बुरहानपुर। देशभर में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने के लिए लॉकडाउन किया गया है. जिसका सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है. इस दौरान उद्योग धंधे बंद हैं. जिससे मजदूरों के सामने दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो चुका है. जिसके चलते प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं. जिन्हें कठिनाइयों का सामना कर सफर करना पड़ रहा है. अब मजदूरों का पैदल ही अपने परिवार के साथ सड़कों और रेलवे पटरियों से होकर घरों की ओर जाने का सिलसिला लगातार जारी है.
लेकिन मजदूरों की किस्मत की तरह ही उनका सफर भी साथ नहीं दे रहा है. हजारों किमी पैदल चलकर अब पैरों में छाले पड़ गए हैं. अब भी उनका सफर अधूरा है, गुजरात और महाराष्ट्र में काम करने गए हजारों मजदूर बुरहानपुर से होकर गुजर चुके हैं, इनमें से कई मजदूर अब तक अपने घर नहीं पहुंच पाए होंगे, क्योंकि बुरहानपुर से उनके घरों की दूरी बहुत ज्यादा है. अब जिला प्रशासन ने ऐसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की है.
आपको बता दें कि मजदूरों का काम बंद हुआ तो उन्हें उनके ठेकेदारों और मालिक से उम्मीद थी कि उनके ठेकेदार, मालिक इस मुसीबत में उनका सहारा बनेंगे. लेकिन उन्होंने मजदूरों को अपने हाल पर छोड़ दिया. जिससे मजदूरों के सामने दो-जून की रोटी तक का संकट आ गया. मजदूरी कर जो कुछ जमा किया वो सब कुछ ही दिन में समाप्त हो गया.
छोटे-छोटे बच्चे साथ थे भूख से बिलख रहे थे, लेकिन उनकी सुध किसी ने नहीं ली. इसलिए सभी मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े. लेकिन पैदल जाते वक्त भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जब मजदूर पैदल चलकर थक जाते हैं तो सड़क किनारे ही पेड़ की छाया देख आराम कर रहे हैं. यह तस्वीरें बेहद मार्मिक है. मजदूर दिवस के दिन भी उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.