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बुरहानपुर में मौजूद है एक ऐसा गांव जहां हिंदू करते हैं दरगाह की जियारत - दरगाह

बोदरली गांव में एक भी मुस्लिम परिवार ना होने के बाद भी हिंदू समुदाय के लोग यहां स्थित हजरत बोदवड शाह वली बाबा की दरगाह पर जियारत करते हैं.

हिंदू करते हैं दरगाह की जियारत
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Published : Nov 2, 2019, 4:11 PM IST

बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर बोदरली गांव में हिंदू समुदाय के ग्रामीणों ने कौमी एकता की मिसाल पेश की है. गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, जिसके चलते गांव की हजरत बोदवड शाहवली बाबा की दरगाह पर हिंदू समुदाय के ग्रामीण न केवल दरगाह पर जियारत करते हैं, बल्कि प्रतिवर्ष बाबा का संदल भी निकालते हैं.

हिंदू करते हैं दरगाह की जियारत


बता दें कि इस दरगाह में खादिम यानी पुजारी भी हिंदू हैं, जो बाबा की दरगाह पर फूल-हार और चादर चढ़ाने के अलावा सेवा चाकरी भी बेहद शिद्दत से करते हैं. इतना ही नहीं गांव के हिंदू समुदाय के लोग यहां रोजाना जियारत भी करते हैं. गुरुवार और शुक्रवार दूरदराज से जायरीन दरगाह पर मत्था टेकने पहुंचते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक यह दरगाह बेहद प्राचीन है. गांव का नाम भी बाबा के नाम से रखा गया है. यहां पहुंचने वाले सभी जायरीनों की मुरादें पूरी होती हैं, जिसकी वजह से यहां दूर-दूर से जायरीन अपनी मुरादें लेकर आते हैं.

बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर बोदरली गांव में हिंदू समुदाय के ग्रामीणों ने कौमी एकता की मिसाल पेश की है. गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, जिसके चलते गांव की हजरत बोदवड शाहवली बाबा की दरगाह पर हिंदू समुदाय के ग्रामीण न केवल दरगाह पर जियारत करते हैं, बल्कि प्रतिवर्ष बाबा का संदल भी निकालते हैं.

हिंदू करते हैं दरगाह की जियारत


बता दें कि इस दरगाह में खादिम यानी पुजारी भी हिंदू हैं, जो बाबा की दरगाह पर फूल-हार और चादर चढ़ाने के अलावा सेवा चाकरी भी बेहद शिद्दत से करते हैं. इतना ही नहीं गांव के हिंदू समुदाय के लोग यहां रोजाना जियारत भी करते हैं. गुरुवार और शुक्रवार दूरदराज से जायरीन दरगाह पर मत्था टेकने पहुंचते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक यह दरगाह बेहद प्राचीन है. गांव का नाम भी बाबा के नाम से रखा गया है. यहां पहुंचने वाले सभी जायरीनों की मुरादें पूरी होती हैं, जिसकी वजह से यहां दूर-दूर से जायरीन अपनी मुरादें लेकर आते हैं.

Intro:बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर ग्राम बोदरली में हिंदू समुदाय के ग्रामीणों ने कौमी एकता की मिसाल पेश की है, दरअसल इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नही है, फिर भी गांव की हजरत बोदवड शाहवली बाबा की दरगाह पर हिंदू समुदाय के ग्रामीण न केवल दरगाह पर जियारत करते हैं, बल्कि प्रतिवर्ष बाबा का संदल भी निकालते है, साथ ही दीवाली के बाद बाबा का उर्स भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं, जिसमे बड़ी संख्या में दूर दराज से जायरीन मत्था टेकने पहुंचते है, मान्यता है कि हजरत बोदवड़ शाहवली बाबा की दरगाह पर जायरीनों की मुरादे पूरी होती हैं।
Body:बता दें कि इस दरगाह में खादिम यानी पुजारी भी हिंदू है, जो बाबा की दरगाह पर फूल-हार और चादर चढ़ाने के अलावा सेवा चाकरी भी बेहद शिद्दत से करते हैं, इतना ही नहीं गांव के हिंदू समुदाय के लोग यहां रोजाना जियारत भी करते हैं, इसके साथ ही गुरुवार और शुक्रवार दूरदराज से जायरीन दरगाह पर मत्था टेकने पहुंचते है, ग्रामीणों के मुताबिक यह दरगाह बेहद प्राचीन है, इस गांव का नाम मे बाबा के नाम से रखा गया है, यहां पहुंचने वाले सभी जायरीनों की मुरादे पूरी होती हैं, जिसकी वजह से यहां दूर-दूर से जायरीन अपनी मुरादे लेकर आते है और हसंते हंसते जाते हैं।Conclusion:बाईट 01:- प्रवीण पाटिल, सरपंच प्रतिनिधि- ग्राम पंचायत गुलई।
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