक नया कारनामा उजागर हुआ है. कुठियाला ने प्रोफेसर राकेश सिन्हा की सिफारिश पर एक रिसर्च कराई थी. जिसका कुल खर्च एक करोड़ साढे 7 लाख रुपए बताया गया है. जिसमें कई किताबें भी लिखी गई थीं, लेकिन इस रिसर्च और किताबों का कोई भी फायदा यूनिवर्सिटी या छात्रों को नहीं मिला. ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि कुठियाला ने खुद के फायदे और रुचि के लिए ये रिसर्च करवाई थी.

एमसीयू के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला का एक और कारनामा उजागर

रिसर्च में पाणिनि, स्वामी विवेकानंद, महर्षि पतंजलि और अरविंदो पर किताबें लिखी गई हैं. इसके अलावा भी कुठियाला ने पाकिस्तान मीडिया स्केन पर भी एक रिसर्च करवाई थी. जिसमें करीब 17 लाख रुपये की राशि यूनिवर्सिटी से दी गई थी. इतना ही नहीं राष्ट्रीय ज्ञान संगम पर 6 लाख, राष्ट्रीय सामाजिक कार्यशाला पर 7 लाख रुपये और हरिद्वार में रवि शंकर के आश्रम में भी एक कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसमें 3 लाख रुपये खर्च किया गया था.

इन कार्यशालाओं का कोई भी लाभ यूनिवर्सिटी को नहीं मिला. इन सभी आर्थिक अनियमितताओं का जिक्र एमसीयू की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है. जिसे लेकर अब ईओडब्ल्यू बारीकी से पड़ताल कर रही है. ईओडब्ल्यू के डीजी केएन तिवारी का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच बारीकी से की जा रही है क्योंकि जो भी रिसर्च हुई है, वह बृजकिशोर कुठियाला ने केवल अपने फायदे के लिए कराया था.

भोपाल। फर्जी नियुक्ति और आर्थिक अनियमितता मामले में फंसे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला का एक नया कारनामा उजागर हुआ है. कुठियाला ने प्रोफेसर राकेश सिन्हा की सिफारिश पर एक रिसर्च कराई थी. जिसका कुल खर्च एक करोड़ साढे 7 लाख रुपए बताया गया है. जिसमें कई किताबें भी लिखी गई थीं, लेकिन इस रिसर्च और किताबों का कोई भी फायदा यूनिवर्सिटी या छात्रों को नहीं मिला. ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि कुठियाला ने खुद के फायदे और रुचि के लिए ये रिसर्च करवाई थी.

एमसीयू के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला का एक और कारनामा उजागर

रिसर्च में पाणिनि, स्वामी विवेकानंद, महर्षि पतंजलि और अरविंदो पर किताबें लिखी गई हैं. इसके अलावा भी कुठियाला ने पाकिस्तान मीडिया स्केन पर भी एक रिसर्च करवाई थी. जिसमें करीब 17 लाख रुपये की राशि यूनिवर्सिटी से दी गई थी. इतना ही नहीं राष्ट्रीय ज्ञान संगम पर 6 लाख, राष्ट्रीय सामाजिक कार्यशाला पर 7 लाख रुपये और हरिद्वार में रवि शंकर के आश्रम में भी एक कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसमें 3 लाख रुपये खर्च किया गया था.

इन कार्यशालाओं का कोई भी लाभ यूनिवर्सिटी को नहीं मिला. इन सभी आर्थिक अनियमितताओं का जिक्र एमसीयू की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है. जिसे लेकर अब ईओडब्ल्यू बारीकी से पड़ताल कर रही है. ईओडब्ल्यू के डीजी केएन तिवारी का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच बारीकी से की जा रही है क्योंकि जो भी रिसर्च हुई है, वह बृजकिशोर कुठियाला ने केवल अपने फायदे के लिए कराया था.

Intro:भोपाल- माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई फर्जी नियुक्ति और आर्थिक अनियमितता मामले में फंसे पूर्व कुलपति बीके कुठियाला के एक के बाद एक नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं। बीके कुठियाला ने प्रोफेसर राकेश सिन्हा की सिफारिश पर एक रिसर्च करवाई थी। जिसका कुल खर्च 1 करोड़ साढे 7 लाख रुपए है। इस रिसर्च के साथ साथ कुछ किताबें भी लिखी गई है। जिनमे पाणिनि, स्वामी विवेकानंद, महर्षि पतंजलि और अरविंदो पर किताबें लिखी गई है। लेकिन इस रिसर्च और किताबों का कोई भी फायदा यूनिवर्सिटी या छात्रों को नही मिला। इओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि, कुठियाला ने खुद के फायदे और रुचि के लिए ये रिसर्च करवाई थी।


Body:इसके अलावा भी बीके कुठियाला ने पाकिस्तान मीडिया स्केन पर भी एक रिसर्च करवाई थी, जिसमें करीब 17 लाख रुपये की राशि यूनिवर्सिटी से दी गई थी। इतना ही नही राष्ट्रीय ज्ञान संगम पर 6 लाख, राष्ट्रीय सामाजिक कार्यशाला पर 7 लाख रुपये और हरिद्वार में रविशंकर के आश्रम में भी एक कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसमें 3 लाख रुपये खर्च किया गया था। लेकिन इन सभी कार्यशालाओं का कोई भी लाभ यूनिवर्सिटी को नही मिला। इन सभी आर्थिक अनियमितताओं का जिक्र एमसीयू की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है। जिसे लेकर अब इओडब्ल्यू बारीकी से पड़ताल कर रही है।

बाइट- केएन तिवारी, डीजी, इओडब्ल्यू।


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