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पुरुष प्रधान समाज में स्त्री के संघर्ष को दिखाता नाटक 'खुद मंटो', महिलाओं को मिलती है प्रेरणा

राजधानी भोपाल के रविंद्र भवन में 'खुद मंटो' नाटक का मंचन किया गया. जिसमें एक पुरुष प्रधान समाज में एक महिला को अपनी आजीविका और सम्मान के लिए किए गये संघर्ष को दिखाया गया था

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Published : Mar 7, 2019, 5:22 PM IST

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भोपाल। महिला दिवस को ध्यान में रखते हुए राजधानी भोपाल के रविंद्र भवन में नाटक 'खुद मंटो' का मंचन किया गया. नाटक के माध्यम से समाज में महिलाओं के खिलाफ फैली कुरितियों को दिखाया गया. इस नाटक की परिकल्पना और निर्देशन प्रीति झा ने किया था.

'खुद मंटो' के नाम से रविंद्र भवन में आयोजित हुआ यह नाट्य मंचन मूल रूप से मंटो की कहानी 'लाइसेंस' पर आधारित है, जिसमें एक पुरुष प्रधान समाज में एक महिला को अपनी आजीविका और सम्मान के लिए किए गये संघर्ष को दिखाया गया था. नाटक का मुख्य पात्र एक स्त्री, इनायत है जिस के इर्द-गिर्द पूरी कहानी का ताना-बाना बुना गया है.

वीडियो

इनायत की कहानी आज से 60-70 साल पुरानी बताई जाती है, जिसमें बताया गया है कि वह अपने परिवार से बिछड़ जाती है, जहां से उसके संघर्ष की शुरुआत होती है. समाज लगातार इस स्त्री को बंधनों में बांधना चाहता है, लेकिन इनायत इन सभी बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ती जाती है.

नाटक मंचन पर बताया कि इसका उद्देश्य केवल इतना था कि आज भी हमारे समाज में महिलाओं के प्रति कई तरह की कुरीतियां फैली हुई हैं, जिन्हें खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही महिलाओं को सशक्त भी होना चाहिए क्योंकि जब इनायत नाम की यह महिला आज से 60-70 साल पहले समाज से नहीं डरी तो आज की महिलाओं को भी नहीं डरना चाहिए.

भोपाल। महिला दिवस को ध्यान में रखते हुए राजधानी भोपाल के रविंद्र भवन में नाटक 'खुद मंटो' का मंचन किया गया. नाटक के माध्यम से समाज में महिलाओं के खिलाफ फैली कुरितियों को दिखाया गया. इस नाटक की परिकल्पना और निर्देशन प्रीति झा ने किया था.

'खुद मंटो' के नाम से रविंद्र भवन में आयोजित हुआ यह नाट्य मंचन मूल रूप से मंटो की कहानी 'लाइसेंस' पर आधारित है, जिसमें एक पुरुष प्रधान समाज में एक महिला को अपनी आजीविका और सम्मान के लिए किए गये संघर्ष को दिखाया गया था. नाटक का मुख्य पात्र एक स्त्री, इनायत है जिस के इर्द-गिर्द पूरी कहानी का ताना-बाना बुना गया है.

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इनायत की कहानी आज से 60-70 साल पुरानी बताई जाती है, जिसमें बताया गया है कि वह अपने परिवार से बिछड़ जाती है, जहां से उसके संघर्ष की शुरुआत होती है. समाज लगातार इस स्त्री को बंधनों में बांधना चाहता है, लेकिन इनायत इन सभी बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ती जाती है.

नाटक मंचन पर बताया कि इसका उद्देश्य केवल इतना था कि आज भी हमारे समाज में महिलाओं के प्रति कई तरह की कुरीतियां फैली हुई हैं, जिन्हें खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही महिलाओं को सशक्त भी होना चाहिए क्योंकि जब इनायत नाम की यह महिला आज से 60-70 साल पहले समाज से नहीं डरी तो आज की महिलाओं को भी नहीं डरना चाहिए.

Intro:भोपाल- एक पुरुष प्रधान समाज में एक महिला को अपनी आजीविका और सम्मान के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है। रोज ना जाने उसे कितनी ही कठिन परिस्थितियों का सामना करके आगे बढ़ना होता है।
स्त्री के इसी संघर्ष को दर्शाते हुए नाटक खुद मंटू का मंचन हुआ जो कि मूल रूप से मंटो की कहानी लाइसेंस पर आधारित है।


Body:नाटक में मंचित किया गया है कि किस तरह से एक महिला को अपने सम्मान आत्म सम्मान और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है। नाटक का मुख्य पात्र एक स्त्री इनायत है जिस के इर्द-गिर्द पूरी कहानी का ताना-बाना बुना गया है।
नाटक स्पष्ट रूप से दिखाता है कि एक समाज में एक ही चेहरे के कई रूप होते हैं जिनका किरदार अलग अलग होता है, यह समाज आज भी स्त्री को केवल उपभोग की वस्तु समझता है।
नाटक में समाज किस कुंठित और अवसरवादी सोच को बेपर्दा किया गया है। स्त्री बनाम समाज यही इस नाटक की नाटकीयता है, समाज अपनी वीडियो में जितना रायत को बांधता जाता है इनायत का संघर्ष उतना ही और तेज होता जाता है।


Conclusion:नाटक की परिकल्पना और निर्देशन प्रीति झा ने किया। बतौर प्रीति मंटू की कहानी पर नाटक करना चुनौती भरा काम है क्योंकि मंटो और सच यह एक दूसरे के समांतर है। आज से करीब 60-70 साल पहले मंटू एक स्त्री को उसके आजीविका के लिए उसे दहलीज़ से बाहर लेकर आते हैं, और समाज में होने वाली विरोध को अपनी कहानी के माध्यम से दिखाते हैं। यह ना केवल तब होता था बल्कि आज भी कई जगह स्थिति ऐसी है जहां पर औरतों को आगे बढ़ने के लिए काफी कुछ सहना पड़ता है संघर्ष करना होता है।
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