भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के नेता प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. तो वही कांग्रेस पांच साल सरकार चलाने का दावा कर रही हैं. सीएम कमलनाथ के इस दावे के पीछे एक विशेष रणनीति की चर्चा सियासी गलियारों में चल रही है. जहां कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट रखने की रणनीति पर काम कर रही है तो वही बीजेपी के विधायकों को तोड़ने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.
सीएम कमलनाथ की रणनीति पर बात करें तो कांग्रेसी सूत्रों के अनुसार सीएम कमलनाथ ने अपने तमाम विश्वस्त मंत्रियों को 121 विधायकों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है. क्षेत्रीय और जातीय भावनाओं को ध्यान रखते हुए उन्होंने अपने विश्वस्त मंत्रियों और नेताओं को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी है. यह मंत्री इन विधायकों पर नजर रखने के साथ उनके कामकाज कराने और बीजेपी की तोड़फोड़ की कोशिशों पर नजर रखेंगे. चर्चा तो यहां तक है कि मोबाइल फोन के जरिए विधायकों की लोकेशन रिपोर्ट भी ली जा रही है. इसके अलावा निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायकों से सीएम कमलनाथ खुद संपर्क में हैं.
यानि कांग्रेस हर तरफ मजबूती के साथ काम करने की कोशिश में हैं. बीजेपी की फ्लोर टेस्ट की मांग पर कांग्रेस की कोशिश है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान विधायकों की संख्या पूरी 121 होनी चाहिए. प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के लिए विधायकों को एकजुट रखना कोई चुनौती नहीं है, क्योंकि हमारे विधायक कांग्रेसी नीतियों के कारण और गांधीवादी विचारधारा के कारण एकजुट है. चिंता तो बीजेपी को अपने विधायकों की करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कही फ्लोर टेस्ट कराने में ऐसा ना हो कि बीजेपी के विधायकों की संख्या 109 से घटकर 99 रह जाए. उन्होंने कहा कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार को जनता का विश्वास और आशीर्वाद हासिल है.